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November 24, 2024 6:03 pm

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ढाई ढाई साल के सत्ता का साइड इफेक्ट बिलासपुर से ! विधायक को पार्टी से निष्कासन का प्रस्ताव चुनाव जीतने के दिन से ही तय हो गया था बस तलाश थी तो अवसर की ,अमर को कांग्रेस नेताओ का इससे बड़ा बर्थडे गिफ्ट और क्या हो सकता है ?

बिलासपुर ।कांग्रेसी न कभी सुधरे है और न सुधरेंगे भले ही उसके लिए सत्ता रहे या चली जाए । बिलासपुर में कांग्रेस के अंदर और बाहर जो रहा है उससे तो यही लगता है ।पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल के जन्म दिन पर भाजपाइयों ने जो नारा दिया है कि अमर भैया फिर एक बार वह नारा कांग्रेसी नेता साकार करने में लग गए है ।अमर अग्रवाल ने भी गजब की किस्मत पाई है उन्हे मौका खोजना या मौके के लिए इंतजार नही करना पड़ता बल्कि मौके को कांग्रेसी थाल में सजा कर देने के आदी हो गए है ।

प्रदेश में सत्ता को ढाई ढाई साल के बदलाव का मुद्दा भले ही ठंडा पड़ता नजर आ रहा है मगर उसका “साइड इफेक्ट “बिलासपुर से शुरू हो चुका है।विधानसभा चुनाव के बाद ही स्थानीय कांग्रेस का एक धड़ा विधायक शैलेष पांडेयको फूटी आंख नही सुहाता लेकिन बात विधायक के पार्टी से निष्कासन के प्रस्ताव तक पहुंच जाएगी ऐसा किसी ने सोचा नहीं था शायद विरोधी गुट ने जल्दबाजी कर दी ।वैसे शहर कांग्रेस कमेटी को जनता द्वारा निर्वाचित विधायक को पार्टी से निष्कासन करने का प्रस्ताव पारित करने का अधिकार भी है या नहीं इस पर बहस हो सकती है ।केबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे का पूरे मामले में आया बयान सुविधा संतुलन वाला है ।सिम्स के मामले में पुलिस की भद्द पिट रही है ।पुलिस की भूमिका पहली बार संदेह के घेरे में है मगर पुलिस का कुछ नही बिगड़ने वाला है क्योंकि 3 साल पहले इन्ही कांग्रेस नेताओ को पुलिस ने कांग्रेस भवन के अंदर घुसकर जमकर पीटा था और मार खाने वाले कांग्रेसी आज सत्ता और संगठन में महत्वपूर्ण ओहदे में बैठे है मगर वे पुलिस का कुछ नही बिगाड़ पाए ।दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कारवाई तो दूर की बात वे सुनवाई तक में नही जाते और तो और यही कांग्रेस नेता अब पुलिस की कारवाई को जायज (पंकज सिंह मामला)ठहराने में जरा भी देरी नही की ।

वैसे सिम्स का मामला और पंकज सिंह के खिलाफ प्रकरण तो एक बहाना है दरअसल विधायक को पार्टी से निष्कासित करने का प्रस्ताव पारित करना मौका के तलाश कहा जा सकता है ।इतना बड़ा और महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित करने केलिए शहर कांग्रेस की बैठक फोन से सूचना देकर आहूत करना भी कम आश्चर्य जनक नही है ।प्रस्ताव जिसने लाया उसने स्व विवेक से प्रस्ताव लाया कि उसे प्रस्ताव लाने कहा गया यह भी विचारणीय विषय है ।कांग्रेसी नेताओ के झगड़े से भाजपा के नेता फूल कर कुप्पा हो रहे है जिस तरह प्रदेश भाजपा के नेता ढाई ढाई साल के मुद्दे को जीवित रखने के लिए जी तोड़ प्रयास कर रहे है उसी तरह स्थानीय भाजपा नेता भी शहर विधायक और विरोधी गुट के नेताओ के बीच जारी शीत युद्ध को चुनाव तक हवा पानी और चिंगारी देने का काम करते रहेंगे ।अब बड़ा सवाल यह कि शहर कांग्रेस के प्रस्ताव का क्या होगा ?क्या प्रदेश कांग्रेस संगठन शहर कांग्रेस के प्रस्ताव पर कोई कदम उठाएगी ?हालांकि शहर कांग्रेस और उससे वास्ता रखने वाले बड़े नेताओं को अच्छी तरह यह मालूम है कि प्रस्ताव का क्या हश्र होगा वही स्वास्थ्य मंत्री के करीबी पंकज सिंह की गिरफ्तारी होगी या फिर मामले में सुलह होगी यह जानने के लिए शहर वासियों को प्रतीक्षा है लेकिन इस पर मामले में कांग्रेस पार्टी के लिए अच्छा संदेश नही जा रहा ।बेहतर होता सिम्स में व्याप्त अव्यवस्था को दूर करने और मरीजों को बेहतर इलाज मिले इसके लिए कांग्रेस के नेताओ को एकजुटता दिखा कर कोशिश किया जाता ।

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