
: बिलासपुर-।सालाना संपति कर और जल कर की वसूली का जिम्मा जबसे नगर निगम ने ठेके में दिया है तब से ठेका कंपनी कुल राजस्व वसूली का आधा रकम भी वसूल नही कर पा रहा है । ठेके के कारण निगम के राजस्व अधिकारी भी निष्क्रिय हो गए है । महापौर रामशरण यादव ने निगम के राजस्व अधिकारियो के ढीले रवैए पर तीखी नाराजगी जताते हुए एक राजस्व अधिकारी को निलंबित करने का आदेश दे दिया है ।उन्होंने राजस्व वसूली में किसी भी प्रकार की ढिलाई को बर्दाश्त नहीं करने की चेतावनी भी दी है । सवाल यह उठता है कि निगम की आर्थिक हालत अक्सर खराब होने और पाई पाई के लिए तरसने के बाद भी निगम राजस्व की वसूली ज्यादा से ज्यादा करवाने के लिए कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठा पा रहा ?ऐसे ठेका कंपनी का क्या मतलब जो ठीक से राजस्व वसूली नही कर पा रहा । भाजपा शासन काल के दौरान संपति कर ,जल कर की वसूली और शहर की सफाई व्यवस्था का ठेका दिया गया था मगर अब ये ठेका सिस्टम फिसड्डी साबित हो रहा है ।

संपति कर और जल कर की वसूली के लिए पहले निगम के पटवारी राजस्व अधिकारी नियमित रूप से नागरिकों को तगादा कर समय पर कर जमा करने कहते थे और समाप्त हो रहे वित्तीय वर्ष के पहले ही अच्छी खासी वसूली हो जाती थी उसके बाद भी टारगेट पूरा करने वसूली के लिए मेहनत की जाती थी लेकिन जब से संपति कर की वसूली का जिम्मा ठेका कंपनी को दिया गया है निगम के राजस्व वसूली में लगातार कमी देखने को मिल रही है । ठेका कंपनी का अमला नागरिकों को उनके मोबाइल पर मैसेज भेज कर चुप बैठ जाते है । वसूली के लिए उनके द्वारा कोई खास कोशिश नही की जा रही है ।ऐसी स्थिति में राजस्व वसूली के लिए निगम का अमला ही बेहतर था । अब निगम के राजस्व अधिकारी ,पटवारी भी राजस्व वसूली के प्रति निष्क्रिय हो गए है जबकि उन्हें सतत मानिट्रिंग करनी चाहिए । राजस्व की पर्याप्त वसूली होगी तभी तो निगम की देनदारी कम होगी ।
निगम के राजस्व अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण राजस्व की वसूली पूरी नही हो रही जिसके कारण नगर निगम को वेतन सहित अन्य छोटे छोटे खर्चो के लिए जुझना पड़ रहा है ।महापौर ने नगर निगम राजस्व अधिकारियों कर्मचारियों के सभी जोन कमिश्नर की बैठक लेकर राजस्व वसूली में ढिलाई को लेकर कड़ी नाराजगी जताई है ।महापौर ने साफ तौर पर राजस्व कर्मचारियो और अधिकारियो को चेतावनी दी है कि अगर काम नही करेंगे तो वेतन भी नही मिलेगा ,निजी कंपनी और राजस्व अधिकारियों ने केवल फिफ्टी परसेंट की राजस्व की वसूली की है। बैठक में महापौर भड़क उठे कहा कि जब आप लोग काम नही करेंगे तो वेतन किस बात का ? नाराजगी जाहिर करते हुए महापौर ने सभी राजस्व अमले को टारगेट पूरा करने के लिए सात दिन का समय दिया है ।अगर सात दिन में राजस्व वसूली का टारगेट पुरा नही होता है तो वेतन भी नही। निगम के एक राजस्व निरीक्षक को महापौर ने पांच महीने से गायब रहने के कारण सस्पेंड करने का निर्देश दिया है।, नगर निगम में साठ करोड़ के महीने के राजस्व वसूली का टारगेट है लेकिन निगम के राजस्व कर्मी फील्ड में जाते नही है ।जिसकी वजह से निगम को नुकसान के साथ सफाई कर्मी सहित निगम के वेतन देने के लिए जूझना पड़ता है , महापौर ने बैठक में कहा कि अगर हमारे मुखिया मुख्यमंत्री बघेल मदद नही करे तो निगम के पास वेतन के लाले पड़ जाएं। महापौर ने बड़े बकायादारों की अलग से सूची बनाने के निर्देश दिए है साथ ही निगम के नए इलाके में संपति कर का नोटिस जारी करने कहा है, इसके अलावा नए जुड़े क्षेत्र के लोगो को राहत देते हुए यूजर चार्ज न लेने के निर्देश दिए क्योंकि इन इलाकों में अभी नगर निगम घर घर कचरा कलेक्शन का काम नही करता है। इसलिए इन क्षेत्रों के लोगो को राहत दी गई है। राजस्व अमले कीहालत ये है कि 66 हजार घरों में से केवल अब तक 28 हजार लोगों को नोटिस दे पाए है ,ज्यादातर राजस्व अमल फील्ड में जाते ही नही। जिसके चलते राजस्व वसूली नही हो पा रही है ,।महापौर ने बैठक में खरी खरी सुना दिया है कि जो कर्मचारी अधिकारी काम नही करना चाहते वो घर बैठ जाये। सरकार मुफ्त में किसी को वेतन नही देगी। महापौर के इस रूप को देखकर संभव है राजस्व अमला अब सक्रिय होकर वसूली के लिए ध्यान देगा ।