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November 21, 2024 2:47 am

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कुख्यात डकैत व 13 साल पहले एटीएम गार्ड की हत्या कर 14 लाख रुपए लूटने वालों का सरगना पुष्पेंद्र चौहान पुलिस की लापरवाही से बरी हुआ,कई राज्यों के राज्यपाल व मुख्यमंत्री को धमकी पत्र भेज 50 करोड़ की मांग भी की थी

बिलासपुर । जांजगीर-चांपा जिले के सक्ती में 13 साल पहले ए टी एम के गार्ड की हत्या और लूट के मामले में आरोपी बनाए गए सरगना पुष्पेंद्र चौहान और उसके साथियों को हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। साथ ही सजा भी निरस्त कर दी है । जिला कोर्ट ने सभी को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। इसके पीछे पुलिस जांच में लापरवाही बताई जा रही है क्योंकि पुलिस ने बैलिस्टिक एक्सपर्ट की रिपोर्ट ही पेश नहीं किया था। कुख्यात डकैत पुष्पेंद्र चौहान तीन साल पहले पश्चिम बंगाल और ओडिशा के मुख्यमंत्री को जेल से धमकी भरे पत्र लिखकर सुर्खियों में आया था। वर्तमान में वह केंद्रीय जेल बिलासपुर में है।

। पुष्पेंद्रनाथ चौहान व उसके साथियों पर आरोप था कि उन्होंने 29 दिसंबर 2008 सक्ती रेलवे स्टेशन के पास गार्ड गीताराम को गोली मारकर एटीएम से 14 लाख की लूट की थी। पुलिस ने पुष्पेंद्र व उसके साथी दिनेश नेताम, गुलाब व सोनू चौहान को गिरफ्तार किया था। उनके खिलाफ सक्ती कोर्ट में ट्रायल चला। 30 मई 2014 को द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश ने सभी आरोपियों को आजीवन करावास की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ अधिवक्ता अजय अयाची के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी

*पुलिस ने डकैती की योजना बनाते हुए बिलासपुर रेलवे स्टेशन से किया था गिरफ्तार
पुष्पेंद्र समेत सभी चारों आरोपियों को तीन-तीन लाख रुपए का जुर्माना भी हुआ था। इस रकम में से 14 लाख रुपए स्टेट बैंक को देना था। जांजगीर चांपा जिले के बाराद्वार थाना क्षेत्र के ग्राम दर्राभाठा निवासी पुष्पेंद्र नाथ चौहान उर्फ मनीष व उसके साथियों को पुलिस ने 2008 में बिलासपुर रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था। तब सभी यहां डकैती की योजना बना रहे थे। इसके अलावा भी बिलासपुर, कोरबा सहित जांजगीर-चांपा और रायगढ़ जिले में बैंक लूटने व डाका डालने का भी सभी पर आरोप लगा है।

क्या पुलिस ने जांच में बरती थी लापरवाही?
सक्ती एटीएम में डकैती के मामले में बैंक मैनेजर वीरेंद्र कुमार शर्मा ने थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। एफआईआर में उन्होंने आरोपियों के रूप में दो अज्ञात दर्ज कराया था पर पुलिस ने केस में चार लोगों को गिरफ्तार किया।
एफआईआर में बताया गया है कि सभी नाकाबपोश थे। लेकिन, तहसीलदार के सामने हुई शिनाख्ती परेड में गवाहों ने सभी को पहचान लिया।
गवाहों ने आरोपियों को किस आधार पर पहचान की। इसका भी न तो चालान में उल्लेख है और न ही पहचान कार्रवाई के दस्तावेज में है।
इस केस में मैनेजर वीके शर्मा, लेखापाल डीबी किशन, सीनियर हेड मैनेजर आनंद कुमार गवाह थे। जिन्होंने कोर्ट में बताया कि पुलिस ने ही आरोपियों को थाने में दिखाया था। इसके एक घंटे बाद सक्ती में उनकी पहचान कराई गई थी।
थाना में सभी आरोपियों को हथकड़ी लगाकर लाए थे और कोर्ट ले गए। पुलिस ने सभी को पहले ही बता दिया था कि इन्होंने घटना किया है।
घटना के समय डकैतों ने गोली मारकर गार्ड हत्या की थी। लेकिन, पुलिस ने इस केस में बैलेस्टिक एक्सपर्ट की रिपोर्ट ही पेश नहीं किया था। जबकि, जांच में पुलिस का यह अहम हिस्सा था।
हाईकोर्ट ने कहा- पुलिस की उपस्थिति पहचान कार्रवाई गलत
अधिवक्ता अजय अयाची के अनुसार हाईकोर्ट ने कहा है कि पहचान कार्रवाई के दौरान आरोपियों को हथकड़ी में रखना और पुलिस का मौजूद होना गलत था।

11 मामलों में डकैतों के सरगना पुष्पेंद्र व उसके साथी पहले ही हो चुके हैं बरी
मई 2008 में कोरबा जिले के ग्राम सोहागपुर ग्रामीण बैंक से 71 लाख 25 हजार की लूट।
8 अगस्त 2007 में तखतपुर (मोछ) बैंक के एसबीआई में डकैती, 1 लाख 15 हजार रुपए की लूट।
15 दिसंबर 2007 को कोरबा जिले के जर्वे बैंक से 1 लाख 70 हजार रुपए की लूट।
2008 में जांजगीर चांपा जिले के नरियरा बैंक से 60 हजार की लूट।
2008 में जांजगीर चांपा जिले के भैंसमा ग्रामीण बैंक में 60 हजार रुपए की लूट।
24 नवंबर 2008 को जांजगीर चांपा जिले के करौद बैंक से 1 लाख 50 हजार की लूट।
2008 में दर्री साडा कॉलोनी यूको बैंक में 6 लाख की लूट।
फरवरी 2008 में सक्ती रेलवे स्टेशन के पास दिनेश नेताम के साथ मिलकर एक व्यक्ति से 20 हजार रुपए व बैग लूटे।
मार्च 2009 में सोनू चौहान के साथ कोरबा जर्वे ग्रामीण बैंक गए। 17 लाख 25 हजार रुपए बैंक से लूटे।
26 दिसंबर 2008 को ग्राम सिंघनसरा सक्ती में साथियों के साथ बाइक लूट।
मई 2008 में कोरबा जिले के मड़वारानी से बाइक लूटे।
इन मामलों में बरी होने के प्रमुख कारण
कोर्ट में जिन लोगों को गवाह बनाया गया था उन्होंने कोर्ट में आरोपियों को पहचानने से इनकार कर दिया।
पहचान कार्रवाई में गड़बड़ी। आरोपियों को पुलिस ने पहले दिखाया फिर कराई पहचान कार्रवाई।
संभाग भर के बैंकों में वारदात को दिया था अंजाम
पुष्पेंद्र नाथ चौहान पर आरोप है कि उसने अपने साथियों के साथ बिलासपुर, कोरबा सहित जांजगीर-चांपा, रायगढ़, जिले में बैंक लूटने व डाका डाला था। उसके गिरोह में 6 सदस्य शामिल थे। इनमें सुमेधा सेमीपाली निवासी पुष्पेंद्र गिरी , दिनेश उर्फ दीपक दीनू नेताम पिता रामजी नेताम सुमेधा, बबलू उर्फ गुलाब सिंह अयोध्यापुरी दर्री, राजू गंधर्व मुंगेली बिलासपुर, सूरज गंधर्व लोरमी बिलासपुर शामिल थे।

कई राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को जेल में रहते हुए भेजा था धमकी भरा पत्र
पुष्पेंद्रनाथ चौहान केंद्रीय जेल बिलासपुर में रहते हुए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल, मुख्यमंत्री के साथ ही ओडिशा के मुख्यमंत्री को अलग-अलग पत्र लिखकर 50 करोड़ रुपए की फिरौती मांगी थी। उसने फिरौती नहीं देने पर जान से मारने की धमकी भी दी थी। इन मामलों से वह मीडिया में सुर्खियां बटोरने का दावा करता था। पुलिस ने जांच के बाद उसके खिलाफ अलग से अपराध दर्ज किया था, जिस पर फैसला नहीं आया है।

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