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November 21, 2024 2:24 pm

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घुटकू में अब काहे का जन सुनवाई ,ग्रामीणों ने हजारों की संख्या में कलेक्ट्रेट पहुंचकर जोरदार विरोध करके बता दिया कि घुटकु में कोल वासरी का विस्तार तो दूर वे कोल वासरी ही नही चाहते , जिला प्रशासन इस विरोध की अनदेखी नहीं करे

बिलासपुर ।घूटकू गांव में कोल वासरी के विस्तार को लेकर जिला प्रशासन और पर्यावरण विभाग पता नही क्यों जनसुनवाई करना चाहते है क्योंकि एक दिन पहले ही घूटकू के ग्रामीण हजारों की संख्या में कलेक्ट्रेट पहुंचकर जोरदार विरोध जताते हुए कोल वासरी को बंद करने की मांग की ।तो फिर किस बात की जनसुनवाई ?कलेक्ट्रेट में एकत्र ग्रामीणों से ज्यादा भीड़ अधिकारियों को जनसुनवाई में देखने को नहीं मिलेगी और फिर कलेक्ट्रेट पहुंचे ग्रामीणों के समक्ष ही तो जनसुनवाई करनी है तो वह जनसुनवाई कलेक्ट्रेट में हो गई ।ग्रामीणों ने अपना पक्ष बता दिया इस लिहाज से कल घुटकू गांव मे जनसुनवाई करने पर प्रशासन को विचार करना चाहिए और ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए जनसुनवाई पर ब्रेक कर देना चाहिए । अगर इसके बाद भी जनसुनवाई का नाटक किया जाता है तो यही माना जायेगा कि पीड़ित और प्रभावित ग्रामीणों की अधिकारियो को कोई परवाह नही है ।

बिलासपुर शहर से कुछ किलोमीटर दूर ग्राम घुटकू में मेसर्स फिल स्टील एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स फिल कोल बेनिफिट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी लगाने के 19 और 20 अप्रैल को आयोजित जनसुनवाई के विरोध में ग्रामीणों ने सोमवार को कलेक्टोरेट का घेराव कर दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि उद्योगपति के दबाव में आकर कलेक्टर ने फर्जी रिपोर्ट पेश कर जनसुनवाई की तारीख तय कर दी है। जबकि, ग्रामीणों को इसकी जानकारी तक नहीं है। इसके लिए कलेक्टर जिम्मेदार हैं। कोलवाशरी से गांव प्रदूषित हो गया है। आम लोग बीमारी से परेशान हैं और उनकी फसलें चौपट हो रही है। ग्रामीणों ने जनसुनवाई स्थगित करने की मांग की है।

जिला प्रशासन ने तखतपुर तहसील के ग्राम घुटकू में उद्योगों के विस्तार व पर्यावरण स्वीकृति के लिए 19 और 20 अप्रैल को जनसुनवाई आयोजित किया है। घुटकू के हायर सेकण्डरी स्कूल परिसर में दोपहर 12 बजे से शुरू होने वाले जनसुनवाई की जानकारी होने पर ग्रामीणों ने विरोध शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि फिल कोल बेनिफिट कोलवाशरी पिछले चार साल से संचालित है, जिसे विस्तारित करने की योजना बनाई गई है। इस कोलवाशरी के कारण आसपास के करीब 20 गांव के लोग पहले से ही परेशान हैं। प्रदूषण के चलते उनकी फसलें चौपट हो गई हैं और खेती के साथ ही सब्जी की फसलें प्रभावित हो रही है। वहीं तालाब और नदी का पानी भी प्रदूषित हो गया है। धूल और डस्ट से ग्रामीणों में बीमारी पनपने लगी है।
ग्रामीणों ने बताया कि मेसर्स फिल कोल बेनिफिट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से ग्रामीण पहले से परेशान हैं। इसके लिए उन्होंने पर्यावरण प्रदूषण मंडल, जिला प्रशासन के अफसरों को कई बार ज्ञापन सौंपकर अपनी समस्याएं बताई। लेकिन, उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया। बल्कि, अब उद्योगपतियों को लाभ देने के लिए मेसर्स फिल स्टील एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड के विस्तार करने की अनुमति दे दी गई है। यही नहीं, नियमों को ताक में रखकर कंपनी को एक और नए उद्योग स्टील प्लांट लगाने के लिए सहमति दे दी गई है। अब महज औपचारिकता के लिए जनसुनवाई का आयोजन किया जा रहा है। जिसका ग्रामीण विरोध कर रहे हैं
कलेक्टोरेट पहुंचे ग्रामीणों ने कहा कि घुटकू, तुर्काडीह, निरतू, लोखंडी, हांफा, जोकी, देवरी, मंगला, सकरी, कोनी, लमेर, भाड़म, पर्थरा, कुंडा, गोकुलपुर, कछार, लोफंदी, सेंदरी, खरगहना सहित दस किलोमीटर के दायरे में आने वाले ग्रामीणों की समस्या का निराकरण नहीं किया गया है। दरअसल, कंपनी के मालिक ने जिला प्रशासन से मिलीभगत कर फर्जी तरीके से भू-जल दोहन की एनओसी ली है। हमने पर्यावरण प्रदूषण मंडल और कलेक्टर कार्यालय से जानकारी मांगी थी, जिसका अब तक कोई जवाब नहीं दिया गया है। जब गांव वालों को जानकारी नहीं दी गई और जनसुनवाई की तारीख तय कर दी गई है। ग्रामीणों ने कहा कि जब तक कलेक्टर उनके सवालों का जवाब नहीं देते। इस जनसुनवाई का विरोध जारी रहेगा। हम जनसुनवाई होने ही नहीं देंगे।
: ग्रामीणों ने बताया कि कोलवाशरी और स्टील प्लांट लगाने लगाने के लिए शुरूआत में सरपंच सहित जनप्रतिनिधियों ने विरोध करने का फैसला लिया था। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि कंपनी के एजेंट और अधिकारी गांव-गांव में घूम-घूमकर सरपंच सहित जनप्रतिनिधियों के मुंह बंद करने के लिए पैसा खिला दिया है। आरोप है कि पिछले एक सप्ताह से कंपनी के लोग पैसा बांटकर ग्रामीण जनप्रतिनिधियों को सेट कर रहे हैं। इसके बाद भी सैकड़ों ग्रामीण खुद से विरोध करते हुए जनसुनवाई की खिलाफत करने पहुंचे हैं।कायदे से ग्रामीणों के आक्रोश को प्रशासन को गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि यह कानून व्यवस्था का मामला दिखता है कही ऐसा न हो कि कोलवासरी प्रबंधन के बचाव में मामला गड़बड़ न हो जाए ।

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