
चेन्नई राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। अब विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति की ताकत राज्यपाल से ले ली गई है। इस बारे में तमिलनाडु विधानसभा में सोमवार को विधेयक पारित कर दिया गया। तमिलनाडु में राज्य सरकार के इस कदम को राज्यपाल की शक्तियों को कम करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। बड़ा सवाल यह है कि क्या छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार भी तमिलनाडु सरकार की ही तरह विधेयक विधानसभा में पारित करवाएगी ?वैसे भी छत्तीसगढ़ के विश्विद्यालयों में कुलपति नियुक्ति को लेकर भूपेश बघेल सरकार और राज्यपाल सु श्री अनुसुइया उईके के बीच तकरार किसी से नहीं छिपा है । छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों में बाहरी प्रदेशों के और संघ के विचारधाराओं से अनुराग रखने वालों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा किए जाने को लेकर विरोध सार्वजनिक होता रहा है ।सवाल यह भी उठाया जाता रहा कि क्या कुलपति की योग्यता रखने वालों की छत्तीसगढ़ में कमी हैलेकिन यह सर्व विदित है कि ये सारी नियुक्ति के पीछे राजनैतिक दखलंदाजी और नेताओ की पसंद ,नापसंद हावी हो गई है ।विरोध के चलते इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर छत्तीसगढ़िया की नियुक्ति हो सकी है । भूपेश बघेल सरकार के पास 71 रिकार्ड विधायको का बहुमत है इस नाते सरकार आने वाले समय में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर तमिलनाडु सरकार की ही तरह विधानसभा में विधेयक पारित करवा ले तो कोई आश्चर्य नहीं होगा क्योंकि 234 सीटो वाली तमिलनाडु विधान सभा में भाजपा के सिर्फ 4 विधायक है जबकि छत्तीसगढ़ में भाजपा के 14 विधायक है और भूपेश बघेल सरकार यह विधेयक आसानी से पारित करवा सकती है ।
हालांकि ऐसी व्यवस्था देश के कई राज्यों में है। तमिलनाडु में इस विधेयक का भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायकों ने विरोध किया। तो मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक ने सदन से वॉकआउट किया।
उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमुडी ने तमिलनाडु विश्वविद्यालय कानून में संशोधन के लिए विधेयक पेश किया, ताकि राज्य सरकार को विश्वविद्यालयों में कुलपति (VC) की नियुक्ति करने का अधिकार मिल सके।
गुजरात समेत कई राज्यों में पहले से ये व्यवस्था
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के. स्टालिन ने ट्विटर पर अपनी बात रखी. उन्होंने बताया कि गुजरात, तेलंगाना और कर्नाटक समेत कई राज्यों में ये व्यवस्था है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल राज्य के 13 विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति हैं, उच्च शिक्षा मंत्री प्रो-चांसलर हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को कुलपतियों का चयन करने का अधिकार नहीं होने के कारण उच्च शिक्षा पर ‘बड़ा प्रभाव’ पड़ा है। उन्होंने कहा कि पहले राज्यपाल द्वारा कुलपति का चयन करने से पहले राज्य सरकार से परामर्श करने की प्रथा थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसमें बदलाव आया है।