बिलासपुर। महिला एवं बाल विकास विभाग के चंद अनुभवहीन अधिकारियों की लापरवाही के कारण नूतन चौक स्थित संप्रेक्षण गृह से दो बच्चे कर्मचारियों को चकमा देकर भाग गए । सुबह भागने वाले बच्चों की सूचना पुलिस में देने में भी कोताही की गई और शाम को सरकंडा थाने में घटना की जानकारी दी गई है। फिलहाल बंच्चो को पुलिस तलाश रही है।
मंगलवार की सुबह 8.12 बजे बाल संप्रेषण गृह बिलासपुर से 2 अपचारी बालक दीवार फांदकर भाग गए । बच्चों को गार्डनिंग के लिए निकाले गए थे। इसी दौरान मौका देखकर पीछे की दिवार को फांदकर भाग गए। दोनों बंच्चो को सरकंडा और कोटा से चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में संरक्षण गृह के अधिकारियों की लापवाही सामने आ रही है। एक तो बच्चे उन्हें चकमा देने में सफल रहे दूसरा बच्चे सुबह 8.12 बजे भागे लेकिन अधिकारियों ने सरकंडा थाने इसकी सूचना शाम पौने सात बजे दी गई है। हालांकि पुलिस ने जो जानकारी दी है उसके अनुसार बंच्चो को कोटा में देखा गया है। फिलहाल पुलिस दोनों बच्चों की तलाश कर रही है।
महिला बाल विकास विभाग के अंतर्गत संचालित होने वाले बाल संप्रेक्षण गृह नूतन चौक से दो नाबालिग युवकों के फरार होने की खबर तेजी से फैली । संप्रेषण गृह में नियमित और संविदा में लगातार कर्मियों की ड्यूटी रहने के बाद भी वहां से अपचारी बालको के फरार हो जाने की कई घटनाएं हो चुकी है मामले को अधीक्षक दबाने का प्रयास करते रहे और संबंधित थाने में मामले की की सूचना तत्काल नही देने या देर से देने के पीछे क्या वजह हो सकती है यह वहां के अधीक्षक ही जाने ।
गौरतलब है कि महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत संचालित बाल संप्रेक्षण गृह सरकंडा बिलासपुर में स्थित है पास में ही बालिका गृह संस्था भी संचालित है। लगभग 2 वर्ष पूर्व पास के ही बालिका गृह से सात नाबालिक बालिकाएं फरार हो गई थी। जिसमें से 5 बालिकाओं को कोरबा जिला से बरामद किया गया और बाकी दो बालिकाओं को अन्य जगह से रेस्क्यू किया गया था। यह मामला विधानसभा में भी उठा था जिसके बाद विभाग में हड़कंप मच रहा और अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने लगे थे।
उस घटना के बाद मंगलवार को बिलासपुर जिले मे ही बाल संप्रेक्षण गृह से दो नाबालिग युवक फरार हो गए। बताया जा रहा है संस्था के प्रभारी अधीक्षक राहुल पवार ने इसकी सूचना संबंधित थाने में तुरंत नहीं नहीं दिया । लगातार बिलासपुर जिले से ही इस तरह की घटना सामने आ रही है। संबंधित घटनाओं को देखकर ऐसा लगता है कि संस्था में अधीक्षक के रूप में कार्य करने वाले व्यक्तियो में नेतृत्व की कमी है। शायद इसीलिए इस तरह की घटना लगातार सामने आ रही है। अगर बाल संप्रेक्षण गृह के अधीक्षक संबंधित थाने में इसकी सूचना समय पर देता।तो निश्चित ही पुलिस को फरार युवकों की तलाश करने में मदद मिलती।
विगत कुछ दिनों पूर्व इसी प्रकार के संस्था दुर्ग से कुछ नाबालिग युवक फरार हो गए थे जिसके बाद एक युवक की लाश बिलासपुर में मिली थी उसकी हत्या उसके ही साथ फरार अपचारी युवकों ने कर दी थी । इस घटना के बाद संप्रेषण गृह और महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों को सचेत हो जाना था मगर लापरवाही और अति उत्साह के चलते दो बालक फरार हो गए । फिर भी विभाग गंभीर नहीं है खासकर बिलासपुर महिला बाल विकास विभाग के अंतर्गत संचालित संस्थाओं में कार्य करने वाले अधीक्षकों की लापरवाही लगातार देखने को मिलती है। जिसका खामियाजा समय-समय पर देखने को मिलता रहा है। इसीलिए आवश्यकता है कि ऐसे गंभीर मामलों को हल्के में ना लिया जाए और संबंधित थाने को इसकी सूचना दिया जाए। बताया जाता है कि फरार दो युवकों में से एक युवक कोटा थाना क्षेत्र का रहने वाला है तो वही दूसरा युवक सरकंडा थाना क्षेत्र का रहने वाला है। यहां पर एक प्रश्न उठता है कि संस्था के अधीक्षक ने घटना स्थान से संबंधित थाने में इसकी सूचना तुरंत क्यों नहीं दिया ?
कई बार के संविदा कर्मचारी राहुल पवार को आखिर तीन जगह का प्रभार क्यों?
महिला एवं बाल विकास विभाग बिलासपुर में दो जिला महिला बाल विकास अधिकारी है। एक नेहा राठिया व दूसरा उमाशंकर गुप्ता है। इन दो जिम्मेदार पात्र अधिकारियों के होते हुए भी एक संविदा कर्मचारी को संस्था संचालन करने के लिए प्रभार दिया गया है। संभवत प्रदेश का यह पहला जिला होगा जहां पर एक संविदा कर्मचारी को एक दो नही बल्कि तीन-तीन जगह का प्रभार दिया गया है बताया जाता है कि राहुल पवार बाल संप्रेक्षण गृह, प्लेस ऑफ सेफ्टी, और विशेष गृह के प्रभारी अधीक्षक के रूप में कार्य कर रहा है है। जबकि जिला कार्यालय में दो-दो वरिष्ठ व पात्र अधिकारी को बैठाया गया है उन्हें संस्था में किसी प्रकार की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी गई है। इस तरह से बिलासपुर जिला में महिला बाल विकास विभाग पर अधिकारियों की मनमानी चल रही है। विभाग की मंत्री अनिला भेड़िया को आवश्यकता है कि खासकर बिलासपुर जिले के अधिकारियों की बैठक लेकर उनको कार्य करने के लिए उचित दिशा निर्देश दे ताकि उनके विभाग में उनकी छवि बरकरार रहे। साथ ही लापरवाही बरतने वाले जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई भी हो ताकि संप्रेषण गृह के अन्य अमले में कार्रवाई का भय बना रहे ।