बिलासपुर 11 मई 2022/ मुख्यमंन्त्री भूपेश बघेल 12 मई को बिलासपुर हाई कोर्ट परिसर स्थित महाधिवक्ता कार्यालय के द्वितीय तल का वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये लोकार्पण करेंगे। लगभग 1 करोड़ 66 लाख की लागत से दूसरे तल का निर्माण लोक निर्माण विभाग द्वारा किया गया है। श्री बघेल रायपुर स्थित अपने निवास कार्यालय से दोपहर 12 बजे इसका लोकार्पण करेंगे।
उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ के परिसर में संचालित महाधिवक्ता कार्यालय वर्ष2011से भवन में संचालित है । संचालन के समय कार्यालय में भूतल तथा प्रथम तल ही निर्मित थे ।तत्कालीन व्यवस्था के समय उक्त भवन पर्याप्त था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मुख्यमंत्रीत्व काल में उच्च न्यायालय में प्रकरणों की वृद्धि के फलस्वरूप अतिरिक्त विधि अधिकारियों की आवश्यकता तथा उनके कार्य हेतु अतिरिक्त स्थान की आवश्यकता अनुभव की गई । महाधिवक्ता सतीश चन्द्र वर्मा के प्रयास तथा मुख्य मंत्री के नेतृत्व में उनके सकारात्मक पहल के फलस्वरूप महाधिवक्ता कार्यालय का द्वितीय तल का भवन विगत 18 माह में लोक निर्माण विभाग द्वारा पूर्ण कराया गया । द्वितीय तल भवन के निर्माण की लागत 165.86 लाख रूपये आई है। उक्त द्वितीय तल में पर्याप्त बैठने की व्यवस्था हेतु कक्ष, पार्टीशन, फर्नीचर, कूलिंग आदि की पर्याप्त व्यवस्था किया गया है । वर्तमान परिवेश में कार्यालय के स्टाफ हेतु उक्त भवन का उपयोग किया जायेगा तथा भूतल एवं प्रथम तल में स्टाफ द्वारा रिक्त किये गये कक्षों में पार्टीशन आदि करा कर विधि अधिकारियों एवं आगंतुक प्रभारी अधिकारियों के लिये पर्याप्त व्यवस्था किया जा रहा है।
महाधिवक्ता सतीश चन्द्र वर्मा द्वारा मुख्यमंत्री के नेतृत्व में उच्च न्यायालय में लंबित एवं नवीन दायर प्रकरणों में वृद्धि के फलस्वरूप उनके शीघ्र निष्पादन का उद्देश्य रखते हुए विधि अधिकारियों के कई पदों के सृजन की स्वीकृति शासन से दिलाई गई। वरिष्ठ अधिवक्ताओं का सम्मान समारोह आयोजित कर उनके विधि व्यवसाय हेतु किये गये योगदान तथा मार्गदर्शन हेतु उन्हें सम्मानित किया गया। सभी विधि अधिकारियों एवं पैनल अधिवक्तओं को टेब का वितरण, कार्यालय के डिजीटलाईजेशन कराने के फलस्वरूप दायर प्रकरणों के संबंध में वाद आदि उसी दिवस संबंधित विभागों के अधिकारियों को उपलब्ध कराने के फलस्वरूप शासन के विभागों के अधिकारियों के समय, श्रम की बचत हुई तथा आवागमन में होने वाली असुविधा नहीं हुई, ताकि वे शासन का कार्य लोकहित में अत्यंत उत्साह पूर्वक कर सकें। वही न्यायालय में दर्ज प्रकरणों के निष्पादन में त्वरित गति प्राप्त हुई जिससे राज्य शासन द्वारा लोकहित में अनेक निर्णय शीघ्र लिये गये।