बिलासपुर।अरपा बचाओ अभियान बिलासपुर एवं अरपा उद्गम बचाओ संघर्ष समिति पेंड्रा के संयुक्त तत्वाधान में एक प्रतिनिधिमंडल ने गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले की कलेक्टर रिचा प्रकाश चौधरी से मुलाकात की एवं पेंड्रा स्थित अरपा उद्गम के संवर्धन संरक्षण हेतु भूमि का अधिग्रहण कर कुंड का निर्माण और सहायक नदियों के उद्गम के संरक्षण के लिए ज्ञापन सौंपा। कलेक्टर ने प्रतिनिधि मंडल को इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है।
अरपाबचाओ अभियान के तहत उद्गम से संगम तक की हर वर्ष जन जागरण यात्रा निकालने वाले डॉक्टर सोमनाथ यादव संयोजक अरपा बचाओ अभियान बिलासा कला मंच का दल 11 मई को पेंड्रा पहुंचा ।अरपा बचाओ अभियान दल ने अरपा उद्गम पेंड्रा की प्रतीकात्मक पूजा अर्चना करने के बाद कलेक्टर गौरेला पेंड्रा मरवाही रिचा प्रकाश चौधरी से मुलाकात की और अरपा उद्गम पेंड्रा के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल ने कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन में बताया कि गौरेला पेंड्रा मरवाही एवं बिलासपुर जिले की जीवनदायिनी नदी अरपा के प्रति छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी का प्रेम एवं संवेदनशीलता सर्वविदित है। अरपा नदी के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए उनकी सोच का परिणाम है कि अरपा नदी के उद्गम स्थल से लेकर संगम तक बारहमासी पानी के बहाव की योजना के तहत छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अरपा बेसिन विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है।
इसके अलावा छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार द्वारा अरपा के प्रति सम्मान का भाव प्रकट करते हुए छत्तीसगढ़िया कवि नरेंद्र वर्मा के गीत अरपा पैरी के धार को राज गीत का दर्जा दिया गया है।इसी के साथ नवगठित जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही के उद्घाटन अवसर 10 फरवरी 2020 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा अरपा नदी के उद्गम स्थल पेंड्रा में अरपा महोत्सव मनाने का निर्णय किया गया जिसके बाद लगातार दूसरी बार पेंड्रा में अरपा महोत्सव का आयोजन किया गया है ।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा अरपा महोत्सव 2021 के समापन अवसर पर अरपा नदी के उद्गम के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए जिस तरह से कहा गया है कि अरपा का उद्गम वही है जहां पुरखों ने बताया है। उसी अवसर पर राजस्व एवं गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के प्रभारी मंत्री जयसिंह अग्रवाल जयसिंह अग्रवाल ने कहा था कि पेंड्रा स्थित अरपा उद्गम को राजस्व रिकॉर्ड ओं में चिन्हित किया जाएगा जिसके बाद से लोगों में विश्वास है कि पेंड्रा से निकली अरपा उद्गम का संरक्षण एवं संवर्धन हो सकेगा परंतु मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद अरपा उद्गम पेंड्रा को अब तक राजस्व रिकार्डो में ना तो चिन्हित किया गया है और ना ही उद्गम की भूमि का अधिग्रहण किया गया है जिससे अरपा नदी के प्रेमियों का धैर्य टूट रहा है। वर्ष 2016 में अरपा उद्गम की भूमि को जिस तरह से जमीन मालिक द्वारा सैकड़ों ट्रक मिट्टी से पाटा गया और उसका डायवर्सन किया गया जबकि पूर्व में अरपा उद्गम पेंड्रा के संरक्षण हेतु सिंचाई विभाग द्वारा शासन को स्टाफ डेम एवं भूमि अधिग्रहण से संबंधित 8 करोड़ की योजना प्रस्तावित की थी परंतु योजना का क्रियान्वयन ना होने से अरपा नदी प्रेमी जनमानस उद्वेलित है। प्रतिनिधिमंडल ने कलेक्टर से मांग की है कि मुख्यमंत्री एवं राजस्व मंत्री की घोषणा के अनुरूप अरपा उद्गम पेंड्रा की भूमि से पार्टी गई मिट्टी हटाई जा कर उक्त भूमि का अधिग्रहण कर वहां स्टॉप डेम या कुंड कुंड का निर्माण कराया जाए ताकि अरपा उद्गम पेंड्रा का संरक्षण एवं संवर्धन किया जा सके। प्रतिनिधिमंडल ने मांग की है कि इसके साथ सहायक नदियों के उद्गम का भी संरक्षण किया जाना चाहिए।
कलेक्टर से मिलने गए प्रतिनिधिमंडल में डॉक्टर सोमनाथ यादव संयोजक अ र पा बचाओ अभियान, डॉक्टर सुधाकर बिबे, महेश श्रीवास, राजेंद्र मौर्य, अजय तिवारी, सतीश पांडे, बिलासा कला मंच बिलासपुर तथा अरपा उद्गम बचाओ संघर्ष समिति पेंड्रा केअक्षय नामदेव, वरिष्ठ समाजसेवी दुर्गा प्रसाद अग्रवाल, रामनिवास तिवारी, गणेश पांडे, जिला कांग्रेस कमेटी के सचिव पीतांबर सिंह मार्को, आदिवासी नेताभागवत सिंह मार्को सहित अरपा उद्गम बचाओ संघर्ष समिति पेंड्रा के सदस्य उपस्थित थे।
नदियों के संरक्षण में पेड़ पौधों की भूमिका पर संगोष्ठी आयोजित
अरपा बचाओ अभियान बिलासा कला मंच बिलासपुर एवं अरपा उद्गम बचाओ संघर्ष समिति पेंड्रा के संयुक्त प्रतिनिधि मंडल द्वारा द्वारा कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने के बाद नदियों के संरक्षण में पेड़ पौधों की भूमिका विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें सदस्यों ने विचार रखें। अरपा बचाओ अभियान के संयोजक डॉक्टर सोमनाथ यादव ने कहां की नदियों को बचाना है तो अधिकाधिक पेड़ पौधे लगाए जाएं। हरियाली और नदी एक दूसरे के पूरक है। उन्होंने कहा कि भूजल का दोहन तथा जंगलों की कटाई से जल स्तर नीचे जा रहा है जल स्रोत एवं नदियां सूख रही है। छोटे नदी नालों के उद्गम एवं बहाव क्षेत्र के अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो गया है। निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर इनके संरक्षण के लिए समाज को अभियान चलाने की जरूरत है। इस अवसर पर सतीश पांडे ने कहा कि यदि जल का संरक्षण करना है तो पौधों का संरक्षण करना होगा। अधिक से अधिक फलदार पौधे लगाकर किसान आर्थिक समृद्धि के साथ जल के संरक्षण में भी सहायता कर सकते हैं। अन्य उपस्थित जनों ने भी इस संबंध में अपने ज्वलंत विचार रखें।