छत्तीसगढ़ के सहकारी संस्थाओं के अंदर कुछ हलचलें है अंदरखाने में ये बातें आ रही है कि सहकारी संस्थाओं का निर्वाचन हुए अभी 3 वर्ष भी नही हुआ था, और अब नई नई सरकार बनी है, और इस नई सरकार के द्वारा इन्हें भंग कर दी गयी है। ऐसा कहा जा रहा है कि इस संबंध में सहकारी संस्थाओं के प्रबंधकों को पत्र भी मिल चुका है और प्रबन्धको ने सहकारी समिति के सदस्यों को शासन का पत्र भी प्रेषित कर दिया है ।जानकारी के मुताबिक बीते 7 अगस्त को ही समति भंग कर दी गयी थी लेकिन कल सोसाइटियों के दीवालों पर छग राजपत्र को चस्पा किये जाने के बाद इसकी अधिकृत जानकारी सामने आई। हांलाकि सरकार की तरफ से यही काम अभी तक बचा हुआ है कि सरकार इस संबंध में औपचारिक घोषणा कब करती
इधर सहकारी संस्थाओं के चुने हुए प्रतिनिधियों की माने तो कह रहे हैं, की सरकार निर्वाचित लोगों की संस्था को भंग कैसे करती है ? ये तो चुने सीधे किसानों से जाते हैं, तो भंग करने, या समयावधि पूर्ण हुए कैसे यह सब करेगी, अगर सरकार ऐसा करेगी तो बहुतों ने कोर्ट जाने की भी तैयारियां पूर्ण कर ली हैं। जानकारों की मानें तो उनका मत भी इस बात से सहमत नजर आता है, हाँ मनोनीत लोगों के संबंध में सरकार ऐसा फैसला ले सकती है, पर निर्वाचन प्रक्रिया पूर्ण कर आए प्रतिनिधियों के संबंध में ऐसा करना मुश्किल है।