
,बिलासपुर।स्वास्थ्य एवं पंचायत मंत्री टी एस सिंहदेव ने आखिरकार पंचायत विभाग से मुक्ति पा लिया और मुख्यमंत्री को 4 पेज का पत्र भेजकर सारी बातें स्पष्ट कर दी है तमाम तरह के कयास लगाने और इस्तीफे पर राजनीति करने वालों के लिए श्री सिंहदेव ने कोई गुंजाइश नहीं छोड़ा है लेकिन उन्होंने अपने पत्र में अपनी व्यथा का जिस तरह से खाका खींचा है उसकी चर्चा विधानसभा चुनाव तक तो होगी ही ,भाजपा के हाथ में भले ही इस्तीफे को लेकर कुछ भी नही आ पाया लेकिन ये भाजपा है ऐसे ही इस मुद्दे को हाथ से जाने नही देगी और पत्र के एक एक शब्द का उपयोग राजनैतिक लाभ के लिए करने से वह चुकने वाली नही है ।प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा सवाल तो उठेगा ही कि आखिर श्री सिंहदेव को ऐसा मार्मिक पत्र क्यों लिखना पड़ा ? हालात तो बहुत पहले से विपरीत थे तो फिर उन्हे पत्र लिखने में और विभाग का दायित्व छोड़ने में भला इतनी देर क्यों लग गई ?
जब जब ढाई ढाई साल का मुद्दा उठा तब तब सारी नजरें श्री सिंहदेव की तरफ हो जाती थी यह उत्सुकता में कि उनका अगला कदम क्या होगा ?भाजपा के नेता तो श्री सिंहदेव के इस्तीफे का इंतजार काफी अरसे से करते आ रहे है मगर हर बार श्री सिंहदेव भाजपा को माकूल जवाब देकर भाजपा की उम्मीदों पर पानी फेरते आ रहे है मगर इस बार लगता है कांग्रेस की अंदरूनी टसल पार्टी हाईकमान तक पहुंचे बगैर हल नहीं होगा । कांग्रेसी शासित राज्य को अस्थिर करने का आरोप भाजपा के ऊपर लगाया जाता रहा है लेकिन रिकॉर्ड बहुमत वाली छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के खिलाफ भाजपा की दाल नहीं गल पा रही है लेकिन भाजपा को टी एस सिंह देव से बड़ी उम्मीद है मगर हर बार टी एस सिंहदेव से भाजपा गच्चा खा जाती है। 70 विधायकों के बहुमत वाली छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने की कोशिश भाजपा को दूर दूर नजर नहीं आ रही ऐसे में सिंहदेव का एक विभाग छोड़ना भाजपा को सिर्फ एक उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है ।सिंहदेव के इस कदम से कांग्रेस की गुटीय राजनीति पर क्या असर पड़ता है यह आने वाले दिनों में स्पष्ट हो जाएगा ।
श्री सिंहदेव ने खुली किताब की तरह अपनी बात रख दी है इसका असर भूपेश बघेल सरकार पर भले ही न पड़े लेकिन श्री सिंहदेव का मुख्यमंत्री को लिखा गया भावनात्मक लेकिन विवशता और लाचारी भरा पत्र का एक एक मजनून प्रदेश भर में फैल चुका है और लोग इस पर तरह तरह के बातें करने लगे है।इस पत्र पुराण से कांग्रेस की राजनीति में उबाल आए या न आए मगर फिलहाल श्री सिंहदेव के प्रति लोगो की सहानुभूति अवश्य हो गई है ।चुनावी साल के शुरुआत में छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस में हंगामे को भाजपा हर संभव हवा देने की कोशिश करेगी ताकि कांग्रेस में विधानसभा चुनाव आते तक अस्थिरता का माहौल बना रहे ।



