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November 21, 2024 7:10 pm

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हुजूर आते आते बड़ी देर कर दी !भाजपा को पिछड़ा वर्ग को साधने अब आई याद जबकि राज्य बनने के बाद कांग्रेस ने शुरू से ही संगठन और अन्य महत्वपूर्ण पदों पर पिछड़ा वर्ग को ही जिम्मेदारी दी जिसका नतीजा राज्य में कांग्रेस सत्ता सीन है और भाजपा विपक्ष में

बिलासपुर । हुजूर आते आते बड़ी देर कर दी यह बात छत्तीसगढ़ भारतीय जनता पार्टी के ऊपर एकदम फिट बैठती है। पिछले 15 वर्षों में भारतीय जनता पार्टी को पिछड़ा वर्ग का ख्याल नहीं आया और अब जाकर प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के पद पर पिछड़ा वर्ग के नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है हालांकि पिछड़ा वर्ग से विधानसभा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष तथा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के रूप में सिर्फ धरमलाल कौशिक को ही पार्टी ने आगे किया जबकि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद कांग्रेस संगठन के 20 वर्षों का लेखा-जोखा किया जाए तो यही पता चलता है कि सत्ता से बाहर रहने के बाद भी कांग्रेस ने पिछड़ा वर्ग को सबसे ज्यादा हिस्सेदारी दी ।याद करें छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कार्यकाल में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग रामानुज लाल यादव थे। उसके बाद मोहन मरकाम को छोड़कर बाकी सारे अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग से ही थे नंद कुमार पटेल, धनेंद्र साहू ,डॉ चरणदास महंत और भूपेश बघेल ये सारे नेता पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यकाल में क्योंकि वे पिछड़ा वर्ग से ही है इसलिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान पहली बार आदिवासी वर्ग से मोहन मरकाम को बनाया गया उनका भी कार्यकाल खत्म होने को है ऐसे में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के रूप में किसका चयन करती है यह आने वाले दिनों में स्पष्ट हो जाएगा लेकिन पिछले 20 वर्षों का इतिहास देखा जाए तो कांग्रेस सत्ता में 3 साल रहने के बाद और फिर भाजपा शासन के 15 वर्षों में प्रदेश के पिछड़ा वर्ग के तमाम नेताओं को उपकृत करते हुए 50 से भी अधिक जातियों वाले पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को यह एहसास कराया कि कांग्रेस पिछड़ा वर्ग का साथ नहीं छोड़ने वाली है और भूपेश बघेल के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में घूमकर पिछड़ा वर्ग के लोगों को जागृत किया गया जिनमें प्रमुख रूप से कुर्मी यादव और साहू समाज के लोगों को कांग्रेस संगठन और सत्ता में महत्त्व देने की बात कही गई ।इसका असर यह हुआ कि प्रदेश के आदिवासी और पिछड़ा वर्ग के वोटर एक तरफा कांग्रेस के पक्ष में आ गए और भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।सत्ता में आने के बाद भी कांग्रेसमें ने कुर्मी यादव और साहू समाज के लोगों को न केवल संगठन में बल्कि सत्ता में भी महत्वपूर्ण पदों पर जिम्मेदारी दी। प्रदेश अध्यक्ष को छोड़कर महापौर और निगम तथा आयोग और मंडलों में भी पिछड़ा वर्ग के लोगों को तरजीह दी गई उदाहरण के लिए महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमई नायक अपेक्स बैंक के अध्यक्ष बैजनाथ चंद्राकर , शाकंभरी बोर्ड के अध्यक्ष रामकुमार पटेल ,दुग्ध महासंघ के अध्यक्ष विपिन साहू ,तेलगानी बोर्ड के अध्यक्ष संदीप साहू ,बीज निगम के अध्यक्ष अग्नि चंद्राकर समेत अन्य महत्वपूर्ण पदों पर भी पिछड़ा वर्ग के लोगों को कांग्रेस और भूपेश बघेल की सरकार ने महत्व दिया है ।विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत भी पिछड़ा वर्ग से ही आते है । तो गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू भी पिछड़ा वर्ग के है ।कांग्रेस संगठन और भूपेश बघेल सरकार ने पिछड़ा वर्ग के लोगों को जिस तरह आगे कर अपना वोट बैंक सुरक्षित किया है उसको समझने में भारतीय जनता पार्टी ने बहुत देर कर दी 15 साल सत्ता में रहने के दौरान भारतीय जनता पार्टी पर यह आरोप लगता रहा है कि उसने सामान्य वर्ग के और धन्ना सेठों को महत्त्व दिया तथा पिछड़ा वर्ग को उतना महत्व नहीं दिया जितना कि कांग्रेस ने 20 वर्षों में दिया । डा रमन सिंह भले ही 15 साल मुख्यमंत्री रहे लेकिन प्रदेश का एक बड़ा तबका उन्हे छत्तीस गढ़िया नही माना और तो और भाजपा का एक गुट उन्हे अक्सर प्रताप गढ़िया बताने से नही चुके ।भारतीय जनता पार्टी के सत्ता से बेदखल होने और 14 सीटों पर सीमेंट जाने के पीछे एक बहुत बड़ा कारण यह भी है। इस बात को समझने में भारतीय जनता पार्टी को साढ़े 3 साल लग गए। अब जब बात समझ में आई तब तक सिर से पानी निकल चुका था ।उस भूल को सुधारने के लिए भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने अब जाकर पिछड़ा वर्ग को साधना शुरू किया है ।भारतीय जनता पार्टी ने 22 साल पहले ताराचंद साहू को प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया था उसके बाद तमाम प्रदेश अध्यक्ष आदिवासी ही रहे। अब भूल सुधारने की बारी आई तो सबसे पहले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के पद पर अरुण साहू सांसद को यह जिम्मेदारी दी गई ।उसके बाद भाजपा नेताओं ने सोचा कि सिर्फ साहू मतदाताओं को साधने से राज्य की सत्ता फिर से वापस नहीं आने वाली है इसलिए कुर्मी मतदाताओं को भी साधना जरूरी है फल स्वरूप नेता प्रतिपक्ष के रूप में कुर्मी विधायक नारायण चंदेल को यह जिम्मेदारी दी गई ।भाजपा के इस निर्णय से रायपुर संभाग के भाजपा नेताओं को कितनी तकलीफ हुई होगी यह बता पाना मुश्किल है ।भारतीय जनता पार्टी का यह निर्णय कितना सही है यह विधानसभा चुनाव के समय और प्रत्याशियों के चयन के बाद स्पष्ट हो सकेगा।

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