बिलासपुर । कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम 17 सितंबर से प्रदेश के 19 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करेंगे जहां पिछले चुनाव में कांग्रेस पराजित हुई थी और भारतीय जनता पार्टी बसपा तथा छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस की प्रत्याशियों की जीत हुई थी। विधानसभा में कुल 90 सीटों में अभी कांग्रेस के का 71 सीटों पर कब्जा है ।जिन 19 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस पराजित हुई है उसमें से 11 सीटें अविभाजित बिलासपुर जिले में है ।सत्तारूढ़ कांग्रेस बिलासपुर जिले के इन 11 सीटों पर अगर 3 साल पहले से ही ध्यान देती और विकास कार्यों को अंजाम दिया जाता तो प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष के दौरा करने और हार की समीक्षा तथा अगले विधानसभा में इन सीटों पर कांग्रेस की जीत कैसे हो यह विचार करने की नौबत ही नहीं आती ।
दरअसल अविभाजित बिलासपुर जिले में 19 विधानसभा सीटों में एक समय ऐसा भी था जब 80 के दशक में भारतीय जनता पार्टी को सीटों के लाले पड़ गए थे तथा 19 की 19 सीटों पर कांग्रेस को विजय मिली थी ।भारतीय जनता पार्टी ने मेहनत तो की जिसकी बदौलत इन 19 सीटों में से पिछले चुनाव में 7 सीटों पर कब्जा किया वही छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस ने 2 सीटों पर और बहुजन समाज पार्टी ने भी 2 सीटों पर जीत दर्ज की ।इस तरह कुल 19 सीटों में 11 सीटों पर विपक्ष ने और सत्तारूढ़ कांग्रेस ने 8 सीटों पर विजय हासिल की।
2 दिन पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल निजी दौरे पर बिलासपुर आए और सर्किट हाउस में कांग्रेस नेताओं और संगठन के पदाधिकारियों से जिले के हारी हुई सीटों के संबंध में चर्चा की तथा उन्होंने यह भी जानना चाहा कि आखिर संगठन स्तर पर क्या किया जाए कि इन हारे हुए सीटों पर कांग्रेस का कब्जा हो। यह जानकारी आई है कि अविभाजित बिलासपुर जिले की 11 हारी हुई सीटों पर तथा अन्य जिलों के 8 विधानसभा क्षेत्रों मैं कांग्रेस की स्थिति को मजबूत करने के लिए योजना बनाने उन विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करने कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम 17 सितंबर से निकलेंगे।
अविभाजित बिलासपुर जिले के जिन 11 विधानसभा क्षेत्रों में से 7 विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के विधायक हैं उनमें बिल्हा धरमलाल कौशिक ,मस्तूरी डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी ,बेलतरा रजनीश सिंह, मुंगेली पुन्नूलाल मोहले ,चांपा नारायण चंदेल, अकलतरा सौरभ सिंह ,रामपुर ननकीराम कंवर शामिल है ।इसी तरह बहुजन समाज पार्टी के तीन विधायक पामगढ़ श्रीमती इंदु बंजारे ,जैजैपुर केशव चंद्रा और छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के विधायक कोटा से श्रीमती रेणु जोगी और लोरमी से धर्मजीत सिंह ठाकुर शामिल है । शेष 8 गैर कांग्रेसी विधायक यानी भाजपा के रायपुर बृजमोहन अग्रवाल ,धमतरी श्रीमती रंजना साहू ,भाटापारा शिवरतन शर्मा, राजनांदगांव डॉ रमन सिंह, कुरूद अजय चंद्राकर, वृंदा नवागढ़, डमरुधर पुजारी और वैशाली नगर विद्या रतन भसीन है जबकि बलौदा बाजार से छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के विधायक प्रमोद शर्मा है।
इस तरह जांजगीर जिले में भाजपा के दो विधायक और बसपा के दो विधायक हैं ।बिलासपुर जिले में तीन भाजपा के विधायक और एक छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के विधायक हैं ।मुंगेली जिले में एक भाजपा और एक जनता कांग्रेस के विधायक हैं ।कोरबा जिले में रामपुर से बीजेपी के विधायक ननकीराम कंवर है ।
विधानसभा चुनाव को अब जबकि सिर्फ एक साल बचा है। सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेताओं को हारे हुए विधानसभा क्षेत्रों में जीत के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है और यह जानने की कोशिश होने लगी है कि आखिर इन हारी हुई सीटों पर विजय श्री कैसे मिले ?सत्तारूढ़ कांग्रेस यदि प्रदेश में सरकार बनाने के तुरंत बाद इन हारे हुए विधानसभा क्षेत्रों में लगातार ध्यान दिया जाता और पर्याप्त विकास कार्यों को अंजाम दिया जाता तो आज इन विधानसभा क्षेत्रों में चिंतन मनन करने के लिए दौरे करने की जरूरत नहीं पड़ती। इतना ही नहीं प्रदेश सरकार कांग्रेसी विधायक वाले कई विधानसभा क्षेत्रों में भी पर्याप्त विकास कार्य नहीं करा पा रही है जिसके चलते विधानसभा चुनाव में विपरीत स्थिति का सामना ना करना पड़ जाए ।अब जबकि प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बिलासपुर के सांसद अरुण साव को बनाया गया है और नेता प्रतिपक्ष भी पड़ोसी जिले से के विधायक नारायण चंदेल को बना दिया गया है ऐसी स्थिति में बिलासपुर संभाग में विधानसभा चुनाव में व्यापक असर पड़ सकता है। नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव पूरे बिलासपुर जिले का सघन दौरा कर रहे हैं। इसका असर जाति और सामाजिक तौर पर भी पड़ेगा।
यह माना जाता रहा है कि पिछले विधानसभा चुनाव में आर आर एस ने भाजपा को परोक्ष रूप से सहयोग नही किया इसी लिए भाजपा की करारी हार हुई और सत्ता से बेदखल होना पड़ा लेकिन इस बार साल भर पहले छत्तीसगढ़ भाजपा के शीर्ष पदों पर संघ के खटरास नेताओ को नियुक्ति कर देने से चुनाव संबंधी सारे निर्णय भाजपा के नेताओ के हाथ से निकल गया है यानि अगले चुनाव की कमान भाजपा ने पूरी तरह “संघ” के नेताओ को समर्पित कर दिया है ऐसे में कांग्रेस को भारी महंत करनी पड़ेगी।
अविभाजित बिलासपुर जिले को काटकर जांजगीर, कोरबा और मुंगेली जिला बनाए जाने के बाद बिलासपुर जिले में कुल 6 विधानसभा क्षेत्रों में से कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटें बिलासपुर और तखतपुर से ही संतोष करना पड़ा है जबकि 4 सीटों पर भाजपा और छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस ने कब्जा किया जग्गी पिछले चुनाव में 15 साल तक सत्ता में बैठी भाजपा के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी इस तरह हावी हुई कि पूरे प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी मात्र 14 सीटों पर सिमट कर रह गई लेकिन बिलासपुर जिले में इसका असर नहीं हो पाया और कांग्रेस 19 में से मात्र 8 विधानसभा क्षेत्रों पर ही जीत पाई 11 सीटों पर भाजपा बसपा और छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस ने कब्जा करके यह बता दिया कि अविभाजित बिलासपुर जिले में कांग्रेस की स्थिति प्रदेश के अन्य जिलों की अच्छी नहीं है ।भले ही सरगुजा और बस्तर संभाग में भाजपा का सफाया हो गया हो लेकिन बिलासपुर जिले में भारतीय जनता पार्टी की स्थिति अभी भी मजबूत है। इसका कारण भले ही कांग्रेस का गुटीय विवाद या कोई अन्य वजह होगी ।बिलासपुर से लगे डेढ़ दर्जन ग्राम पंचायतों दो नगर पंचायत और एक नगरपालिका को 3 साल पहले बिलासपुर नगर निगम में शामिल तो कर दिया गया लेकिन इन क्षेत्रों में विकास कार्यों के नाम पर कुछ भी नहीं हो रहा है उल्टे ग्राम वासियों से टैक्स वसूला जा रहा है ।ऐसे में मतदाताओं का कांग्रेस के पक्ष में आना आना मुश्किल जान पड़ रहा है ।यही नहीं इन ग्राम पंचायतों नगर पंचायतों और नगर पालिका जिसे नगर निगम में शामिल किया गया है राज्य सरकार द्वारा इन क्षेत्रों में विकास कार्य के लिए कोई भी बजट मंजूर नहीं किया गया है यहां तक की मुख्यमंत्री द्वारा 3 साल पहले बिलासपुर नगर निगम के लिए 15 करोड़ की राशि स्वीकृत करने की घोषणा की गई मगर 3 साल बीत जाने के बाद भी नगर निगम को ढाई करोड़ से ऊपर की राशि नहीं मिल पाई है इससे वार्डों में विकास कार्य अवरुद्ध है कांग्रेस के पार्षद भी विकास कार्यों को लेकर परेशान हैं।अब कांग्रेस के दो बड़े नेताओं के दौरे से विकास कार्यों पर कोई सकारात्मक बात होती है तो अब भी कुछ करने के लिए 6 से 9 माह बचे हुए है ।