नईदिल्ली ।एनआईए ने बंगाल से लेकर यूपी तक टेरर लिंक पर सर्जिकल स्ट्राइक किया है. बिहार लेकर से केरल तक पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर शिकंजा कसा जा रहा है. दरअसल, ये पूरा ऑपरेशन पीएफआई की कमर तोड़ने वाला ऑपरेशन है. जिसका मकसद आतंकी नेटवर्क को नेस्तनाबूद कर देना है. आतंकी साजिश की इस बड़ी लेब्रोरेटरी पर गुरुवार को एनआईए और ईडी ने ऐसी दबिश दी है कि इन संगठनों से जुड़े लोग बुरी तरह बिलबिला उठे हैं.
पीएफआई के नाम दर्ज हैं कई मामले
एनआईए का ये आपरेशन अभूतपू्र्व है. ये अब तक का सबसे बड़ा और सबसे सॉलिड प्रहार भी है. पीएफआई के तमाम ठिकानों पर चुन-चुनकर छापेमारी की जा रही है. एनआईए के छापे कितने बड़े हैं इसकी अंदाजा उन धरना प्रदर्शनों को देखकर लगाया जा सकता है, जो जगह हो रहे हैं. पीएफआई के नाम एक से बढ़कर एक साजिश दर्ज है. देश को तोड़ने.. पीएम जैसी बड़ी शख्सियत को टारगेट करने और आतंकी प्लान बनाने में इस संगठन का नाम आगे रहा है. अब इसका पूरा हिसाब-किताब हो रहा है.
देशभर से पीएफआई कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी
एनआईए के इस एक्शन के दौरान 106 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. जिसमें अब तक सबसे ज्यादा 22 लोगों को केरल से गिरफ्तार किया गया है. जबकि, महाराष्ट्र और कर्नाटक से 20-20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनके अलावा तमिलनाडु से 10, असम से 9, उत्तर प्रदेश से 8, आंध्र प्रदेश से 5, मध्य प्रदेश से 4, पुडुचेरी और दिल्ली से 3-3 और राजस्थान से 2 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. एनआईए ने PFI के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओएमएस सलाम और दिल्ली अध्यक्ष परवेज अहमद को भी गिरफ्तार कर लिया है.
पीएफआई खात्मे की ओर
गिरफ्तारी और धरपकड़ का ये आंकडा लगाातार बढ़ रहा है. एनआईए की तैयारियों से साफ है कि साजिश करने वाले इस संगठन का कोई सिरा वो छोडना नहीं चाहते. पीएफआई पर जब भी एक्शन होता है वो अपना कोई और चेहरा सामने ले आता है. आतंकी साजिश से इंकार करने लगता है. लेकिन अब जांच एजेंसी के पास उसके खिलाफ इतने सबूत हैं कि उसकी दलीलों से दाल नहीं गलने वाली.
NIA के साथ कई एजेंसियां कर रही हैं कार्रवाई
एनआईए की देशभर में चल रही छापेमारी की तैयारी बेहद गोपनीय रखी गई थी. इसके लिए कई दौर की बैठके आयोजित की गई, जिनमें एनआईए के अलावा देश की और भी एजेंसियां शामिल थीं. यही वजह है कि गुरुवार की छापेमारी में अकेले एनआईए ही एक्शन में नहीं है, बल्कि उनके साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय (ED), आईबी (IB), आतंकवाद निरोधी दस्ता (ATS) और स्पेशल टॉस्क फोर्स (STF) भी शामिल है. इन एजेंसियों के अधिकारी अपने-अपने स्तर पर इस मेगा ऑपरेशन में शामिल हुए हैं.
छापेमारी की इनसाइड स्टोरी
अब हम आपको बताते हैं, इस मेगा ऑपरेशन की इनसाइड स्टोरी. जी हां, यहां जानना ज़रूरी है कि इस पूरे ऑपरेश की तैयारी कैसे की गई? कैसे इस ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाया गया? असल में इस ऑपरेशन की प्लानिंग काफी पहले और सोच-समझकर तैयार की गई थी. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), प्रवर्तन निदेशालय (ED) और राज्य सरकारों की पुलिस की तरफ से एक कोऑर्डिनेटेड ऑपरेशन तैयार किया गया था.
रात 1:00 बजे के आसपास यह ऑपरेशन पूरे देश में शुरू किया गया और उसके बाद सुबह तक पीएफआई और उससे जुड़ी गतिविधियों में शामिल लोगों को एजेंसीज की तरफ से उठा लिया गया. सूत्र बताते हैं कि वाकायदा इसके लिए कंट्रोल रूम बनाए गए थे. जहां से गृह मंत्रालय और इंटेलिजेंस ब्यूरो इस पूरे ऑपरेशन को मॉनिटर कर रहा था. पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के कार्यकर्ता और सदस्य कोई हंगामा न करें, इसलिए 6 कंट्रोल रूम बना करके मॉनिटर किया जा रहा था.
क्यों पड़ी छापेमारी की ज़रूरत
अब सवाल है कि आखिर पीएफआई पर छापे की जरूरत क्यों आ पडी? हम आपको ये भी बताते हैं. छापेमारी की कार्रवाई संबंधित अफसरों ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि टेरर फंडिंग, ट्रेनिंग कैम्प और संगठन में शामिल करने के लिए लोगों को उकसाने वाले पीएफआई के सदस्यों के यहां छापेमारी की जा रही है. पीएफआई के जरिए बिहार के फुलवारी शरीफ में गजवा-ए-हिंद स्थापित करने की साजिश की जा रही थी. जहां NIA ने हाल ही में दबिश दी थी. पीएफआई तेलंगाना के निजामाबाद में भी कराटे ट्रेनिंग के नाम पर हथियार चलाने की ट्रेनिंग दे रहा था. वहां भी NIA ने छापा मारा था. इसके अलावा कर्नाटक के हिजाब विवाद और प्रवीण नेत्तरू हत्याकांड में भी PFI का कनेक्शन सामने आया था.
प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी कर रहा है जांच
पिछले साल मार्च 2021 में यूपी एसटीएफ ने भी शाहीन बाग में स्थित PFI के दफ्तर की तलाशी ली थी. इससे पहले एक बार और भी PFI ऑफिस की तलाशी ली जा चुकी है. बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कथित रूप से मनी लॉन्ड्रिंग और विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर दिल्ली और यूपी के दंगों में पीएफआई की भूमिका की जांच कर रहा है.
कोलकाता से दस्तावेज बरामद
एनआईए ने पीएफआई से जुड़े कई दस्तावेज बरामद किए हैं. सूत्रों ने कहा कि कोलकाता के तिलजला इलाके के एक फ्लैट से पीएफआई और कुछ इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के पर्चे और पर्चे बरामद किए गए हैं. एनआईए के सूत्र हमें बता रहे हैं कि एसके मोखर ने पीएफआई का कार्यालय स्थापित करने के लिए जगह किराए पर ली थी. उनका पीएफआई से कोई संबंध नहीं है.
NIA के ऑपरेशन में शामिल हैं 1000 से ज्यादा जवान
जानकारी के मुताबिक पीएफआई के खिलाफ इस देश व्यापी छापेमारी अभियान में 4 आईजी, 1 एडीजी, 16 एसपी समेत 200 एनआईए के जवान शामिल है. जबकि राज्य पुलिस और सीएपीएफ के जवानों की संख्या लगभग 1000 है. इस ऑपरेशन की निगरानी के लिए 6 नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए. जबकि कमांड कंट्रोल सेंटर गृह मंत्रालय में बनाया गया है.
टीम को सौंपे गए PFI संदिग्धों के डोजियर
छापेमारी अभियान में शामिल टीमों को 200 से अधिक पीएफआई संदिग्धों के सभी डोजियर टीम को दिए गए हैं. जिसमें 150 से अधिक मोबाइल, 50 से अधिक लैपटॉप, आपत्तिजनक सामग्री, दस्तावेज, विजन दस्तावेज, नामांकन फॉर्म, बैंक विवरण आदि शामिल हैं. संदिग्धों की धरपकड़ के लिए एनआईए और एजेंसियों ने अपने-अपने स्थानों पर स्पॉटर लगाए हैं. छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम देने के बाद सभी बड़े अफसर अपने कार्यालयों में वापस आ गए हैं.
पीएफआई ने छापेमारी पर जारी किया बयान
छापेमारी के दौरान पीएफआई की वेबसाइट भी अचानक ठप हो जाने की खबर है. हालांकि संगठन के लोग उसे जल्द ठीक किए जाने का दावा कर रहे हैं. पॉपुलर फ्रंट ने एनआईए और ईडी के अपने राष्ट्रीय और राज्य के नेताओं के उत्पीड़न की निंदा की है. पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद (एनईसी) ने एनआईए और ईडी की देशव्यापी छापेमारी और भारत भर में अपने राष्ट्रीय और राज्य के नेताओं की गिरफ्तारी और उत्पीड़न और सदस्यों और संगठन के समर्थकों के खिलाफ डायन-हंट की निंदा की है.
संगठन की तरफ से कहा गया कि एनआईए के बेबुनियाद दावे और सनसनी फैलाने का मकसद पूरी तरह से आतंक का माहौल बनाना है. बयान में आगे कहा गया कि पॉपुलर फ्रंट केंद्रीय एजेंसियों को अपनी कठपुतली के रूप में इस्तेमाल करने वाले एक अधिनायकवादी शासन की किसी भी डरावनी कार्रवाई के सामने कभी भी आत्मसमर्पण नहीं करेगा और अपने प्यारे देश के संविधान की लोकतांत्रिक व्यवस्था और भावना को बहाल करने के लिए अपनी इच्छा पर दृढ़ रहेगा.
तीन संगठनों से मिलकर बना था PFI
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया 22 नवंबर 2006 को तीन मुस्लिम संगठनों के मिलने से बना था. इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिता नीति पसरई साथ आए. PFI खुद को गैर-लाभकारी संगठन बताता है. PFI में कितने सदस्य हैं, इसकी जानकारी संगठन नहीं देता है. हालांकि, दावा करता है कि 20 राज्यों में उसकी यूनिट है. शुरुआत में PFI का हेडक्वार्टर केरल के कोझिकोड में था, लेकिन बाद में इसे दिल्ली शिफ्ट कर दिया गया था.