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November 21, 2024 10:28 am

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खाता न बही , ईडी जो कहे वही सही!दिल्ली से आए दो दो धुरंधर वकील भी आईएएस बिश्नोई को रिमांड से नही बचा पाए, ईडी के खिलाफ जेल में सड़ा देने की धमकी और जबरिया कागजों में हस्ताक्षर कराने,सीएम के खिलाफ बोलने जैसे गंभीर आरोप क्या नक्कार खाने में तूती साबित होगी? ईडी की विश्वसनीयता पर सवाल तो उठेंगे ही

बिलासपुर । पिछले 3 दिनों से छत्तीसगढ़ में राजनीतिक और प्रशासनिक तौर पर भारी अफरातफरी का माहौल बना हुआ है। प्रवर्तन निदेशालय की टीम छत्तीसगढ़ में किसी सुनामी तूफान की तरह आ धमकी है और अधिकारियों नेताओं आई एस अधिकारियों के खिलाफ -जिस तरह ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है उससे पूरा छत्तीसगढ़ भौचक है । राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तो लगते ही रहेंगे लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों के मन में भारी डर का माहौल बन गया है ।यही नहीं जिन विभागों के आईएएस अफसरों के यहां ईडी ने छापे मारे हैं उन विभागों के जिला मुख्यालयों में बैठे अधिकारियों में भी इतना डर समा गया है कि वह लोग कहने लगे हैं कि क्या मालूम ईडी के राडार में हम लोग भी तो नहीं है और इसीलिए हम लोग फोन तक नहीं उठा रहे हैं ।ईडी ने आईएएस बिश्नोई व अन्य दो को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश करने के बाद 1 हफ्ते के लिए ट्रांजिट रिमांड पर लेने में सफल हो गई है और गिरफ्तार आईएएस बिश्नोई के पक्ष में आए दिल्ली के दो धुरंधर वकील भी कोर्ट में सुनवाई के दौरान बिश्नोई को ट्रांजिट रिमांड पर भेजने से नहीं बचा सके लेकिन आईएएस बिश्नोई की धर्मपत्नी ने जिस तरह की शिकायत मुख्यमंत्री से की है उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता ।यह अलग बात है कि अक्सर यह कहा जाता है कि आरोपी अपने अपराध में से बचने के लिए कुछ भी बोलते हैं लेकिन आईएस बिश्नोई की धर्मपत्नी ने एडी के खिलाफ जिस तरह की गंभीर शिकायतें की है उससे ईडी की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिन्ह लगना स्वभाविक है ।बिश्नोई की धर्मपत्नी ने जो शिकायत की है उसमें ईडी द्वारा राजनीतिक दुर्भावना वश भी कार्यवाही की बू आती है ।श्रीमती बिश्नोई का आरोप है कि ई डी के लोगों ने उन पर भारी दबाव डालते हुए जेल में सड़ा देने की धमकी लेते हुए कहां है कि वे जैसा कहते हैं वैसा बयान दे तथा मुख्यमंत्री का भी नाम ले। आरोप में यह भी कहा गया है कि ईडी की टीम ने उनसे दुर्व्यवहार करते हुए कागजातों पर जबरन दस्तखत करवाए हैं ।यह मुद्दा निश्चित तौर पर राजनीतिक स्तर पर जोर पकड़ेगा और प्रमुख चुनावी मुद्दा भी बनेगा लेकिन फिलहाल यही कहा जा सकता है कि खाता न बही और ई डी जो कहे वही सही । ई डी तो अभी छत्तीसगढ़ में सर्व शक्तिमान की भूमिका में है जिसके आगे पीछे अगल बगल उसकी कार्रवाई पर उंगली उठाने की किसी की हिम्मत नही है ।आई ए एस विश्नोई की पत्नी ने हिम्मत तो दिखाई है उसके आरोपो में कितनी सच्चाई है यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन उसे यह भी बताना होगा कि उसके घर से ई डी ने कथित तौर पर नकदी और सोना ,हीरा आदि जब्त किए हैं वह कहां से आए ?ये लड़ाई लंबी चलेगी और बिश्नोई को कितने दिनों /साल तक सलाखों के पीछे रहना पड़ेगा यह भी कोई बता नही पाएगा ।मामला सिर्फ बिश्नोई का ही नही है अभी तो ई डी ने सिर्फ 3 लोगो की कुंडली खोली है आगे तो और भी कई आई ए एस को कोर्ट के कटघरे में खड़े करने की तैयारी है ।उधर दिल्ली में 36 हजार करोड़ के नान घोटाले के मामले पेशी बढ़ती जा रही है ।

छत्तीसगढ़ में आज क्या हुआ ? छत्तीसगढ़ में प्रवर्तन निदेशालय-ई डी ने छापेमारी के बाद गुरुवार को पहली बड़ी कार्रवाई की है। ई डी ने चिप्स के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और IAS अधिकारी समीर विश्नोई को गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश किया। जहां ई डी ने कोर्ट को बताया है कि, समीर विश्नोई के घर में 4 किलो सोना और 20 कैरेट हीरा मिला है। इसके साथ 47 लाख रुपए कैश मिला है। ईडी की टीम ने 7 दिन की ट्रांजिट रिमांड मांगी है। इस रिमांड का विरोध करने कुछ नामी वकील भी आरोपियों की तरफ से कोर्ट में बहस की । बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने ई डी की मांग स्वीकारते हुए ट्रांजिट रिमांड पर दे दिया है । ई डी ने जो सोना जब्त करना बताया है उसकी कीमत 2 करोड़ 20 लाख रुपए बताई जा रही है। आई ए इस समीर विश्नोई को कोर्ट में पेश करने से पहले मेकाहारा में उनका मेडिकल चेकअप भी कराया गया । उनके अलावा कारोबारी सुनील अग्रवाल, लक्ष्मीकांत तिवारी की गिरफ्तारी हुई है। बताया जा रहा है कि, नवनीत तिवारी को भी हिरासत में लिया गया है। इन सभी पर कोयला कारोबारियों से अवैध लेनदेन और आय से अधिक संपत्ति जैसे आरोप हैं।आरोप सही हो या गलत मगर ई डी जिस पर हाथ डाल दे उसके लिए घोर परेशानी का दौर तो शुरू ही हो जाता है ।राजनैतिक वर्चस्व की लड़ाई में अभी बहुत लोगो को पिसना और परीक्षा देना बाकी है ।अभी तो रायगढ़ ,कोरबा में ई डी क्या चमत्कार दिखाती है उसका विवरण आना बाकी है ।किसी कलेक्टर के निवास को सील करने और कलेक्ट्रेट को ही घेर कर रखने का मामला अपने आप में पहला और विचित्र है ।कलेक्टर को घेरने और किसी को भी आने जाने नही देने के मामले में ई डी को पब्लिसिटी तो मिल ही गई है ।

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