प्रवर्तन निदेशालय यानि ई डी ने पिछले 4 दिनो का हिसाब ट्यूटर में दे दिया है ।यही हिसाब पिछले 3 दिनो से दिल्ली के गलियारों में गूंज रहा था लेकिन छत्तीसगढ में सक्रिय ई डी की टीम यह हिसाब न बताकर गोपनीय रखा था।अधिकृत तौर पर बताने से परहेज किया जा रहा था । ई डी की मानें तो अभी तक सिर्फ आई ए एस समीर विश्नोई और दो अन्य के खिलाफ ही ई डी ने कार्रवाई की है ।इतना तो है कि ई डी के गिरफ्त में कई बड़े तुर्रम खां आए है और दिल्ली मुबई की जेलो में बंद होकर छटपटा रहे है लेकिन कुछ भी नही कर पा रहे ।अब तो उनसे जेल में मिलने वालों की संख्या भी नगण्य हो चुकी है ।सारे राजनैतिक दांव पेंच बेकार हो गए है ।कोर्ट भी उनकी नही सुन रहा ऐसे में छत्तीसगढ़ से गिरफ्तार लोगो को स्थिति उन लोगो से अलहदा तो नही हो सकती।आगे इन सबको कब तक जेल में रहना पड़ेगा यह अभी यक्षप्रश्न है । ई डी पर जो आरोप लगाए जा रहे है वैसे आरोप पहले भी लगते रहे है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक जजमेंट में ई डी को और भी मजबूत तथा निष्ठुर बना दिया है ।
बात करे छत्तीसगढ़ में ई डी की कार्रवाई और जब्ती का तथा लगाए जा रहे आरोपों का तो IAS और उसकी पत्नी को नियम मालूम होगा कि – 02 लाख से अधिक cash in hand रखना ग़ैरक़ानूनी है । उसी तरह 04 Kg Primary Gold रखना ग़ैरक़ानूनी है ।
इन सवालों से बचने के लिये लगाए जा रहे आरोपों को अदालती बोलचाल की भाषा में पेशबंदी बोलते हैं ।
अभी तो जाँच और पूछताछ प्रारंभिक स्थिति में है, कार्यवाही के संकेत बताते हैं- अभी तो सिर्फ अंगड़ाई है…. ट्रेलर है….. पिक्चर अभी बाकी है।
यह उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में देश के सबसे बड़े राजनीतिक डॉन के मोहरे अनिल देशमुख-नवाब मलिक, बड़बोले संजय राउत, दो पुलिस कमिश्नर (एक देश छोड़कर भाग गया, दूसरा ED के शिकंजे में है) दिल्ली का कट्टर ईमानदार स्वास्थ्य मंत्री ये सभी ऐसे नाम हैं जो ED से मुक्त होना तो दूर की बात है, अभी ज़मानत पर जेल से बाहर आने को तरस रहे हैं!(देशमुख और मलिक तो एक डेढ़ साल से जेल में है, कट्टर ईमानदार भी 04-06 माह से जेल में बंद है)
आप राजनीतिक लड़ाई बयान बाज़ी , सही/ग़लत आरोप प्रत्यारोप से लड़ सकते हैं लेकिन क़ानूनी लड़ाई आपको तथ्यों और ठोस सबूतों के आधार पर लड़ना पड़ेगा।
हो रही बयानबाज़ी को बौखलाहट समझा जाएगा,।अपने वैधानिक पक्ष कमजोर होने और अपने बचाव में ठोस सबूत नहीं होने के कारण बदहवासी में ये हरकतें करना भी समझा जा सकता है।
आरोपी गण बयानबाज़ी से न्यायालय को प्रभावित नहीं कर पाएँगे।(महाराष्ट्र और दिल्ली इसका उदाहरण है) अभी तो ज़मानत का आधार बताने में ही पसीना छूटेगा। वकीलों का और लक्ष्मी हाथ से छूटेगी आरोपियों की ।
अदालत में केस डायरी देखकर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद रिमांड दिया है मतलब केस डायरी (विवेचना के दौरान केस डायरी गोपनीय दस्तावेज होता है) में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है जो रिमांड का आधार बना है । रिमांड में पूछताछ पूरा होने के बाद संभव है आरोपियों को जेल भेज दिया जाए तब तक कुछेक और आरोपी पर ई डी का शिकंजा कस जाए ।बस उसके बाद सिवाय छटपटाने के और कोई विकल्प नहीं होगा ।राजधानी दिल्ली में लाखो और करोड़ों की फीस लेने वाले धुरंधर वकील है वे भी ई डी की पकड़ से मुक्त होने के लिए छटपटा रहे धुरंधर आरोपियों को राहत नहीं दिला पा रहे है इससे स्पष्ट होता है कि ई डी ने कितना मजबूत प्रकरण बनाया है ।अधिकारी ,उनके परिवार के लोग और राजनेता चाहे जैसा भी आरोप लगाते रहे ई डी पर कोई असर नहीं पड़ेगा ।