बिलासपुर ।छठ महा पर्व 31 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. सात्विक महत्व के इस पर्व पर उपासक परिवार जहां पूरी शुद्धता का ख्याल रखता है वहीं अर्घ्य देने के लिए वे तोरवा में बने विशाल छटघाट में पहुंचते है । बिलासपुर का छट घाट पटना के बाद देश का दूसरा बड़ा छट घाट माना जाता है । पाटलिपुत्र संस्कृति विकास मंच द्वारा छट महापर्व की तैयारी जोर शोर से की जा रही है ।
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√ छठ उपासक 1 नवंबर को खरना का प्रसाद ग्रहण करने के साथ शाम से उपवास शुरू कर देंगे. खरना के लिए पूरे दिन निर्जला उपवास रखेंगे और शाम को स्नान-ध्यान कर अरवा चावल और गुड़ की खीर व रोटी तैयार कर सूर्य को स्मरण कर प्रसाद ग्रहण करेंगी. इसी के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा, जो 2 नवंबर को डूबते और 3 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पूरा होगा.
आज से शुरू हो जाएगा सात्विक धर्म, श्रद्धालुओं ने की तैयारियां
इस बार छठ पर्व का शुभारंभ 31 अक्टूबर को नहाय खाय के साथ शुरू हो रहा है. इस दिन से पूजा संपन्न होने तक पूजक परिवार सात्विक धर्म का पालन करते हुए किसी भी तरह की अशुद्धता से दूर रहेंगे. इस दिन व्रती महिलाएं स्नान-ध्यान कर सेंधा नमक युक्त अरवा चावल, चने की दाल और लौकी की सब्जी का सेवन करेंगी। बिलासपुर में छठ पर्व मनाने वालों की संख्या लाखो में है । छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद तोरवा स्थित अरपा नदी पुल के नीचे हजारों वर्गफुट क्षेत्र में छठ पर्व मनाने घाट का निर्माण किया गया है । बिलासपुर छठ घाट की भव्यता और विशाल भूभाग को लेकर यही कहा जाता है कि यह छठ घाट बिहार पटना के बाद देश का दूसरा बड़ा घाट है । बिलासपुर के छठ पर्व में सांसद विधायक मंत्री मुख्यमंत्री से लेकर राजनैतिक दलों के तमाम नेता कार्यकर्ता शामिल होकर सूर्य को अर्ध्य दे देश प्रदेश की खुशहाली के लिए प्रार्थना करते है ।.
छठपर्व की तैयारी में पाटलिपुत्र संस्कृति विकास मंच के पदाधिकारियों एसपी सिंह , रोशन सिह ,अभय नारायण राय समेत अन्य पदाधिकारी व सदस्य दिनरात लगे हुए है ।
सूर्य देव की बहन छठ देवी करतीं है कृपा
•• छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं. पौराणिक ग्रंथों में भगवान श्री राम के अयोध्या आने के बाद माता सीता के साथ मिलकर कार्तिक शुक्ल षष्ठी को सूर्योपासना की थी. इसके अलावा महाभारत काल में कुंती द्वारा विवाह से पूर्व सूर्योपासना से बेटे की प्राप्ति से भी इसे जोड़ा जाता है. इसी कारण लोग सूर्यदेव की कृपा पाने के लिए भी कार्तिक शुक्ल षष्ठी को सूर्योपासना करते हैं.
पूजा में कब क्या
√ 31 अक्टूबर को नहाय-खाय
√ 1 नवंबर को खरना के साथ व्रत शुरू
√ 2 नवंबर को शाम डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य
√ 3 नवंबर को सुबह उगते सूर्य को दूसरा अर्घ्य