यह भी कहा;
*अरपा रिववाईल की बाते वास्तविकता से परे… नगर में बन रहे दो बैराजों से होगी प्रदूषण की समस्या-
*बैराज के निर्माण में मिलीभगत से हो रही है धांधली… पांच हजार करोड़ की लागत से अरपा विकास प्राधिकरण द्वारा अरपा को सवारने रखा गया था लक्ष्य –
बिलासपुर- पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने अधूरे विकास को तरसता बिलासपुर अभियान अंतर्गत अरपा नदी के संरक्षण और संवर्धन कार्य में दशकों से हो रही अनदेखी से बदतर हो रहे हालात के विरोध में आज धरना प्रदर्शन कर सरकार को जगाने का काम किया।श्री अग्रवाल ने कहा 1972 में सर्वप्रथम अरपा नदी में बैराज बनाकर बारहमासी जलापूर्ति की जानी थी। 1998 तक कोई कार्य नहीं हुआ, जब वे शहर के विधायक बने तो उन्होंने अविभाजित मध्यप्रदेश में अरपा नदी के संरक्षण संवर्धन के संबंध में मामले उठाए मगर बात नही बनी।उन्होने कहा न्यायधानी बिलासपुर की सभ्यता और संस्कृति पुण्य सलिला मा अरपा की देन है। पेंड्रा अंचल से उदगम से लेकर दो मोहानी में शिवनाथ के साथ मिलन के बाद अंत:सलिला मा अरपा की गोद मे अंचल के सैकड़ों गांव कस्बो और रहवासियों का जीवन दशकों से अरपांचल की पहचान बना है।अरपा नदी में बारहमासी पानी हो, ग्राम वासियों के निस्तार की निर्बाध आपूर्ति होती रहे इसके लिए तात्कालिक एवं दीर्घकालिक नियोजन के साथ अरपा की प्राकृतिक धरोहर का संरक्षण एवं संवर्धन किया जाना जरूरी है।
श्री अग्रवाल ने कहा जोगी जी ने सर्वप्रथम बैराज बनाकर अरपा नदी के संवर्धन पहल की लेकिन डाउनस्ट्रीम में बना होने के कारण सक्सेस नहीं हो सका।मा अरपा का विकास एवं संवर्धन प्रशासनिक परियोजना मात्र नही प्रत्येक नागरिक नैतिक जिम्मेदारी का विषय है। 2003 में जब हमारी सरकार बनी तो सबसे पहले हमने अरपा नदी उद्गम से लेकर संगम तक संरक्षण संवर्धन और विकास के लिए अरपा विकास प्राधिकरण का गठन किया। 100 वर्षों तक बारिश एवं पर्यावरणीय कारकों, जल प्रबंधन के विभिन्न आयामों पर निर्धारित सर्वे कराया जिसमें 6 वर्ष लग गए। अरपा का मास्टर प्लान हमने बनवाया। उक्त कार्य में आईआईटी गुवाहाटी एवं विशेषज्ञ समिति की मदद ली गई। अरपा का मास्टर प्लान लमेर से दोमुंहानी तक नदी के दोनों ओर 27 किलोमीटर की लंबाई में प्लान किया गया है। नदी की चौड़ाई 250 मीटर निर्धारित की गई थी। नदी की यह चौड़ाई अरपा में पिछले 100 वर्षों में आई बाढ़ तथा इस दौरान जल स्तर की माप के आधार पर निर्धारित की गई थी। नदी की चौड़ाई कई जगहों पर स्थानों पर 270 मीटर से लेकर 350 मीटर तक भी नापी गई थी । सर्वे में यह भी जानकारी सामने आई थी कि अरपा में बाढ़ आने पर जितना पानी नदी में आएगा, उसकी निकासी 250 मीटर की एक जैसी चौड़ाई होने का पानी आसानी से निकल जायेगा। नदी अब सकरी हो रही है।
अरपा विकास प्राधिकरण के तहत 6000 करोड़ों रुपए की योजना पर काम होना था
विभिन्न जगहों पर एनीकट और बैराज बनाए जाने थे। नदी क्षेत्र के विकासात्मक कार्यों के लिए ढाई सौ मीटर के दायरे में भू अर्जन के लिए रजिस्ट्री पर प्रतिबंध लगाया। मास्टर प्लान के बावजूद गरीबों को कभी भी भाजपा की सरकार ने नदी क्षेत्र से नहीं हटाया बल्कि उसी स्थान पर पहले पुनर्वास करते हुए चरणबद्ध क्रियान्वयन का काम किया।उन्होंने कहा प्राकृतिक धरोहरों का संरक्षण कोई जादू का खेल नहीं है, जो रातोरात हो जाये। इसके लिए वर्तमान एवं भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए अतीत से सीख लेकर तात्कालिक एवं दीर्घकालीन नियोजन एवं उसका समय पर क्रियान्वयन सबसे बेहतर परिणाम दे सकता है। लेकिन इसे चुनावी मुद्दा बनाकर 2013 और 2018 मुद्दा बनाकर झुग्गी वासियों में झुग्गी हटाने को लेकर भ्रामक प्रचार किया गया और 2018 में जब कांग्रेस की सरकार बनी दो महामारी के बावजूद 2 साल पहले कमीशन खोरी की सड़क बनाने में रातो रात बारिश के समय गरीबों की छत छीन ली गई और उन्हें हटा दिया गया, अनेक व्यापारियों का व्यवसाय प्रभावित हुआ। जो मुख्यमंत्री चुनाव के पहले ढोल मजीरा लेकर अरपा के विकास की बात करते थे, उन्होंने अरपा विकास प्राधिकरण को समाप्त कर दिया। कुछ दिनों से भी विकास बेसिन प्राधिकरण की घोषणा करके चुनाव पास आने पर फिर झुनझुना बजा रहे हैं, लेकिन मा अरपा के संरक्षण के लिए कोई सकारात्मक पहल सरकार ने 5 सालों में नहीं की। श्री अग्रवाल ने कहा अरपा बेसिन विकास प्राधिकरण के सदस्य सोशल मीडिया में खुलेआम रेत माफियाओं के द्वारा अरपा की छाती छलनी किए जाने पर रोक लगाने कहते है, लेकिन रेत माफियाओं का राज जारी है।अवैध रेत खनन से अरपा के इको सिस्टम पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है, रेत माफियाओं के आगे प्रशासन मोहताज है।अमर अग्रवाल ने कहा मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में अरपा विकास बेसिन प्राधिकरण को दिन महीने साल गुजर रहे हैं फिर भी सरकार और प्रशासन और विभिन्न विभाग बैठकों में ही गंभीरता दिखाते हैं।अरपा रिववाईल की बाते सुर्खियों में अच्छी लगती है, जमीनी हालात चुनावी लाभ उठाने के अलावा कुछ नहीं है। हमारे समय अर्बन विकास प्रक्रिया के तहत अभी तक अरपा स्थित कोनी से दोमुहानी तक काम किया जा रहा था। समय के साथ अरपा विकास का क्षेत्र बृहद ,हमने अरपा के समग्र विकास तेजी से नियोजन और क्रियान्वयन के प्रयास शुरू करवाये।
*अरपा में दो बैराज लेकिन पानी का पता नही* श्रीअग्रवाल ने कहा अरपा के विकास को लेकर सरकार गंभीर नही है।बड़ी-बड़ी बातें करने वालों ने अरपा नदी में दो बैराज बनाने का काम शुरू किया और कहते है बिलासपुर की जनता की इच्छा पूरी हो गई है। शिवघाट बैराज जल ग्रहण क्षेत्र-1998 वर्ग किमी बताया गया,पचरीघाट बैराज योजना जल संग्रहण क्षेत्र- 2000 वर्ग किमी बताया गया। मिले वर्क आर्डर से यह कार्य अब तक पूरा हो जाना था, अब तक पानी क्यों नहीं आया क्या इसका जवाब है?100 करोड़ रुपये की लागत से दो बड़े बैराज निर्माण को आखिर कब पूरे होंगे? शहर के 27 नालों का पानी कब तक नदी को प्रदूषित करते रहेगा? जगह जगह विकराल जलकुंभी कब तक नदी इलाके रहवासियों को जल जनित बीमारियों के आगे झोकते रहेंगे इसका जवाब सरकार के नुमाइंदों को देना चाहिए। उन्होंने दोहराया शहर के गंदे पानी क़ी निकासी के लिए नदी के दोनों किनारे नाले बनाए जाने हैं। इसकी वजह से शिव घाट और पचरी घाट में गंदा पानी जमा नहीं होगा। शहर में पेयजल का मुख्य स्रोत नदी का जल है । पर नदी में अपशिष्ट जल न आए और नदी का जल शुद्ध रहे उसके लिए दोनों ओर पांच किलोमीटर लंबा नाला निर्माण कब और कैसे होगा? शिवघाट और दूसरा पचरीघाट में दोनों ही बैराज में ड्राइंग, डिजाइन, और ईस्टिमेट के अनुसार कार्य नही किया जा रहा है। इस बात की चिंता जहां के जनप्रतिनिधियों को नहीं है वह तो कहते हैं काम पूरा हो गया, जनता की इच्छा पूरी हो गई।उन्होंने कहा निर्माणाधीन शिवघाट एवं पचरीघाट बैराज में भ्रष्टाचार का खुला खेल चल रहा है।ठेकेदार और अफसरों की मिलिभगत से अरपा नदी पर निर्माणाधीन शिव घाट बैराज एवं पचरीघाट बैराज में डायफ्राम वॉल डालने के आड़ में करोड़ों रुपए का जमकर भ्रष्टाचार किया गया है । पचरीघाट में पहले ही स्लैब की गलत सैंटरिंग करके ढलाई की गई है स्लैब में लगने वाली बैरिंग जिसके ऊपर पब्लिक का आना जाना होगा, इस बेरिंग में पूरे स्लैब का वजन आएगा जिसे गलत तरीके से लगाया गया है। बैरिंग का फंक्शन काम नहीं करेगा और भविष्य में स्लैब मे दरार होने सकतीं है इसे छिपाने के लिए सामूहिक मिलीभगत की वजह से वहां चारों तरफ से रेती भरकर और काले कलर की पन्नी डालकर ढलाई का काम शुरू किया गया है।बैरिंग,सेंटरिंग कार्य नियमों और मानकों के विरुद्ध है।
*घोषणाएं करके भूल जाना कांग्रेसियों की आदत*- नगर निगम और स्मार्ट सिटी लिमिटेड बिलासपुर के द्वारा अरपा नदी जल संवर्धन के लिए इंदिरा सेतु से शनिचरी रपटा तक और अरपा साडा की स्वीकृत विकास योजना के अनुसार नदी के दोनों किनारों पर 80 फीट चौड़ी फोरलेन सड़क औऱ नाला का निर्माण किया जा रहा है, इसकी अनुमति केंद्र से नहीं ली गई।उन्होंने बताया कि सरकंडा से मोपका तक नदी में मिलने वाले नालों के गंदे पानी को सीवरेज तक पहुंचाने के लिए योजना का डीपीआर नगर निगम स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से तैयार किया गया है। मंगला क्षेत्र के प्रदूषित पानी को रोकने के लिए करीब पांच किलोमीटर नाला और कोनी क्षेत्र के दूषित जल रोकने के लिए चार किलोमीटर लंबा नाला बनाने की योजना स्मार्ट सिटी लिमिटेड बिलासपुर क़ी ओर से बनाई गई है।अरपा नदी को संरक्षित, संवर्धित करने और इसके सौंदर्यीकरण के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत निर्माण कार्यों पर 95 करोड़ की राशि खर्च हो रही है । दोनों किनारों पर शहर में अट्ठारह सौ मीटर स्मार्ट सड़क का निर्माण किया जा रहा है।अधिकांश कार्य केंद्र सरकार की द्वारा दी गई राशि से हो रहे हैं।पिछले साल बिलासपुर नगर निगम के महापौर रामशरण यादव ने वन विभाग के कैम्पा मद से नदी किनारे 3 लाख पौधे लगाए जाने की बात कही थी। ग्रीन ट्रिब्यूनल के मानकों का ख्याल नहीं रखा जा रहा है।बीते घोषणाएं करके भूल जाना कांग्रेसियों की आदत है।
*अरपा को संवारने के बताएं उपाय:-*
श्रीअग्रवाल ने दोहराया कि मृतप्राय हो रही अरपा नदी बिलासपुर के इकोसिस्टम में जीवन का प्रमुख स्रोत है। उन्होंने कहा कि अरपा नदी पर 10 से ज्यादा बाँध बनाएं गये हैं। पिछले पाँच वर्षों से लगातार जलस्तर में कमी के कारण नदी में संचित पानी भी दिन व दिन घटता जा रहा है। वर्षाजल का अधिकांश भाग चेक डेम में संचित होता है, जो लोगों द्वारा इस्तेमाल कर लिया जाता है। इसके अतिरिक्त अरपा नदी की घाटी के चारों तरफ बिलासपुर के पास जंगलों की कटाई से प्रदूषण में वृद्धि हुई है।शहर का सारा कचरा ज्यों का त्यों बहकर नदी में जमा हो रहा है, नदियाँ सिर्फ सिंचाई और यंत्रीकरण का स्रोत नहीं है। निरंतर कचरों के बहकर नदी में जमा होने से नदी का पानी हमेशा के लिये अनुपयोगी हो रहा है। चेकडैम,एनीकट और बैराज बनाने के ईमानदार प्रयास हो। यदि अरपा के जल का शुद्धिकरण नहीं किया गया और पानी नहीं रोका गया तो जलस्तर नीचे जाएगा। भूगर्भीय जल को बचाना, नदी के तट को बांधने के लिए सघन वृक्षारोपण, नदी घाटियों इलाको के प्रभावी तरीके से विकास हेतु पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर एक स्पेशलएरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी की नियोजित सक्रियता, नदी क्षेत्र में बसाहट की जरुरत के मुताबिक व्यावसायिक रिहायशी मनोरंजन और अन्य सांस्थानिक सुविधाओं का विस्तार ,नदी के दोनों तरफा- पुल, सड़कों का निर्माण ,इन क्षेत्र में सतत जल आपूर्ति सीवरेज ड्रेनेज, विद्युत आपूर्ति की समुचित व्यवस्था, मौजूदा सीवरेज परिवहन प्रणाली को अपग्रेड करने के साथ अरपा को बचाने सभी लोगों की सामूहिक पहल से अरपा का संवर्धन एवं विकास बहुत तेजी से होगा।