बिलासपुर। संभागीय मुख्यालय में कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं का आज जमावड़ा है। विषय है आधा दर्जन हारे हुए सीटों पर कैसे कब्जा किया जाए ?संभाग के 24 विधानसभा क्षेत्रों में सिर्फ 12 पर ही कांग्रेस को पिछले विधानसभा चुनाव में सफलता मिल पाई थी।यह आश्चर्य का विषय और कांग्रेस के बड़े नेताओं के लिए चिंतन का सबब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में डॉ रमन सिंह की सरकार के खिलाफ भारी आक्रोश के बावजूद बिलासपुर संभाग में कांग्रेस का प्रदर्शन संतोषजनक क्यों नहीं रहा जबकि पूरे प्रदेश में कांग्रेस ने रिकॉर्ड बहुमत के साथ सरकार बनाया ।बिलासपुर जिले में तो कांग्रेस सिर्फ 2 सीटों पर कब्जा कर पाई। विधानसभा चुनाव को अब जबकि सिर्फ 5 महीने ही बचे हैं कांग्रेस के बड़े नेता चिंतन कर रहे हैं कि बिलासपुर संभाग में पार्टी की स्थिति मजबूत कैसे किया जाए?
यह सर्वविदित है कि पिछले कई चुनावों में कांग्रेस के लोगों ने पार्टी के प्रत्याशियों को हराया। फुलछाप कांग्रेसी नेताओं ने विधानसभा चुनाव में पार्टी निर्देशों के बाद भी भाजपा के प्रत्याशियों की मदद की और पार्टी की साख पर बट्टा लगाया इनमें से अधिकांश लोग आज भी विधानसभा टिकट के दावेदार हैं।कई लोग तो महत्वपूर्ण पदों पर भी है ।ये सारे लोग सुधर जाए तो कांग्रे स को सम्मेलन या चिंतन करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी ।पिछले चुनाव में संभाग में कांग्रेस की असफलता के लिए संगठन के पदाधिकारी भी जिम्मेदार हैं पिछले विधानसभा चुनाव ,लोकसभा चुनाव फिर नगर निगम चुनाव में पार्टी के कमजोर प्रदर्शन के बाद भी ऐसे लोग संगठन में आज भी काबिज है। उनको एक्सटेंशन दिया जा रहा है।एक से अधिक पदो पर रहते हुए ऐसे लोग पार्टी के लिए ,पार्टी के कार्यक्रमों के लिए इंतजाम अली की भूमिका में है लेकिन चुनाव की बारी आती है तो ये पार्टी को लाभ पहुंचाने में विफल साबित हुए है।
पिछले विधान सभा चुनाव में बिलासपुर में खुद जनता ने परिवर्तन के लिए संकल्प ले लिया था इसलिए कांग्रेस नेताओ को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी लेकिन फिर भी कई नेताओं ने पार्टी को नुकसान पहुंचाने कोई कसर नहीं छोड़ा था मगर शहर के वोटरों ने बदलाव के लिए ठान लिया था इसी वजह से भितरघाती कांग्रेसियों की नही चली अन्यथा भाजपा के कद्दावर नेता कहे जाने वाले अमर अग्रवाल चुनाव नही हारते।
बड़ा सवाल यह है कि पिछले चुनाव में भाजपा और रमन सिंह की सरकार के खिलाफ भारी जनाक्रोश होने के बाद भी बिल्हा,मस्तूरी और बेलतरा में कांग्रेस की हार क्यों हुई ?इन तीनो विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की मदद किन लोगो ने की इस पर कांग्रेस ने कोई चिंतन किया हो ऐसा नहीं लगता नही ।बेलतरा और बिल्हा में तो जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी कांग्रेस की हार का कारण बने ।जोगी कांग्रेस के दोनो प्रत्याशी आज कांग्रेस में है इस लिहाज से बेलतरा और बिल्हा अब कांग्रेस की झोली में जानी चाहिए लेकिन 4 वर्ष में राजनैतिक समीकरण बदला है। आम आदमी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी नए बदलाव और जोश खरोश के साथ विधानसभा चुनाव में उतरने जा रही है ।आज हो रहें कांग्रेस के संभागीय सम्मेलन में कई मुद्दों पर विचारो का आदान प्रदान हो रहा है लेकिन सफलता की कुंजी कहां से और कैसे मिलेगी इस पर भी चिंतन होगा यह कहना मुश्किल है । पूरे प्रदेश में बिलासपुर संभाग ही ऐसा है जहां पिछले चुनाव में मिला जुला परिणाम आया अगर बस्तर ,सरगुजा जैसे नतीजे बिलासपुर संभाग से भी आते तो भाजपा की सीटें 2 अंकों में भी नही पहुंच पाती।भाजपा को बिलासपुर संभाग से संजीवनी तो मिली ही ,बसपा और जोगी कांग्रेस को भी संभाग की जनता ने खाली हाथ नहीं लौटाया। अभी भाजपा के तेवर पहले से ज्यादा हमलावर दिख रहा है और चुनाव आते आते तक भाजपा क्या करेगी यह अंदाज लगाना मुश्किल है ।कांग्रेस नेता अबकी बार 75 पार का जो सपना देख रहे है उस पर पानी फेरने भाजपा तैयार बैठी है।कांग्रेस को तो बस्तर ,सरगुजा में कड़ी मेहनत की दरकार तो है ही ,बिलासपुर संभाग में संगठन के पदाधिकारियों,नेताओ और विधायकों को भारी पसीना बहाना पड़ेगा तभी कुछ सकारात्मक नतीजे की उम्मीद है अन्यथा बिलासपुर संभाग में भाजपा अपनी सीटे बढ़ाने,आम आदमी पार्टी अपना खाता खोलने और बसपा अपना वोट फीसदी में बढ़ोतरी तथा भाजपा कांग्रेस से सीट छीनने के लिए तैयार बैठी है। कांग्रेस को सबसे पहले अपने दावेदारों को नियंत्रित करने की जरूरत है और पार्टी की हार कारण वे दावेदार न हो इस दिशा में पहल की जरूरत है।
दावेदारों ने 43 डिग्री तापमान और भीषण गर्मी की परवाह न करके कार्यकर्ताओं ,युवाओं और ग्रामीणों की भीड़ जुटाई
कांग्रेस का सम्मेलन नेताओ,पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के लिए था लेकिन टिकट के दावेदारों ने अपने क्षेत्र से कार्यकर्ताओं,युवाओं और ग्रामीणों तथा महिलाओं की भारी भीड़ जुटा शक्ति प्रदर्शन किया ।शहर में 43 डिग्री तापमान के चलते,भारी गर्मी और उमस रही लेकिन कांग्रेस नेताओ के स्वागत के लिए सड़कों के किनारे भारी भीड़ एकत्र की गई थी।