डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों को अपने जीवन में आत्मसात किये सुप्रसिद्ध गांधीवादी, लोहियावादी, समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर देश में समतामूलक समाज की स्थापना के लिए समर्पित हैं।स्वतंत्रता संग्राम सेनानी माता-पिता की संतान तथा कांग्रेसी पृष्ठभूमि परिवार के होते हुए भी डॉ.लोहिया की विचारधारा को बाल्यकाल में ही स्वीकार कर,छात्र जीवन से ही समाजवादी राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने लगे। आपातकाल में मीसाबंदी के साथ साथ अनेकों आन्दोलनों में जेल में रहे। समाजवादी क्रान्ति की मशाल को लेकर, बिना-रुके बिना-थके, पूरे देश में घूम-घूम कर कार्य कर रहे रघु ठाकुर ने डॉ. राम मनोहर लोहिया की “जाति प्रथा” पुस्तक का संपादन किया है।
डॉ. लोहिया ने देश में बार बार विदेशी आक्रमणकारियों के सामने समर्पण या हार के पीछे देश की जाति-व्यवस्था को प्रमुख कारण माना है।डॉ. लोहिया का मानना है कि देश की 90 प्रतिशत आबादी विदेशी हमलों के सामने मूकदर्शक की भूमिका में ही रहती थी।
इस पुस्तक में डॉ. लोहिया के कुछ ऐसे लेखों को शामिल किया गया है जिनसे लोहिया के सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यक्रम समझने में मदद मिलती है।”सुक्खो रानी और ग्वालियर महारानी”-लेख से डॉ. लोहिया समाज में व्याप्त गैर बराबरी को कैसे खत्म किया जाये तथा “द्रोपदी या सावित्री” से नारी समाज को जगाने तथा डॉ.लोहिया की दृष्टि में इन दोनों में से कौन महत्वपूर्ण और क्यों??बताया है।
पुस्तक में रघु ठाकुर जी के भी तीन लेख-जाति प्रथा,ई डब्ल्यू एस आरक्षण तथा जातिगत जनगणना पर हैं।
इस “जाति प्रथा” पुस्तक का “प्राक्कथन” प्रो. अशोक पंकज जी, “दो-शब्द” मदन जैन-अध्यक्ष समता न्यास तथा “प्रकाशन”- आकार बुक्स द्वारा किया गया है।120 पृष्ठ की पुस्तक की कीमत 250 रुपये है।
Wed Jun 14 , 2023
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