बिलासपुर । श्रीराम कथा के पांचवें दिन में पूज्य चिन्मयानन्द बापूजी ने कहा जनेऊ संस्कार के बाद भगवान राम अपने भाइयों के साथ आश्रम में पढ़ने के लिए गए और वहां जाकर विद्या अध्ययन किया। कथा के माध्यम से पूज्य बापू जी ने कहा कि जो लोग घर पर आकर ट्यूशन पढ़ाते हैं वह सही में शिक्षा लेने का अधिकार और देने का अधिकार नहीं है हमें अगर शिक्षा लेनी है तो हमें गुरुदेव के यहां जाकर शिक्षा लेनी पड़ेगी तभी हमारी ली हुई शिक्षा सार्थक है ।
पूज्य बापूजी ने कहा की किसी बर्तन को चाहिए कि वह नदी के पास जाए नदी कभी किसी बर्तन के पास नहीं आती हां पैसे देकर नल जरूर घर आ जाता है इसलिए हमें गुरुदेव के घर जाकर ही विद्या अध्ययन करना चाहिए पूज्य बापूजी ने कथा के क्रम को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भगवान राम ने बहुत अल्प समय में विद्या अध्ययन किया और शिक्षा प्राप्त करके घर वापस आए भगवान राम शिक्षा प्राप्त करने के बाद उनकी दिनचर्या इस प्रकार से बदली की प्रातः काल उठकर अपने मां-बाप को प्रणाम करना गुरुदेव को प्रणाम करना और फिर पिताजी के कामकाज में उनका हाथ बटाना कुछ बापू जी ने आजकल के युवाओं को संदेश दिया की हम भी जब पढ़ लिखकर बड़े हो जाएं तो अपने मां-बाप का चरण स्पर्श नित्य सुबह करें और पिताजी के कार्यों में हाथ बढ़ाएं अपने मां-बाप का सहारा बने ।
आजकल के युवाओं को पूज्य बापूजी ने संदेश दिया कि जिस प्रकार आजकल के युवा भाई-बहन पाश्चात्य संस्कृति का शिकार हो रहे हैंपश्चिम देशों की सभ्यता को अपना रहे हैं बापूजी ने कहा कि हम भारतीय हैं और हमें भारतीय होने का गर्व होना चाहिए बापूजी ने कहा कि हम अपने संस्कारों को ना छोड़े ऋषि महात्माओं की परंपराओं को ना छोड़े हम अपने मां बाप की सेवा करें आजकल जो युवा भाई बहन अपने मां-बाप को वृद्ध आश्रम छोड़ देते हैं उस बापू जी ने कथा के माध्यम से ऐसे युवा भाई बहन को संदेश दिया की भारत में वृद्ध आश्रम की परंपरा कभी नहीं रही जो मां बाप दिन-रात तपस्या करके अपने बच्चों को पढ़ लिखकर बड़ा करते हैं उनको उनका विवाह करते हैं ऐसे बच्चे मां बाप को वृद्ध होने पर अगर वृद्ध आश्रम छोड़े तो यह शर्म की बात है।युवाओं के लिए बापू ने कहा कि अपने मां बाप की सेवा करें अपने धर्म की सेवा करें जिससे हमारी संस्कृति हमारी विरासत युगों युगों तक जीवित रहे भारत संस्कारों का देश है उसके बाद पूज्य बापूजी ने कथा के क्रम को मोड़ते हुए विश्वामित्र ऋषि के साथ भगवान राम उनकी यज्ञ की रक्षा करने के लिए उनके आश्रम जाते हैं और उनके यज्ञ की रक्षा करते हैं उसके बाद अहिल्या का उद्धार करते हुए भगवान राम जनकपुर पहुंचते हैं पूज्य बापूजी ने कहा कि जनकपुर की धरा एक ऐसी धरा है जहां कोई विकार नहीं है अयोध्या में सब राम के भक्त हैं लेकिन वहां भी एक मंथरा है और लंका में सब राम की दुश्मन है लेकिन वहां भी एक विभीषण है लेकिन जनकपुरी कैसी नगरी है जहां कोई विकार नहीं है मां जगदंबा की नगरी है वह
पूज्य बापूजी ने कहा की जनकपुर में भगवान का प्रथम में एक रात्रि विश्राम हुआ और उसके बाद भगवान नगर भ्रमण के लिए गए वहां पर जनकपुर वासियों ने भगवान का भव्य स्वागत किया कथा के माध्यम से पूज्य बापूजी ने कहा कि जनकपुर की महिलाएं माताएं का भाव भगवान के प्रति इतना प्रबल है कि जिसका वर्णन कर पाना मुश्किल है और भगवान को जो प्यार जनकपुर में मिला वह कहीं और मिल पाना भी मुश्किल है कुछ बापू जी ने कथा के माध्यम से मिथिला का वर्णन किया पुष्प वाटिका का वर्णन किया पुष्प वाटिका में भगवान राम और सीता के मिलाप का वर्णन किया और बाद में धनुष भंग की कथा का रसपान कराते हुए भगवान का सुंदर विवाह कथा के माध्यम से कराया इतना सुंदर विवाह संस्कार कथा के माध्यम से मंच पर हुआ लग रहा था मानो जनकपुरधाम ही राम कथा का पंडाल बन गया पूज्य बापूजी ने सुंदर मिथिला के गीतों को गाकर सबका मन मोह लिया और भगवान की भव्य बारात सज कर घोड़े पर भगवान राम विराजमान होकर मंच तक आए उनके साथ उनके तीनों भाई साथ में रहे और यहां मंच पर माता सीता अपनी तीनों बहनों के साथ भगवान का जय माल की और सुंदर विवाह संपन्न हुआ इतना सुंदर दिव्य दर्शन भगवान राम का रामकथा के मंच पर कराया गया जो अद्वितीय था कल कथा के माध्यम से राम बनवास और केवट प्रसंग की कथा सुनाई जाएगी और उसके बाद बिलासपुर की धरा का सौभाग्य है कि 4 दिसंबर को पूज्य बापूजी का जन्मदिन धूमधाम से इस बार विश्व कल्याण मिशन शाखा बिलासपुर द्वारा मनाया जाएगा जिसमें भारत की धरा के सुप्रसिद्ध कवि उपस्थित होंगे और भी कई सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे और पूज्य बापू का जन्मोत्सव भव्य तरीके से बिलासपुर की धरा पर मनाया जाएगा श्रोताओं से कथा का पंडाल खचाखच भरा हुआ था और अपार जनसमूह था और अपार जनसमूह पूज्य बापू जी के श्री मुख से कथा सुनने के लिए भाव विभोर था