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May 19, 2025 4:32 pm

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बालू से तेल निकालना सम्भव मगर भरत जैसा भाई मिलना असम्भव – पूज्य बापूजी

बिलासपुर ।
जगमल चौक पर चल रही श्रीराम कथा के छठवें दिन पूज्य बापूजी ने कहा की राम सीता का विवाह और दशरथ एवं जनक का मिलन दो सागरों की मिलन जैसा है महाराज दशरथ भी अपनी जगह पूर्ण है और जनक महाराज भी अपनी जगह पूर्ण है भगवान के विवाह के बाद जनक जी ने दशरथ जी से निवेदन किया कि जिस प्रकार राम और सीता का विवाह हुआ ऐसे ही हमारे घर में तीन बेटियां कुंवारी है और आपके भी घर में तीन बेटे कुंवारे हैं क्यों ना उनका भी विवाह इसी तरह संपन्न कराया जाए ।

महाराज दशरथ ने प्रसन्नता पूर्वक उनकी बात को स्वीकार किया और चारों भाइयों का विवाह जनक जी की चारों बेटियों से संपन्न हुआ बाद में सीता जी की विदाई का प्रसंग लेते हुए पूज्य बापूजी ने कहा कि आज समाज में विवाह में दहेज मांगने की जो प्रथा बनी हुई है यह प्रथा खत्म होनी चाहिए जिस प्रकार दूल्हे को हम राजा के रूप में सम्मान करते हैं दूल्हा राजा कहते हैं उसको राजा ही रहना चाहिए भिकारी नहीं बनना चाहिए यदि अपने बाहुबल पर भरोसा हो तो एक नहीं दस मोटर कार खरीद सकते हैं एक मांगकर भिकारी क्या बनना बापूजी ने कहा कि हर मां बाप को भी चाहिए कि वह अपनी बेटी का विवाह ऐसे घर में करें जहां कोई मांग ना हो हां अपनी खुशी से कोई तुम्हें कुछ देता है तो वह स्वीकार करना चाहिए बापू जी ने दहेज प्रथा का विरोध करते हुए कहा कि मैंने इसीलिए हर वर्ष विश्व कल्याण मिशन ट्रस्ट द्वारा सामूहिक कन्या विवाह करने का संकल्प लिया है और हर वर्ष सैकड़ों की संख्या में ट्रस्ट परिवार कन्याओं का विवाह संपन्न कराता है।

आगामी 11 दिसंबर को भी विशाल सामूहिक कन्या विवाह का आयोजन ट्रस्ट परिवार कर रहा है पूज्य बापूजी ने कहा कि समाज में इस कुरीतियों के कारण भ्रूण हत्या जैसी पाप बढ़ रहे हैं और कन्याएं कम होती जा रही हैं बाद में कथा की क्रम को बढ़ाते हुए पूज्य बापूजी ने कहा की अयोध्या आने के बाद शादी की खुशियां इतनी बढ़ गई और कई महीनों तक उत्सव चला बाद में प्रजा के कहने पर राजा दशरथ ने प्रभु राम को राजा बनाने का निर्णय किया लेकिन पूज्य बापूजी ने कहा कि जब हमारे जीवन में खुशियां बहुत आ जाएं तो कहीं ना कहीं दुख भी आते हैं और यह संसार एक सिक्के के दो पहलुओं पर बसा हुआ है यहां सुख भी बराबर मिलता है और दुख भी बराबर मिलता है इसीलिए देवताओं ने सरस्वती माता से कहकर मंथरा की बुद्धि बिगाड़ दी और उसने केकई मां को भड़का दिया और केकई मां द्वारा दशरथ जी से दो वरदान मांगे गए जिसमें एक राम को बनवास और दूसरा भरत को गद्दी प्रभु राम ने पिता और माता की आज्ञा का पालन करते हुए बनवास स्वीकार किया माता जानकी और लक्ष्मण के साथ प्रभु बन को निकल गए बाद में निषादराज गुह और केवट प्रसंग पूज्य बापू जी ने बहुत सुंदर सुनाया श्रोताओं ने बहुत आनंद लिया ।

कथा के माध्यम से महाराजा दशरथ के निधन की कथा और भरत चरित्र की कथा का रसपान कराया पूज्य बापूजी ने कहा कि इस संसार में कोई कहे कि हमने रेत को मथा और उसमें से तेल निकल आया यह संभव हो सकता है लेकिन यदि कोई कहे कि संसार में भरत जैसा भाई किसी को प्राप्त हो गया है यह संभव नहीं है पूज्य बापूजी ने कहा चित्रकूट की धरा पर प्रभु राम और भरत के प्रेम को देखकर पत्थर भी पिघल गए आज भी वहां प्रमाण है अद्भुत है भरत चरित्र और रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा की जो भी भक्त भरत चरित्र की कथा का रसपान करते हैं उनको विशेष आशीर्वाद प्रभु राम का प्राप्त होता है कल 4 दिसंबर को जगमल चौक राम कथा पंडाल में राष्ट्रीय संत श्री चिन्मयानंद बापू का 39 जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा शाखा बिलासपुर में विशेष तैयारियां इसके लिए कर रखी हैं कल पूज्य बापू जी द्वारा गरीब परिवारों को अनाज साड़ियां वितरित की जाएंगी बच्चों को स्कूल बैग वितरित किए जाएंगे और मंच पर भारत के सुप्रसिद्ध कवि श्री सुनील जोगी दिनेश बावरा सुरेंद्र दुबे आदि के द्वारा भव्य हास्य कवि सम्मेलन भी रखा गया है शाखा बिलासपुर द्वारा सभी नगर वासियों से आग्रह किया गया पूज्य बापू के जन्मोत्सव में आप ज्यादा से ज्यादा संख्या में पधारे और प्रथम बार पूज्य बापू का जन्म उत्सव बिलासपुर में मनाया जा रहा है आप सभी लोग जन्म उत्सव के कार्यक्रम में सम्मिलित हो

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