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November 21, 2024 10:35 pm

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छंदशाला की पावस गोष्ठी में श्रोता काव्य रस से सराबोर ,”बरस मेघ भू-ताप घटे मन के कुछ तो पाप घटे “

बिलासपुर/छंदशाला के तत्वावधान में पावस गोष्ठी का आयोजन सांई आनंदम् उसलापुर में किया गया। इसके मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार शिव शरण श्रीवास्तव ‘अमल ‘ और कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार सतीश पांडेय ‘उद्यान ‘ ने की। कार्यक्रम का सफल संचालन छंदशाला की संयोजिका और कवयित्री डॉ .सुनीता मिश्र ने किया ।
इस आयोजन छंदशाला परिवार के सदस्य और स्थानीय रचनाकार समेत तीस से भी अधिक श्रोतागण उपस्थित रहे ।इस काव्य गोष्ठी की खास बात यह रही कि गोष्ठी पूर्णतः पावस पर आधारित थी जिसमें पावस के दोनों पक्षों अर्थात आशावादी और निराशावादी या कहें पावस के साथ मनुष्य के सुख और दुख की अनुभूति की ओर सभी कवियों और कवयित्रियों ने ध्यान आकृष्ट कराया । 21कवियों एवं कवयित्रियों ने काव्य पाठ किया ।
कवि विजय तिवारी ने बरस मेघ भू ताप घटे , मन के कुछ तो पाप घटे , सनत तिवारी ने जब करिया करिया बादर आईस , विनय पाठक ने ओ बरसा के पहले बादर ,बहुत बहुत आभार तुम्हारा ,सुषमा पाठक ने रंग बिरंगी हुई धरा ,इठलाती हर डाली है ,शैलेंद्र गुप्ता ने करिया बादर कहां लुकागे ,काला देख लजावत हे , पी.डी.वैष्णव ने दादूर मोर पपीहा हरषित ,वर्षा रानी झूम झूमकर राग सुनाए ,सर्वेश पाठक ने गरम आग के शोले दूर चले ,अमृत बरसाती आई वर्षा रानी ,अमृत पाठक ने विरह में ब्रजधाम सावन आ गया ,हो कहां घनश्याम सावन आ गया ,जगतारण डहिरे ने चमकत हे बिजली ,गरजत हे बादर ,बरसत हे पानी रे दिन आगे किसानी के ,ओमप्रकाश भट्ट ने क्षणिका एवं मनीषा भट्ट ने झूल रही है सखियां मिलकर सावन है मनमीत,रेखराम साहू ने जड़ें न गहरी हो ऊंचाई ,उंचाई हो जाने का भ्रम है, हूपसिंह क्षत्रिय ने तेरे बिन लगता है जैसे पावस भी मुझसे रुठी है रोज बरसती यहां वहां पर मेरा उपवन उदास है, राकेश पांडे .धरती भेज रही बादल को पाती ,तुम कब आओगे , बुधराम यादव ने कैसे गीत लिखू निष्ठुर पावस के आने का , पूर्णिमा तिवारी ने रीत बावरी कैसी है , डॉ .सुनीता मिश्रा ने गीत- अंतस के कोने से मैंने ,भाव चुराकर लाए फिर मुख्य अतिथि शिव शरण श्रीवास्तव ‘अमल ‘ ने आजाद भारत में भारती गुलाम हुई ,एक बार इस पर बात होना चाहिए और अध्यक्षता कर रहे कवि सतीश पांडेय ने बिन पानी सावन पहागे ,भादों में बूंदा बांदी गाकर वाह वाही लूटी ।पावस गीतों की संध्या में श्रोता और कविगण झूमते रहे ।छंदशाला के काव्यानुशासित वातावरण में यह काव्य गोष्ठी अमिट छाप छोड़ गयी जिसमें श्रोता आकंठ डूबे रहे ।कार्यक्रम का सफल संचालन कवयित्री डॉ.सुनीता मिश्र ने और आभार प्रदर्शन कवि रेखराम साहू ने किया ।
कार्यक्रम में छंदशाला परिवार के सदस्य एवं नगर के कवि, रचनाकार एवं श्रोता उपस्थित थे ।

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