Explore

Search

November 22, 2024 4:06 am

Our Social Media:

आचार संहिता के कारण शहर के तीन सौ से भी अधिक दुर्गोत्सव समितियों के पदाधिकारी इस बार 14 को “भैया ” के निवास में एकत्र होंगे !

 

बिलासपुर।इस बार विधानसभा चुनाव के दौरान दशहरा,दुर्गा उत्सव ,रावण दहन ,डांडिया, रास गरबा नवरात्रि और दिवाली का पर्व पड़ रहा है। जाहिर है आयोजको के लिए सुनहरा अवसर है और वे राजनैतिक दलों के घोषित ,अघोषित तथा संभावित उम्मीदवारों से चंदे के तौर पर बड़ी राशि की उम्मीदें लगा रखे है ।शहर में छोटे बड़े मिलाकर करीब 3 सौ समितियां है जो हर छोटे बड़े से आयोजन के लिए चंदा लेते है।वसूली गई राशि और खर्च राशि का कोई भी समिति हिसाब नही बताती और न ही चंदा देने वाले हिसाब पूछते हैं। कई दुर्गा समितियां अपने प्रिंटेड रसीद  में शहर के तमाम बड़े नेता ,उद्योगपतियों,व्यापारियों और प्रमुख हस्तियों के नाम को संरक्षक के रूप में प्रकाशित कर यह बताने की कोशिश करते है कि चंदे की राशि सम्मानजनक होनी चाहिए यानि चार अंको से नीचे नहीं। इस चंदे के धंधे को भाजपा नेता ,पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने काफी आगे बढ़ा दिया है ।पिछले कई वर्षो से वे दुर्गा समितियों को चंदा देते आ रहे है।एक निश्चित तारीख की सूचना वे दुर्गोत्सव समितियों को भिजवा देते है ।उनके पास पिछले कई वर्षो का यह रिकार्ड है  कौन सी समिति को  सहयोग के रूप ने कितना चंदा  दिया जाता है । उनकी सूची के मुताबिक कोई भी समिति पिछले वर्ष प्राप्त चंदे की राशि को बढ़ा चढ़ा कर नही बता सकता । मंत्री रहते हुए श्री अग्रवाल  अपने विश्वसनीय  लोगो के साथ छत्तीस गढ़ भवन में दुर्गोत्सव समितियों  को चंदा देते रहे है लेकिन इस बार आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो जाने को देखते हुए छत्तीसगढ़ भवन के बजाय श्री अग्रवाल अपने निवास में दुर्गोत्सव समितियों को बुलाया है ।जानकारी के मुताबिक 14 अक्तूबर को ऐसे  तमाम दुर्गोत्सव समितियों के पदाधिकारी  श्री अग्रवाल के निवास में  एकत्र होंगे जिनका नाम श्री अग्रवाल के रजिस्टर में दर्ज है।

कितना मिलता है राजनैतिक लाभ

बड़ा प्रश्न यह है कि दुर्गोत्सव समितियों को चंदा देने का कोई राजनैतिक लाभ मिलता भी या नहीं ? चूंकि श्री अग्रवाल पिछले कई वर्षो से दुर्गोत्सव समितियों को चंदा देते आ रहे है और वे चार बार शहर के विधायक निर्वाचित हुए इसलिए यह माना जा सकता है कि उनके चुनाव  जीतने में दुर्गोत्सव समितियों का भी योगदान रहा है हालांकि पिछले चुनाव में हार जाने के कई कारण रहे है लेकिन इस बार तो सारे चंदा वाला पर्व चुनाव के दौरान ही है तो इसका लाभ तो बनता है। रावण दहन कार्यक्रम में भी चंदे का बड़ा रोल है।श्री अग्रवाल मंत्री रहने के दौरान शहर के अधिकांश रावण दहन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होते रहे हैलेकिन इस बार आचार संहिता के कारण रावण दहन कार्यक्रम में  नेताओ का मुख्य अतिथि बन बनना  संदिग्ध है ।

 

Next Post

शिवराज :: टायगर से फीनिक्स तक का सफर

Thu Oct 12 , 2023
अरुण दीक्षित मध्यप्रदेश के “रिकॉर्डतोड़” मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पिछले कुछ दिनों से एकदम अलग मूड में हैं।खासतौर पर पिछले आठ दिन में उनका जो “चेहरा” सामने आया है,वह सबको चौंका रहा है।शीर्ष नेतृत्व के सामने हमेशा नतमस्तक रहने वाले शिवराज अचानक सीना ठोक कर उसके सामने खड़े हो गए […]

You May Like