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May 20, 2025 7:04 am

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छत्तीसगढ़ में सरकार जिस भी पार्टी का बने विपक्ष तगड़ा होगा, चुनाव नतीजों का असर लोकसभा चुनाव में दिखेगा

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के नतीजे आने में अभी एक सप्ताह का समय है लेकिन इतना तो तय है कि सरकार चाहे जिस भी पार्टी की बने इस बार विपक्ष मजबूत  होने की पूरी संभावना है ऐसा विपक्ष जो पूरे 5 साल तक सरकार के लिए  सिरदर्द भी हो सकता है। सत्तारूढ़ दल  कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों ही दल के नेता  पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का दा वा कर रहे है ।उनका यह दावा 3 दिसंबर की सुबह तक जारी रहेगा लेकिन दोनो ही दलों के अधिकाश नेताओं को अपनी पार्टी के प्रदर्शन को लेकर पूरी जानकारी है और उसी के मुताबिक दोनों दल के नेता रणनीति बनाने में जुट गए है।

छत्तीसगढ़ में इस बार विधानसभा चुनाव कई दृष्टिकोण से पिछले चुनावों की अपेक्षा काफी अलग हटकर रहा है ।तीखे आरोपों और घोषणाओं से लबालब ऐसा चुनाव कि मतदाता जरखरीद  समझ लिए गए ।घोषणा करने में कांग्रेस भाजपा के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा चलती रही ।उसके बाद प्रत्याशियों ने चुनाव में रुपए पानी की तरह बहाए। कुछ विधानसभा क्षेत्र में तो चुनाव खर्च 15 करोड़ रुपए तक पहुंच गई ऐसी चर्चा है ।प्रत्याशी चयन में कांग्रेस ,भाजपा दोनो ने कई हारने वाले नेताओ को जानबूझ कर प्रत्याशी बनाया तो दोनो ही दलों के कई बड़े नेता कड़ी टक्कर के संकट में फंस चुके है ।नतीजे कुछ भी और चौकाने वाले आ सकते है । पंद्रह साल तक सत्ता में रहने के बाद भाजपा की सरकार 5 साल पहले ऐसी भरभरा कर गिरी जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी ।प्रदेश की जनता भाजपा की सरकार से ऊब चुकी थी जिसका अनुमान भाजपा के नेता लगा ही नहीं पाए ।सरकार के खिलाफ लहर चल रही थी मगर भाजपा के नेता सत्ता के नशे में चूर थे ।जनता ने एक झटके में भाजपा नेताओ को सत्ता से बाहर खदेड़ दिया ।कांग्रेस ने रिकार्ड बहुमत के साथ भूपेश बघेल के नेतृत्व में सरकार बनाई ।भाजपा के मात्र 14 विधायक विधानसभा में पहुंच पाए ।ये 15 विधायक भी पार्टी की टिकट पर नही बल्कि स्वयं की बेहतर छवि के कारण चुनाव जीते ।भाजपा ने जितने भी गैर छत्तीसगढ़िया समझे जाने वाले नेताओ को प्रत्याशी बनाया था उसमे से अधिकांश प्रत्याशी चुनाव हार गए थे लेकिन भाजपा ने इस चुनाव में उसी गलती को दोहराते हुए उन हारे हुए मंत्री ,विधायको को फिर से टिकट दे दी है ।

भाजपा के नक्शे कदम पर कांग्रेस भी चली है और कई ऐसे मंत्रियों और विधायकों को प्रत्याशी बनाया है जिनके बारे में प्रत्याशी चयन के पहले कराए गए सर्वे में उनकी स्थिति कमजोर और चुनाव में  जीत नही पाने की बात स्पष्ट कही गई थी ।बहरहाल भाजपा ,कांग्रेस के ऐसे प्रत्याशी कड़ी टक्कर और मुसीबत में है लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा के “मोदी की गारंटी” और कांग्रेस के “भूपेश है तो भरोसा है” के नारे और घोषणाओं के चलते ऐसे नेता चुनावी वैतरणी पार भी कर सकते है ।

प्रदेश के खासकर ग्रामीण मतदाता  भूपेश सरकार  के वादों  पर भरोसा कर कांग्रेस को  वोट किए है ऐसा माना जा रहा है लेकिन भाजपा  अपने महतारी वंदन  योजना  को ग्रामीण  क्षेत्र में वोटो में कितना तब्दील कर पाई है यह 3 दिसंबर को स्पष्ट हो जाएगा ।पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 90 सीटों में से 69 पर जीत दर्ज की थी बाद में यह संख्या बढ़कर 71 तक पहुंच गई ।भाजपा के 14 विधायको ने विपक्ष में रहकर भूपेश बघेल सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी हालांकि इस काम में उन्हें केंद्र से खाद पानी मिलता रहा लेकिन 5 साल में प्रदेश की जनता में फिर से जनाधार कायम करने भाजपा नेताओ ने कोई विशेष कोशिश नही की यही कारण है कि इस विधानसभा चुनाव में भाजपा ने किसी भी नेता को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश नही किया और चुनाव का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,गृह मंत्री अमित शाह और राजस्थान से प्रदेश प्रभारी के रूप में भेजे गए ओम माथुर ने अपने हाथ में ले रखा था ।प्रदेश के किसी भी भाजपा नेता पर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने कभी भी भरोसा नहीं किया ।उधर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर पूरा भरोसा तो किया ही पार्टी के तमाम बड़े नेताओ को भी विश्वास में लेकर सामूहिक जिम्मेदारी से चुनाव लडा ।भूपेश बघेल ने जो भी घोषणा किया पार्टी ने स्वीकार किया लेकिन भाजपा की तमाम घोषणाएं केंद्र के नेताओ ने की फिर भी भाजपा के नेताओ ने केंद्रीय नेतृत्व की बदौलत चुनाव को मतदान के 15 दिन पहले टक्कर में ला खड़ा किया ।

अब प्रदेश की जनता में कांग्रेस ,भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष द्वय दीपक बैज और अरुण साव,मुख्यमंत्री भूपेश बघेल,पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह , उप मुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव,विधानसभा अध्यक्ष डा चरण दास मंहत ,पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरम लाल कौशिक,मंत्रियों ताम्रध्वज साहू ,रविंद्र चौबे,मो अकबर,शिव डहरिया,समेत भाजपा नेताओ पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, डा कृष्णमूर्ति बांधी,अमर अग्रवाल ,अजय चंद्राकर,नारायण चंदेल आदि प्रमुख नेताओं  के चुनावी नतीजे जानने के लिए बेहद उत्सुकता है।

इतना तो तय है कि छत्तीसगढ़ में सरकार किसी भी पार्टी की बने लेकिन विपक्ष तगड़ा होगा और सरकार के खिलाफ 5 साल  काफी मुखर भी रहेगा ।विधानसभा चुनाव के नतीजो से लोकसभा चुनाव पर भी व्यापक असर पड़ेगा ऐसी उम्मीद है । इस चुनाव में आम आदमी पार्टी,बसपा और जोगी कांग्रेस का कोई प्रभावी असर होगा ऐसा प्रतीत नही हो रहा ।सरकार बनाने वाली पार्टी 59 से 60 सीट और विपक्ष की भूमिका निभाने वाली पार्टी को 29 से 30 सीट मिलने की गुंजाइश दिख रही है ।

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