बिलासपुर। गुरू घासीदास विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) में दिनांक 15 जनवरी, 2024 को सोलहवां स्थापना दिवस एवं 15वां वर्षगांठ समारोह आयोजित किया गया। विश्वविद्यालय के रजत जयंती सभागार में सुबह 10 बजे आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. आर.पी. दुबे, कुलपति, डॉ. सी.वी. रमन विश्वविद्यालय, कोटा तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. नीलांबरी दवे, कुलपति सौराष्ट्र विश्वविद्लालय, राजकोट गुजरात रहीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने की।
केन्द्रीय विश्वविद्यालय के रूप में उन्नयन के सोलहवें स्थापना दिवस समारोह एवं मकर संक्रांति पर्व की कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने सभागार में उपस्थित सभी को शुभकामनाएं प्रदान कीं। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हमारा सौभाग्य कि हमारे विश्वविद्यालय के नाम के आगे ‘गुरु’ शुब्द जुड़ा हुआ है जो इस उच्च शिक्षा के केन्द्र को मंदिर के रूप में स्थापित करता है।
कुलपति प्रो. चक्रवाल ने कहा कि शिक्षक के रूप में हमारा आचरण ऐसा होना चाहिए जिससे युवा विद्यार्थियों के साथ ही समाज के लोग भी उससे प्रेरणा लें। विश्वविद्यालय में नवीन ज्ञान का अर्जन कर पुराने ज्ञान का परिमार्जन किया जाता है साथ ही संपूर्ण ज्ञान का संकलन इस केन्द्र में होता है। उन्होंने कहा कि संगठन में शक्ति होती है। हम सभी को साथ मिलकर विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय अकादमिक मानचित्र पर स्थापित करने करने के लिए निरतंर समन्वित प्रयास करने होंगे।
मुख्य अतिथि प्रो. आर.पी. दुबे, कुलपति, डॉ. सी.वी. रमन विश्वविद्यालय, कोटा ने स्थापना दिवस एवं मकर संक्रांति की शुभकामनाएं प्रदान करते हुए कहा कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय ने कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल के नेतृत्व में पिछले ढाई वर्षों में प्रगति के नवीन मानक स्थापित किये हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय विश्वविद्यालय के रूप में उन्नयन के उपरांत कुलपति प्रो. चक्रवाल के कुशल मार्गदर्शन में हुए सकारात्मक बदलावों को मैंने करीब से देखा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले वर्षों में विश्वविद्यालय विकास के नये प्रतिमान स्थापित करेगा।
विशिष्ट अतिथि प्रो. नीलांबरी दवे, कुलपति सौराष्ट्र विश्वविद्लालय, राजकोट गुजरात ने मकर संक्रांति और स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं। जिस प्रकार उत्तरायण में सूर्य के प्रकाश में निरंतर वृद्धि होती है उसी प्रकार विश्वविद्यालय की प्रगति हो रही है। उन्होंने कहा कि हम अमृतकाल में विकासशील से विकसित राष्ट्र की कतार में नजर आएंगे। उन्होंने युवाओं से आव्हान किया कि वे राष्ट्र निर्माण में अपने सृजनात्मक सुझाव दें एवं इस हेतु प्रयास करें।
इससे पूर्व रजत जयंती सभागार में आयोजित कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर मां सरस्वती एवं बाबा गुरू घासीदास जी की प्रतिमा पर पुष्पअर्पित किये। इस दौरान तरंग बैंड ने सरस्वती वंदना व कुलगीत की मोहक प्रस्तुति दी। तत्पश्चात नन्हें पौधे से मंचस्थ अतिथियों का स्वागत किया गया। स्वागत उद्बोधन कार्यक्रम के समन्वयक प्रभारी अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. मुकेश कुमार सिंह ने दिया।
मंचस्थ अतिथियों द्वारा अन्वेशन के विजेता विद्यार्थियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किये गये। कार्यक्रम में शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिह्न भेंट कर अतिथियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. गरिमा तिवारी, सहायक प्राध्यापक वानिकी, वन्य जीव एवं पर्यावरण विभाग एवं धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. मनीष श्रीवास्तव ने किया। समारोह में विभिन्न विद्यापीठों के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्षगण, शिक्षकगण, अधिकारीगण, कर्मचारीगण, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।