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November 21, 2024 10:02 am

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सीएए और एनआरसी संविधान की मूल भावनाओं के खिलाफ है , केंद्र सरकार लोगो को धर्म के नाम पर लड़ाने का काम कर रही , नागरिकता संसोधन कानून को सरकार वापस ले

बिलासपुर । केंद्र सरकार देश की ज्वलन्त समस्याओं से लोगो का ध्यान हटाने और विदेशी सरकारों के दबाव में नागरिकता संसोधन कानून को लागू करने आमादा है जो कदापि उचित नही है । संविधान में धर्म को पृथक रखा गया है तथा कोई व्यक्ति चाहे वह कोई भी धर्म या समुदाय का ही वह भारत का नागरिक है मगर वर्तमान सरकार धर्म आधारित नागरिकता को बल देने का कुत्सित प्रयास कर रहा है ।

यह विचार प्रेस क्लब में संविधान बचाओ संयुक्त नागरिक संघर्ष मोर्चा से जुड़े आनन्द मिश्रा

नन्द कश्यप ,रोशनी, बख्शीश अहमद व प्रियंका शुक्ला ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा।उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो इन संविधान संसोसधनो को लेकर ही भृम है क्योंकि प्रधानमंत्री कुछ कह रहे है और देश के गृह मंत्री कुछ और । दरअसल हमारा संविधान किसी धर्म पर आधारित नही है । इसलिए किसी की नागरिकता उसके धर्म और मजहब के आधार पर तय नही किया जा सकता ।संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत स्पष्ट उल्लेखित है कि भारत मे रहने वाले, हर व्यक्ति को किसी भी तरह जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव का शिकार नही बनाया जाएगा जबकि संशोधित कानून स्पष्ट रूपसे धर्म की पहचान के आधार पर लोगो की नागरिकता देंने से वंचित करने का प्रावधान करता है । अगर हमने धर्म के आधार पर भेदभाव किया तो हममें और पाकिस्तान में क्या फर्क रह जायेगा । हमारे देश की विशेषता और खूबसूरती इसी में है कि हमने अनेक धर्मो , संस्कृतियों की विविधताओ को अपनाया है जबकि आरएसएस विभिन्नताओं में एकता वाले हमारे भारत को सिर्फ हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहती है ।
उन्होंने कहा वर्तमान सरकार संविधान की मूल भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है और मुस्लिमों के बारे में गलत इतिहास और झूठ फैलाकर लोगो को एक दूसरे का दुश्मन बन रही है ।इसलिए इसका पूरे देश मे विरोध जरूरी है ताकि सरकार इस कानून को वापस ले ।
उन्होंने कहा यह सरकार विदेशी सरकार के इशारे पर काम कर रही है और संविधान में दिए नागरिकों के अधिकार के खिलाफ कानून बना रही है जबकि देश मंहगाई बेरोजगारी जैसे अनेक ज्वलन्त समस्याएं है उस पर ध्यान देने के बजाय उससे ध्यान भटकाने का काम कर रही है ।हमे धर्म जाति सम्प्रदाय के नाम पर सुनियोजित ढंग से लड़वाया जा रहा है ।यह सरकार मुट्ठी भर पूंजीपतियों की बेलगाम बढ़ती सम्पति को संरक्षण देने में लगी हुई है। हमे झूठे बहसों में उलझाया जा रहा है । मंहगी होती शिक्षा महिलाओं पर बढ़ती हिंसा आत्महत्या करते किसान अवसादग्रस्त बेरोजगार युवा ये सब से लोगो का ध्यान हटाने सरकार उलजुलूल कानून बनाकर नए नए हथकंडे अपनाने पर उतारू है । इस कानून को वापस लिया जाए तथा देश भर के निर्दोष छात्रों को जबरिया फंसाकर जो पुलिसिया करवाई की गई है उसे भी वापस लिया जाए

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