बिलासपुर//- नगर निगम चुनाव में कांग्रेस की टिकट नही मिलने पर पार्टी से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ते हुए कांग्रेस भाजपा के प्रत्याशियों को हरा कर विजयी हुई निर्दलीय पार्षद श्रीमती संध्या तिवारी ने आज रायपुर पहुंचकर मुख्यमंत्री और पीसीसी अध्यक्ष के समक्ष कांग्रेस में वापस लौटने की घोषणा कर दी है मगर सवाल यह है कि बाकी निर्दलीय पार्षदो का क्या होगा ? पता तो यह भी चला है कि कांग्रेस से निष्कासित कोनी के नेता त्रिलोक श्रीवास ने अपने रिश्तेदार निर्दलीय पार्षद का समर्थन के एवज में खुद का काँग्रेस से निष्कासन रद्द करने की शर्त रख दी है।
बिलासपुर नगर निगम में मेयर बनाने के लिए कांग्रेस के नेता निर्दलीय पार्षदो को समर्थन के लिए राजी करने में लगी हुई है और दवा किय्या जा रहा है कि सभी 5 निर्दलीय पार्षदों का काँग्रेस को समर्थन मिल रहा है और इसी कड़ी में राजकिशोर नगर वार्ड क्रमांक 51से निर्वाचित पार्षद श्रीमती संध्या तिवारी ने कांग्रेस प्रवेश की घोषणा कर दी है इसके बाद बिलासपुर नगर निगम में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत हो गया है ।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस में पार्षद प्रत्याशी के लिए वार्ड 51 से संध्या तिवारी का सिंगल नाम पार्टी को भेजा गया था मगर खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने उसकी टिकट कटवा अपने समर्थंक के भाई चित्रसेन सिह को प्रत्याशी बनवा दिया था । इस पर संध्या तिवारी ने बागी होकर चुनाव लड़ने के बजाय पार्टी से स्तीफा देकर चुनाव लड़ा मगर उनका इस्तीफा पीसीसी ने मंजूर नही किया था पीसीसी चीफ़ मोहन मरकाम और सीएम भूपेश बघेल ने संध्या तिवारी को पार्टी के लिए काम करने के निर्देश दिए है ।
संध्या तिवारी प्रदेश कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन रायपुर पहुंची और कांग्रेस में वापसी की घोषणा की । इस मौके पर प्रदेश महामंत्री अटल श्रीवास्तव , पार्षद विजय केशरवानी और कार्यवाहक जिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रमोद नायक भी मौजूद थे ।
अब लाख टके का सवाल यह है कि शहजादी कुरैशी समेत अन्य निर्दलीय पार्षदो का क्या रुख रहेगा ? चर्चा तो यह भी है कि रामनगर परमहंस वार्ड से निर्वाचित निर्दलीय पार्षद योगिता श्रीवास का कांग्रेस को समर्थन देने का मामला अधर में लटक गया है क्योंकि योगिता श्रीवास का नजदीकी रिशतेदार त्रिलोक श्रीवास जो कांग्रेस से फिलहाल निष्काषित है ,ने योगिता श्रीवास के कांग्रेस समर्थन के एवज में खुद का कांग्रेस से निष्कासन को रद्द करने की शर्त रख दी है । जो कांग्रेस नेता योगिता श्रीवास को कांग्रेस का समर्थन करवाने प्रयास कर रहे है वे यह कदापि नही चाहते कि त्रिलोक श्रीवास का कांग्रेस में वापसी हो या उनका पार्टी से निष्कासन रद्द करने की शर्त इतनी जल्दी आसानी से मान लिया जाए । त्रिलोक श्रीवास ने पार्षद चुनाव में योगिता श्रीवास का न केवल खुले तौर पर समर्थन किया था बल्कि योगिता श्रीवास को स्वयं त्रिलोक श्रीवास ने ही कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ खड़ा किया था और इसीलिए वह समर्थन के एवज में कांग्रेस से अपने निष्कासन रद्द करने की शर्त रख दी है ।इस तरह मामला फिलहाल खटाई में पड़ गया है ।
इसी तरह कांग्रेस से जोगी कांग्रेस में शामिल होकर फिर से कांग्रेस में वापस आ चुकी शहजादी कुरैशी ने कांग्रेस से टिकट नही मिलने पर अपने वार्ड से निर्दलीय चुनाव लड़कर पार्षद चुनाव जीत गई मगर उसने अपना स्तीफा पहले दिया था ताकि पार्टी उसे निष्कासित न कर सके ।अब शहजादी कुरैशी का समर्थन तो काँग्रेस नेता चाह रहे मगर उनके कांग्रेस प्रवेश पर कांग्रेस के नेता एकराय नही है । शहजादी कुरैशी भी बिना ठोस चर्चा के तत्काल समर्थन के लिये इच्छुक नही है ।
इधर 30पार्षदो के साथ भाजपा के नेताओ का शांत रहना भी रणनीति का हिस्सा हो सकता है । क्योंकि भाजपा निगम की सत्ता को इतनी आसानी से कांग्रेस को सौप दे यह असम्भव है । हो सकता है 4दिसम्बर को भाजपा कोई बड़ा धमाका करे क्योकि भाजपा जो करती है उसका पता अधिकांश भाजपा नेताओं को भी नही होता और चंद रणनीतिकार भाजपा नेता रणनीति की भनक किसी को लगने भी नही देते ।