
महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क प्रोजेक्ट मे उपकरण खरीदी पर भ्रष्टाचार की मलाई किसने बनाई किस – किस ने खाई
बिलासपुर – पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार के दौरान ग्रामीण योजनाओं में जमकर भ्रष्ट्राचार हुए है ताजा मामला जनपद पंचायत कोटा के अंतर्गत ग्राम पंचायत रानी गाँव में महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क ( रीपा ) के तहत उपकरण क्रय किया गया है.जिसमें कि योजनाबद्ध तरीके से भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया।

गौरतलब है कि कांग्रेस विधायक अटल श्रीवास्तव के विधानसभा क्षेत्र मे जनपद पंचायत कोटा के अंतर्गत रानी गांव में छत्तीसगढ़ प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के दौरान उपकरण क्रय किया गया. जिसमें जिम्मेदार अधिकारियों,कर्मचारियों ने जमकर कमीशन खोरी का खेल किया.सरकार के द्वारा महिलाओं को सशक्त बनाने का हर संभव प्रयास किया जाता है. शिक्षा व्यवस्था से लेकर रोजगार मुहैया कराने के लिए सरकार नई-नई योजनाएं संचालित कर रही है.केंद्र सरकार के साथ साथ राज्य सरकार भी अपने स्तर पर महिलाओं को आत्मनिर्भर, सशक्त बनाने के लिए विशेष ध्यान देती है. इसी के तहत छत्तीसगढ़ प्रदेश में कांग्रेस के कार्यकाल मे रिपा योजना के तहत प्रोजेक्ट मे कार्ययोजना संचालित किया गया जिसमें महिलाओं को रोजगार दिया गया. बताया जाता है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने महिला समूह को उक्त योजना के तहत शून्य प्रतिशत पर लोन देकर कार्य की शुरूआत किया था. उस राशि से उपकरण क्रय किया गया जिसमें आरोप है कि उपकरण खरीदी के नाम पर जिम्मेदार सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारियों के द्वारा योजनाबद्ध तरीके से जमकर भ्रष्टाचार किया गया. और राशि को अनाप-शनाप दर पर खरीदारी करके बंदर बाट किया गया अगर मामले की जांच किया गया तो एक बड़ा खुलासा हो सकता है.
वर्ष 2023 विधानसभा चुनाव के पूर्व प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी. जिसकी महत्वपूर्ण योजनाओं में महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क ( रीपा ) सम्मिलित रही. इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर व सशक्त बनाना था. उक्त योजना के तहत जिला बिलासपुर के जनपद पंचायत कोटा अंतर्गत ग्राम पंचायत रानी गांव में HDPE बैग यूनिट स्थापित किया गया. और इस यूनिट को संचालित करने के लिए 10 महिलाओं की एक समूह को जिम्मेदारी दी गई थी जिसे उन महिलाओ ने बखूबी तो निभाया।मगर उक्त यूनिट पर उपकरण खरीदी में योजनाबद्ध तरीके से भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया उक्त सामग्री को सप्लाई करने के लिए निविदा प्रक्रिया के उपरांत एक संस्था को दिया गया. असल खेल यहीं से शुरू हुआ.
दरअसल जिस दर पर संस्था से उपकरण खरीदी किया जाना बताया जा रहा है वह खुले बाजार से बहुत ही अधिक है सूचना का अधिकार से प्राप्त दस्तावेज के अनुसार एस मार्क इंजीनियरिंग बैक कटिंग मशीन को 1 लाख 50 हजार रुपए मे टैक्स सहित खरीदी करना बताया गया जबकि खुले बाजार में इस सामग्री की कीमत मात्र 55 हजार रुपए बताई जा रही है. इस तरह से उक्त उपकरण को असल दर मे ना लेकर 3 गुना दाम देकर क्रय किया गया. इसी तरह पार्थ गब्बर इंजीनियरिंग वूवेन बैग सवाइंग मशीनरी 2 लाख 99 हजार 900 रुपए मे टैक्स सहित क्रय किया गया जिसका बाजार मूल्य मात्र 80 हजार मे उपलब्ध है इस उपकरण को वास्तविक मूल्य से लगभग 4 गुना अधिक दाम देकर खरीदी किया गया.
वही स्टेबलाइजर एवं अन्य टूल्स को 1 लाख 75 हजार रुपए में सभी प्रकार के टैक्स सहित क्रय किया गया जबकि मार्केट में उक्त स्टेबलाइजर का वास्तविक मूल्यमात्र 8 हजार बताया जा रहा है. उसके बाद का बचत राशि लगभग 1 लाख 55 हजार अन्य टूल्स के नाम पर खर्च हुए या फिर राशि बंदर बाँट किया गया यह जांच का विषय है. मामले में जब पड़ताल किया तो उक्त यूनिट पर स्टेबलाइजर के अलावा अन्य जिस सामग्री क्रय का जिक्र किया जा रहा है वहा पर मात्र एक टेबल उपलब्ध रहा जिसका बाजार मूल्य लगभग 5 हजार रुपए बताया गया है.
प्लास्टिक बोरी निर्माण हेतू कच्चा मटेरियल सामग्री की आपूर्ति में टेंडर प्रक्रिया भी संदेह के घेरे में
ग्राम पंचायत रानी गांव पर स्थापित HDPE बैग यूनिट मेप्लास्टिक बैग निर्माण हेतू जो कच्चा मटेरियल सप्लाई किया जा रहा है. उसमें भी गड़बड़ झाला प्रतीत होता है. चूकि उक्त मैटेरियल सप्लाई हेतु अपनाई गई प्रक्रिया पूरी तरह संदेहास्पद है ।बताया जाता है कि अब तक प्लास्टिक बोरी निर्माण हेतु कच्चा मटेरियल सामग्री सप्लाई के एवज में एक संस्था को राशि क्रमशः 1,98002 रुपए , 975001 रुपए अब तक कुल लगभग 2 लाख 95 हजार 5 सौ 3 रुपए का भुगतान किया जा चुका है. वहीं सूचना का अधिकार के तहत भुगतान के संबंध में जानकारी मांगा गया तब जिम्मेदार अधिकारियों के हाथ पाँव फूलने लगे और कई तरह के हथकंडे अपना कर जानकारी से वंचित रखा गया है
जानकारो का कहना हैं कि भंडार क्रय नियम के तहत 50 हजार के नीचे कि राशि पर कोटेशन, 50 हजार से 3 लाख तक राशि मे दो स्थानीय समाचार पत्र एवं 3 लाख से 10 लाख तक की राशि पर दो स्थानीय समाचार पत्र एवं एक राष्ट्रीय समाचार पत्र में निविदा की जानकारी प्रकाशित किया जाना होता है. लेकिन जिम्मेदार अधिकारी के द्वारा इस नियम का पालन नहीं किया गया है. अगर मामले की गंभीरता से जांच किया जाए तो दुग्ध प्रसंस्करण इकाई यूनिट के अलावा इस HDPE बैग यूनिट पर उपकरण खरीदी मे जमकर भ्रष्टाचार उजागर होंगे.एवं लाखों रुपए के भुगतान को भंडार क्रय अधिनियम के विपरीत किए जाने की चर्चा हो रही है.
अगर निष्पक्षता से जांच किया जाए तो जांच की आंच भ्रष्टाचार करने वाले मुख्य सरगना तक जरूर पहुंचा जा सकता है ।
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