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November 21, 2024 2:50 pm

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अरे ये तो गजब हो गया! सेमरताल के कोटवार ने कोटवारी भूमि को पावर ऑफ अटॉर्नी बना बेच दिया,एक माह में रजिस्ट्री और नामांतरण भी हो गया

बिलासपुर ।सरकार द्वारा गावो में कार्यरत कोटवारों को मानदेय के अलावा जीवन निर्वाह के लिए जमीन दी जाती है जिसमे कोटवार अन्न उपजाकर अपने परिवार को पालता है ।शासन द्वारा प्रदत्त कोटवारी जमीन कोटवार के निधन या  कोटवार बदलने के साथ ही स्वमेव कार्यरत कोटवार को मिल जाता है लेकिन सेमरताल के कोटवार ने तो गजब ही कर दिया ।

शिकायत के मुताबिक कोटवार ने अपना एक पावर आफ अटार्नी नियुक्त कर उसके माध्यम से सरकारी जमीन का सौदा कर एक माह के भीतर ही रजिस्ट्री और नामांतरण करवा दिया जबकि नामांतरण के लिए कई पेशी,सुनवाई,इश्तहार ,दावा आपत्ति की प्रक्रिया पूरी करने में कई माह लग जाते है । बात सेमरताल के कोटवार की हो रही थी तो शिकायत के मुताबिक  सेमरताल में कार्यरत कोटवार मेहतर के बाद रामायण कोटवार बना और उसके निधन उपरांत वर्ष 2019 में रामेश्वर कोटवार बन गया ।कोटवारी जमीन वहां के पटवारी और पंचायत के रिकार्ड में तीन खसरा नंबर में है जिसकी पर्ची भी बनी हुई है राजस्व और ग्राम पंचायत के रिकार्ड में कोटवारी जमीन किसी कोटवार के नाम पर नही है ।खसरा नंबर 532 ,553,महल नंबर एक के नाम से चलते आ रहा है लेकिन कोटवार परमेश्वर ने गजेंद्र साहू को अपना पी ओ ए नियुक्त कर दिया उसके बाद पटवारी ने उक्त जमीन को निजी दर्ज कर दिया ।उसके बाद जमीन को गजेंद्र साहू ने  पुरषोत्तम साहू को क्रय करते हुए 6 जुलाई 23 को रजिस्ट्री करवा दिया और एक माह के भीतर ही 23 अगस्त 23 को नामांतरण आदेश तत्कालीन तहसीलदार के कोर्ट से पारित करवा लिया गया। बिक्री की गई कुल भूमि 19 डिसमिल है।सरकारी जमीन को तत्कालीन पटवारी योगेंद्र सिंह ने राजस्व रिकार्ड में निजी भूमि दर्ज कर दिया उसके बाद बिक्री पश्चात सेंदरी निवासी  पुरषोत्तम साहू के नाम पर भी रिकार्ड में दर्ज कर दिया ।यह भी शिकायत है कि कोटवार परमेश्वर ने सरकारी जमीन 5 एकड़ 53 डिसमिल को गतौरी निवासी अश्वनी सोनवानी के पास 4 साल पूर्व बिक्री का सौदा किया था लेकिन बात नहीं बनने पर उसी जमीन को बेचने का सौदा गतौरी के सेवानिवृत  रविंद्र शुक्ला  से किया ।विवाद की स्थिति में उक्त जमीन पर वर्तमान में बिलासपुर के एक प्रभावी व्यक्ति का कब्जा है।इसी तरह 18 डिसमिल जमीन अमृत धीवर को बेचे जाने की चर्चा है।  यह भी बताया जा रहा है कि कोटवार द्वारा सरकारी जमीन को बेचे जाने की  शिकायत होने पर पटवारी ने एस डी एम बिलासपुर को एक प्रतिवेदन पेश कर बताया है कि उक्त जमीन के राजस्व संधारण में त्रुटि वश  गलत नाम अंकित हो गया है। जबकि पटवारी ने नामांतरण आदेश का पालन करते हुए जमीन क्रय करने वाले पुरुषोत्तम साहू के नाम पर आनन फानन में  न केवल जमीन चढ़ा दी है बल्कि उसके नाम पर ऋण पुस्तिका भी बना दिया है । राजस्व विभाग के अधिकारियों और जिला प्रशासन  को इस गड़बड़ झाले पर संज्ञान लेना चाहिए और शिकायत की जांच करते हुए सरकारी जमीन की बिक्री को सुन्य घोषित करते हुए इसमें जो भी लोग शामिल है उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए । इस बारे में सेमरताल के सरपंच राजेंद्र साहू से बात की गई तो उन्होंने संक्षित में यही कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में आया है और उन्होंने राजस्व  मंत्री और कलेक्टर  से मामले की जांच के लिए आवेदन दिया है । 

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