
बिलासपुर ।शहर की सबसे पुरानी बसाहट वाले मोहल्ला गोड पारा का एक ऐसा मकान जहां देश ,प्रदेश के ख्यातिनाम और प्रभावी राजनेता आकर रुकते रहे ,ऐसे ऐतिहासिक मकान पर भूमाफियाओं की नजर 6 साल पहले ही पड़ गई थी तब करीब चार करोड़ रुपए के इस मकान को खरीदने सौदे बाजी हुई थी लेकिन मकान के सभी हिस्सेदारो के नाम इकरारनामे में तो दर्शाते हुए सबको पंजीयन के पूर्व लाखों रुपए का भुगतान भी चेक के माध्यम से किया जाना बताया गया लेकिन इकरार नामे में सभी हिस्सेदारों के हस्ताक्षर करवाने में सुनियोजित साजिश की गई और एक प्रमुख हिस्सेदार को इकरार नामा से दूर रख उसका हस्ताक्षर नही करवाया गया ।भले ही इकरार नामे में उस हिस्सेदार को लाखो रुपए का भुगतान चेक से करना दर्शाया गया ।इकरार नामा की अवधि 6 माह थी लेकिन 6 साल बाद भी रजिस्ट्री विवादों के चलते नही हो पाई ।उक्त मकान में दो ताले जड़ दिए गए है और मामला कोर्ट में है वह भी इस अनुरोध के साथ कि जिस हिस्सेदार का इकरार नामे में हस्ताक्षर नही है उससे भी हस्ताक्षर होकर उसे मकान का सौदा करने राजी किया जाए।आइए जानें वह दो मंजिला मकान में आखिर ऐसी क्या खासियत है जिसे धरोहर के रूप में सुरक्षित रखने की भी बात कही जा रही है। दरअसल यह मकान उस शख्स का जिसे शहर के हर लोग जानते है ।
बैरिस्टर ई राघवेंद्र राव के पुत्र ई चंद्रशेखर राव का यह मकान कालांतर में उनके वारिसानो के नाम पर दर्ज हुआ ।पहले यह खास जानकारी जरूर जान लें जिसके कारण इस मकान को धरोहर के रूप में संरक्षित करने की बात कही जा रही है ।
एक समय शहर की राजनीति का केंद्रबिंदु रहे इस मकान में अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्रियों डा द्वारिका प्रसाद मिश्र,रविशंकर शुक्ल,श्यामाचरण शुक्ल,अर्जुन सिंह,कैलाश जोशी के साथ ही आंध्र प्रदेश के मंत्री चेन्ना रेड्डी,आंध्र प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष नारायण राव , गुलाम नबी आजाद,जगदीश टाइटलर,पूर्व प्रधानमंत्री वी पी सिंह, जार्ज फर्नांडीज,अरुण नेहरू,रामधन,श्रीमती निर्मला देशपांडे,साहित्यकार पद्मश्री पंडित सत्यदेव दुबे,रामहित गुप्ता,कवि गोपाल दास नीरज, छत्तीसगढ़ राज्य के पहले वित्त एवं वाणिज्यिक कर मंत्री रामचंद्र सिंहदेव , केयूर भूषण ,अर्जुन सिंह के बड़े भाई रण बहादुर सिंह समेत कई नामचीन हस्तियां आ चुके हैं।पूर्व मंत्री अशोक राव इसी मकान में रहा करते थे ।
वर्ष 2013 में अशोकराव के निधन के 5 साल बाद ही राव परिवार के इस धरोहर रूपी मकान को मानो ग्रहण लग लग गया ।कई भूमाफियाओं की नजर इस मकान पर लगने लगी ।आखिरकार वर्ष 2018 में कुछ लोगो ने स्वर्गीय अशोक राव की धर्मपत्नी श्रीमती कस्तूरी राव को इस मकान को बेचने के लिए राजी कर लिया जबकि मकान का मालिकाना हक सिर्फ श्रीमती कस्तूरी राव के नाम पर न होकर राव परिवार के कई लोगो के नाम पर लोक अदालत में संपादित किया गया था । श्रीमती कस्तूरी राव के अलावा उनकी 3 पुत्रियां ए विनीता प्रसाद, पी नंदिता और के राजिता के साथ ही श्रीमती एम श्रीला,जी शरत चंदर,जी भरत चंदर और ई रमेंद्र राव इस मकान के संयुक्त रूप से हिस्सेदार हैं। क्रेताओं अनिंद चटर्जी और सतीश अग्रवाल ने श्रीमती ई कस्तूरी राव को मकान बेच देने राजी कर लेने के साथ ही उनकी तीनों पुत्रियों और अन्य से इकरारनामे में हस्ताक्षर भी करवा लिए लेकिन मकान के प्रमुख हिस्सेदार ई रमेंद्र राव से इकरारनामे में हस्ताक्षर नही करवाया गया।रामनगर गोडपारा स्थित यह भवन नजूल सीट नबर 26 में स्थित प्लाट नंबर 47/2 व प्लाट नंबर 52 क्षेत्रफल 364 वर्गफूट व 10780 वर्गफुट कुल 11144 वर्गफुट जिसमे दो मंजिला भवन निर्मित है ।जिसको 3 करोड़ 85 लाख रुपए में बिक्री करने राजी किया गया और इस बाबत इकरार नामा तैयार किया गया।पूरे इकरार नामा में सभी कब्जाधारियों को बतौर अग्रिम लाखों रुपए चेक से दिए जाने का हवाला है और उसमे सिर्फ ई रमेंद्र राव को छोड़ सबका हस्ताक्षर करवाया गया है ई रमेंद्र राव को 15 लाख रुपए चेक से देने की बात तो कही गई लेकिन उनका हस्ताक्षर नही कराया गया ।शायद मकान की बिक्री उनको अंधेरे में रखकर किए जाने का निर्णय हुआ था ।विक्रय पत्र का पंजीयन इकरारनामा की तिथि से 6 माह के अंदर आवश्यक रूप से करा लिए जाने की बात कही गई है लेकिन विवाद इतना बढ़ा कि मकान की रजिस्ट्री 6 साल बाद भी नहीं हो पाया होता भी कैसे क्योंकि मकान के प्रमुख हिस्सेदार ई रमेंद्र राव ने पंजीयक को आवेदन देकर उक्त मकान की रजिस्ट्री किए जाने पर आपत्ति जताई ।इस मामले में क्रेताओ का आवेदन कोर्ट से खारिज हो गया तो श्रीमती कस्तूरी राव द्वारा कोर्ट में इस आशय का मुकदमा दायर किया गया कि ई रमेंद्र राव को मकान की बिक्री के लिए सहमत किया जाए ।इधर रमेंद्र राव ने मकान ने अपने हिस्से में ताला लगा दिया है । बहरहाल कोर्ट में दायर मामले में प्रारंभिक सुनवाई 26 फरवरी को होना नियत है ।
Fri Feb 23 , 2024
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