बिलासपुर ।जल संसाधन विभाग में पदोन्नति,प्रतिनियुक्ति और अतिशेष के मामलों में पिछले कई वर्षो से लंबा गोलमाल चल रहा है । अपनो को उपकृत करने सारे नियम कानून ताक पर रखे जा रहे है ।सारे कुएं में भांग घुली हुई है की तर्ज पर विभाग के बड़े अफसर या तो इस घाल मेल में शामिल हैं या फिर आंख मूंदे हुए है ।राज्य में भाजपा की नई सरकार बनी है और मंत्री भी नए है ।विभाग के घाल मेल को समझने में ही उन्हें वर्षों लग जायेंगे ऐसे में ईमानदार अफसरों का भगवान ही मालिक है लेकिन राज्य लोक सेवा आयोग भी कम बदनाम नहीं है लगता है जल संसाधन विभाग में अपनी दुकानदारी चलाने में माहिर विभाग के अधिकारी आयोग के अमले को भी अपने वश में कर लिए है अगर ऐसा नहीं होता तो विभाग में कार्यरत Sub engineers को पदोन्नत कर उपकृत करने के लिए सीधी भर्ती से Assistant Engineers पद के लिए नियुक्ति आदेश जारी करने की कार्रवाई को ठंडे बस्ते में क्यों डाल दिया गया है … इस कार्यवाही से सीधी भर्ती के अभियंताओं को वरिष्ठता की गंभीर क्षति होगी .. सब इंजीनियर से पदोन्नत लोग वरिष्ठ हो जाएँगे और सीधी भर्ती वाले उनसे कनिष्ठ सहायक अभियंता बनेंगे… इसका दुष्परिणाम सीधी भर्ती वालों को अपने शासकीय सेवाकाल में आजीवन भुगतना पड़ेगा..
सवाल लाख टके का – PSC – जल सं साधन विभाग सीधी भर्ती की प्रक्रिया से चयनित सहायक अभियंताओं की सूची -पदस्थापना आदेश जारी क्यों नहीं कर रहा है ?जल संसाधन विभाग सुनियोजित रूप से संगठित रैकेट चल रहा है जिसके द्वारा
जल संसाधन विभाग में पदोन्नति के लिए पदों की संख्या को बढ़ाने के लिए कृत्रिम रिक्तियाँ बताकर अपने विभाग में पदोन्नत करने के बाद उन्हें अतिशेष घोषित कर दूसरे विभागों में एक Rank उपर (Assistant Engineer को Executive Engineer के पद पर खपाकर ) पदस्थ कर करोड़ों का वारा न्यारा करने का खेल बरसों से चल रहा है… विगत 18- 20 वर्षों में इस तरह के गोरखधंधे से सर्वाधिक अहित पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मूल अभियंताओं का हुआ है..
जल संसाधन विभाग के रिक्त पदों के साथ अन्य विभाग के रिक्त पदों को जोड़कर जल संसाधन विभाग में पदोन्नत कर दिया जाता है… चूँकि जितने लोग पदोन्नत होते हैं उतने पद विभाग में रिक्त
नहीं होते ऐसी स्थिति में उन्हें अतिशेष घोषित कर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग वग़ैरह में प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया जाता है.. प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले इंजीनियरों को मूल पद से एक रैंक उपर के पद नियुक्त किया जाता है जैसे – जल संसाधन विभाग में सब इंजीनियर से पदोन्नत होकर असिस्टेंट इंजीनियर बनता तो वही असिस्टेंट इंजीनियर प्रतिनियुक्ति पर प्रभारी एक्ज़ीक्यूटिव इंजीनियर (कार्यपालन अभियंता) बन जाता कुछ समय बाद वही अधिकारी अपने मूल विभाग में एक्ज़ीक्यूटिव इंजीनियर पर पदोन्नत होता तब वह पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में प्रभारी अधीक्षण अभियंता (एस ई ) बन जाता है… पदोन्नति मूल विभाग से लेकर प्रतिनियुक्ति पर एक रैंक उपर का पद हासिल करने में करोड़ों का वारा न्यारा हो जाता है… इस प्रकिया से जल संसाधन विभाग के इंजीनियरों को लाभ होता है लेकिन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अभियंताओं की पदोन्नति बाधित होती है और वे लोग पदोन्नति के पदों पर पदस्थ होने से वंचित हो जाते हैं..
जल संसाधन विभाग के अभियंताओं ने सीधी भर्ती से चयनित उम्मीदवारों का आदेश जारी पर रोक लगाने हाईकोर्ट में याचिका दायर की जिसे हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है। जल संसाधन विभाग के संगठित रैकेट पर रोक लगाने PSC को पदोन्नति की कार्रवाई से पहले सीधी भर्ती के चयनित उम्मीदवारों का आदेश पहले जारी किया जाना चाहिए। इसके लिए विभागीय मंत्री के साथ ही राज्य सरकार को कड़े कदम उठाने की जरूरत है।ताकि योग्य अभियंताओं को न्याय मिल सके और संगठित गिरोह पर लगाम लग सके ।
*सिंचाई विभाग में पदोन्नति का खेल*
सिंचाईं विभाग में पदस्थ उप अभियंताओं द्वारा विभाग के उच्च अधिकारियों से मिली भगत कर एवं दवाव डाल कर समय पूर्व नियम विरूद्ध पदोन्नति की कार्यवाही करवाया जा रहा है।
अभी पिछले महीने लोक सेवा आयोग द्वारा वर्ष 2021 में सहायक अभियंताओं की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा का परिणाम आया है ।
सर्वप्रथम ये बेरोजगार अभियंता जो पिछले तीन वर्षों से बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं इन अभियंताओं का साक्षात्कर लेकर पदस्थापना लोक सभा चुनाव अधिसूचना जारी होने के पूर्व किया जाना चाहिए,उसके पश्चात् ही विभागीय पदोन्नति की कार्यवाही की जानी चाहिए ।
विभागीय पदोन्नति करने से विभाग जो उप अभियंताओं की कमी से गुजर रहा है और शासकीय योजनाएं में विलंब होता है उसमें और रुकावट आ जाएगी ।
कुछ उप अभियंता अपने विभागीय कार्यों और जिम्मेदारियों को छोड़ नये जल संसाधन मंत्री के आगे पीछे घूमते हुए उन्हें बरगलाने की कोशिश में लगे हैं और मंत्री बंगले में और रायपुर में ही घुमते पाए जाते है । ऐसे चालाक और धूर्त उप अभियंताओं को उनकी विभागीय ड्यूटी का अहसास करा अन्यंत्र भेजा जाना चाहिए या फिर विभागीय मुख्यालय में अटैच किया जाना चाहिए।
रेत माफियाओं,भू माफियाओं पर कार्रवाई मगर जल संसाधन के माफियाओं को अभयदान क्यों?
भाजपा की नई सरकार और ऊर्जावान मंत्रियों तथा विधायको के उत्साह के चलते सरकार को कई बड़ी कार्रवाई को प्रदेश स्तर पर अंजाम देना पड़ा है।मामला चाहे रेत माफियाओं का हो या भू माफियाओं का अथवा बेजा कब्जाधारियों का ।इन लोगो पर पूरे प्रदेश में ताबड़तोड़ तो नही लेकिन शुरुआती कारवाई तो जरूर की गई है ।बड़ा सवाल यह है कि जल संसाधन विभाग के वर्षों से सक्रिय संगठित गिरोह को किन लोगो का अभी तक अभयदान मिला हुआ है? क्या सरकार और विभागीय मंत्री जल संसाधन विभाग के रैकेट पर भी इसी तरह कार्रवाई करेंगे ?विभाग के पीड़ित लेकिन निर्विवाद अभियंताओं को विभाग में शासन के “आपरेशन रैकेट” की बड़ी बेसब्री से प्रतीक्षा है ।
Wed Feb 28 , 2024
बिलासपुर। राज्य शासन के विधि-विधायी विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में शासन का पक्ष रखने के लिए 79 अधिवक्ताओं को पैनल लॉयर के रूप में नियुक्त किया गया है इसमें 26 महिला अधिवक्ताओं को भी शामिल किया गया है। इसके पूर्व राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के महाधिवक्ता के […]