जनता की समस्याओं का निराकरण कराने के बजाय शराब दुकान हटाने के लिए आंदोलन के पीछे निजी स्वार्थ
बिलासपुर । पार्षद निर्वाचित हुए अभी एक माह भी नही हुआ है और नवनिर्वाचित पार्षद अपना निजी स्वार्थ साधने में लग गए है । विपक्षी पार्षद होते तो समझ मे आता कि वे जनता की समस्याओं के लिए आंदोलन कर रहे है मगर सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के नवनिर्वाचित 3 पार्षद अपनी ही सरकार के खिलाफ आंदोलन पर उतारू हो जाये तो इसे क्या कहा जा सकता है ?
सिरगिट्टी नगर पंचायत को नगर निगम बिलासपुर में शामिल करते हुए पूरे सिरगिट्टी को 3वार्डो में बांटा गया । उन तीनों वार्डो के नागरिक 15 साल के भाजपा शासनकाल में अनेको समस्या से जूझते रहे । पानी सड़क बिजली जैसे मूलभूत समस्याओं का निराकरण नही हुआ इसी के मद्देनजर तीनो वार्ड के मतदाताओं ने राज्य में जिस पार्टी की सरकार उसी पार्टी का नगर निगम में बहुमत हो ताकि विकास कार्य तेजी से हो इस उद्देश्य से तीनों वार्डो में कांग्रेस प्रत्याशी को जीता कर नगर निगम में भेजा और वार्ड की समस्याओं पर प्राथमिकता पूर्वक ध्यान देकर निराकरण कराने की उम्मीद रख लिए मगर यह क्या कांग्रेस के ये तीनो पार्षद अपने अपने वार्ड की जनता की समस्याओं से निपटने के बजाय स्वयं की स्वार्थ पूर्ति के लिए खुद की पार्टी की सरकार के ही खिलाफ मैदान में उतर गए ।
सिरगिट्टी फाटक के पास राज्य सरकार के आबकारी विभाग ने निजी जमीन पर शराब दुकान की अनुमति 31 मार्च 2020 तक के लिए दी है ।इसी शराब दुकान को हटवाने तीनो कांग्रेसी पार्षद आंदोलन पर उतर गए है ।
दरअसल उक्त शराब दुकान से ही लगी रेलवे फाटक है जो मालगाड़ी गुजरने के दौरान अक्सर बंद रहती है जिसके कारण आने जाने वालों की भीड़ लगती रहती है इसी भीड़ को शराब दुकान के कारण भीड़ लगना बता कर तीनो पार्षद आंदोलन का रुख अख्तियार कर जनता को गुमराह कर रहे है ।
ये तीनो पार्षद भाजपा शासनकाल के दौरान शराब दुकान हटवाने के लिए कभी आंदोलन नही किये ।यहां तक कि शराब दुकान के सामने ही आबकारी अफसरों के संरक्षण में चल रहे अवैध चखना सेंटर को हटवाने के लिये या बंद करने के लिए ये तीनो कांग्रेसी कभी भी आंदोलन तो दूर की बात प्रशासन को कभी ज्ञापन तक नही सौपे ।जबकि इस अवैध चखना सेंटर के चलते विवाद और भीड़ बढ़ती है । पुलिस भी इस पर कार्रवाई नही करती ।
सिरगिट्टी के ये तीनो कांग्रेसी पार्षद शराब दुकान को हटवाना चाह रहै है तो प्रश्न उठता है कि ये शराब दुकान को कहाँ ले जाना चाहते है ?अपने वार्ड में तो नही ले जा सकते और फिर सिरगट्टी में 3 ही वार्ड है और तीनों पार्षद विरोध में तो फिर उक्त शराब दुकान को सिरगिट्टी से बाहर तो नही किया जा सकता ।
यह भी उल्लेखनीय है कि भाजपा शासन काल मे उक्त शराब दुकान को केवल इसलिए हटाया गया था किराए की दुकान का मालिक कांग्रेसी है । उक्त दुकान को भाजपाई के स्वामित्व वाली दुकान में स्थानांतरण कर दिया गया था उसके बाद नए वित्तीय वर्ष में तत्कालीन आबकारी मंत्री अमर अग्रवाल ने यह कहते हुए वहां शराब दुकान की अनुमति नही दी कि दुकान कांग्रेस नेता की है । अब जबकि राज्य में कांग्रेस की सरकार है और आबकारी विभाग ने विधिवत उक्त शराब दुकान को 31 मार्च तक के लिए किराए पर लिया है तो कांग्रेसी पार्षद ही उसके खिलाफत कर राज्य शासन को चुनौती दे रहे है । यह भी कहा जा रहा है कि सिरगिट्टी के उक्त तीनों कांग्रेसी पार्षद शराब दुकान के खिलाफ अपनी मर्जी से आंदोलन नही कर रहे बल्कि कांग्रेस संगठन के ही कुछ नेताओ के बहकावे में आकर आन्दोलन करते हुए अपने अपने वार्ड के मतदाताओं को गुमराह कर रहे है ।
उल्लेखनीय है कि सिरगिट्टी में सबसे ज्यादा आंदोलन की जरूरत अंडरब्रिज को लेकर करने की जरूरत है मगर निर्वाचित पार्षदो को इससे कोई मतलब नही रह गया है लगता है जबकि अंडर ब्रिज और फाटक से सिरगिट्टी में रहने वाले शतप्रतिशत लोगो को साल के पूरे 365 दिन परेशानी होती है । इसी तरह सिरगिट्टी में स्वास्थ्य सेवा के साथ ही पानी की गम्भीर समस्या है । भूजल स्तर एकदम नीचे जा चुका है इसके लिए सिरगिट्टी के ये तीनो पार्षद कभी भी आंदोलन करने सामने नही आये।
वार्ड के नागरिकों की मूलभूत और ज्वलन्त समस्याओं पर चुनाव जीत कर आते ही ध्यान देने के बजाय अपनी राजनीति चमकाने और निजी स्वार्थ पूर्ति के लिए सबसे पहले शराब दुकान को गम्भीर समस्या बताने पर उतारू ये तीनो पार्षदो के बारे में उनके मतदाता क्या सोचेंगे शायद उक्त तीनों पार्षद नए नए है इसलिए समझ नही पाए है ।