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November 21, 2024 2:40 pm

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बिलासपुर में भाजपा की नींव में खाद पानी देकर व्यापक जनाधार वाली पार्टी बनाने वाले दिवंगत नेताओं बद्रीधर दीवान और मूलचंद खंडेलवाल की तस्वीर भाजपा कार्यालय में आखिर क्यों नही लगाई जा रही?

बिलासपुर। अविभाजित मध्यप्रदेश शासन में केबिनेट मंत्री रहे स्व.मूलचंद खंडेलवाल को कौन नहीं जानता,उनकी दबंगता और स्पष्टता के तमाम राजनैतिक दलों के नेता कायल थे। स्व.श्री खंडेलवाल ने बिलासपुर में भारतीय जनता पार्टी को वो धार दिया जिसके चलते आज भाजपा का पूरे जिले में दबदबा है ।उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर मंत्री बी आर यादव को हराकर भाजपा में नई जान फूंक दी थी लेकिन आज भारतीय जनता पार्टी के जिला कार्यालय में उनकी एक फोटो तक नही लग पाई है जबकि भाजपा कई बड़े नेताओ की फोटो लगी हुई है ।सीपत , बेलतरा के विधायक रहे पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष बद्रीधर दीवान का भी पार्टी कार्यालय में आज तक फोटो नही लगाया जा सका है पता नहीं भाजपा के वर्तमान पदाधिकारियों को दिवंगत हो चुके इन दोनो वरिष्ठ नेताओं से पता नही क्या एलर्जी है ,जबकि रायपुर के सांसद प्रत्याशी और मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने अपने पिछले प्रवास के दौरान जिला भाजपा कार्यालय में पार्टी के जिला अध्यक्ष को फोटो लगवाने का निर्देश दिया था ।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पूर्व बिलासपुर में मूलचंद खंडेलवाल, बद्रीधर दीवान , डा डीपी अग्रवाल जैसे नेताओं की तूती बोलती थी ।इन नेताओ ने अपनी पूरी जिंदगी भाजपा के लिए समर्पित कर दी थी ।बिलासपुर में भाजपा को  फर्श से अर्श तक पहुंचाने और स्थापित करने इन नेताओ ने अपनी पूरी जिंदगी लगा दी थी लेकिन वर्ष 19 95 के बाद जब लखी राम अग्रवाल की पार्टी में तूती बोलने लगी तो गुटीय राजनीति के चलते इन दिवंगत नेताओ को किनारे लगाए जाने की शुरुवात हो चुकी थी तब जिला भाजपा अध्यक्ष के होने वाले चुनावों में गुटीय प्रतिस्पर्धा देखने लायक होती थी ।अब तो पार्टी में चुनाव ही नही होता बल्कि अध्यक्ष बना दिए जाते हैं।

जिला भाजपा अध्यक्ष के एक चुनाव में तो गुटीय विवाद इतना बढ़ गया कि मतदान के दिन भाजपा प्रदेश कार्यालय भोपाल से चुनाव स्थगित करने का फरमान बुलवा लिया गया।चुनाव स्थगित करवाने से खफा हो मूलचंद खंडेलवाल और बद्रीधर दीवान समर्थक भाजपाई रैली की शक्ल में चुनाव स्थल मेसानिक हाल से साई मंगलम तक गए और रणनीति तय करने वहीं बैठक आयोजित की गई तब इनकी ओर से अध्यक्ष के प्रत्याशी भूपेंद्र सिंह ठाकुर थे जो बाद में लखीराम अग्रवाल के समर्थकों में गिने जाने लगे थे।जिला संगठन का एक चुनाव पार्टी कार्यालय में हुआ लेकिन विवाद के चलते मामला कोर्ट तक जा पहुंचा था तब भाजपा के पितृ पुरुष कहे जाने वाले कुशाभाऊ ठाकरे  को भी प्रतिवादी बनाया गया था एक पदाधिकारी जो विदेश में था उसे कोर्ट की नोटिस बेजा गया था ।पार्टी में स्वस्थ गुटीय प्रतिस्पर्धा होती थी ।

बद्रीधर दीवान जब जिला अध्यक्ष थे उस समय लोकसभा चुनाव का प्रभारी अमर अग्रवाल को बना दिया गया था ।तब चुनावी हिसाब को लेकर श्री दीवान और लखी राम अग्रवाल के बीच विवाद की स्थिति रही ।श्री दीवान जिला अध्यक्ष होने के नाते चुनावी खर्च का हिसाब मांग बैठे थे । विवाद इतना बढ़ा था कि विवाद को सुलझाने वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बिलासपुर आना पड़ा था ।तब सर्किट हाउस में रुके श्री मोदी ने श्री दीवान को फोन पर कहना पड़ा था कि मैं आपके साथ चाय पीने आपके घर पर आना चाहता हूं ।श्री मोदी के आग्रह को श्री दीवान ने सहर्ष स्वीकार किया और दोनो के बीच करीब एक घंटे गुप्त चर्चा हुई।

श्री दीवान और श्री खंडेलवाल के बढ़ते प्रभाव से निपटने योजना बद्ध tarike से काम किया गया और श्री खंडेलवाल को दुबारा बिलासपुर से प्रत्याशी नहीं बनाया गया लेकिन बद्रीधर दीवान को सीपत विधानसभा से पार्टी की टिकट दे दी गई।एक और अवसर ऐसा आया कि राम मंदिर में जिला भाजपा अध्यक्ष के चुनाव में मामा भांजा अर्थात निरंजन केशरवानी और डा भानु प्रसाद गुप्ता को आपस में भिड़ा दिया गया ।स्वाभाविक था जीत निरंजन केशरवानी की हुई ।

गोलबाजार में होटल नीलकमल में मूलचंद खंडेलवाल की बैठकी होती ।सत्ता नही थी लेकिन तब शहर की राजनीति का केंद्र बिंदु गोलबाजार ही होता था । बाद में गुटीय लड़ाई के चलते श्री खंडेलवाल ने गोलबाजार में ही अमरनाथ की दुकान के बाजू में एक दुकान के ऊपर  कुछ दिनों के लिए अपना कार्यालय खोल दिया था।

दुबली पतली काया में भी श्री खंडेलवाल का जोश खरोश देखने लायक होता ।प्रशासनिक निर्णयों के खिलाफ लड़ाई लड़ने में श्री खंडेलवाल के एक आव्हान पर पूरा गोलबाजार एकजुट हो जाता था और सैकड़ों की संख्या में पार्टी कार्यकर्ता इकठ्ठे हो जाते थे ।श्री खंडेलवाल प्रशासन से लड़ने अकेले हिम्मत रखते थे ।एक बार तो फटी बनियान और पायजामे में वे लाठी लेकर सड़क पर उतर गए थे ।अतिक्रमण हटाने के खिलाफ वे  गोलबाजार के व्यापारियों को एक जुट कर उनका नेतृत्व भी करते रहे। आखिरी बार श्री खंडेलवाल को पार्टी ने कोटा विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया था ।काफी मेहनत के बाद भी वे मामूली वोटो से चुनाव हार गए। वैसे भी कोटा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा कभी भी चुनाव नही जीत पाई है । वर्ष 1998 से 2018 तक तो बिलासपुर में अमर अग्रवाल का युग रहा तब सारे पुराने नेता या तो दरकिनार कर दिए गए या फिर अधिकाश खुद को सक्रिय राजनीति से अलग कर लिए ।पार्टी के लिए ता उम्र संघर्ष करने और पार्टी का जनाधार बढ़ाने में अहम भूमिका निभाने वाले दिवंगत नेताओ बद्रीधर दीवान और मूलचंद खंडेलवाल का उनकी ही पार्टी के कार्यालय में एक अदद फोटो नही लग पाना समर्पित कार्यकर्ताओं के लिए एक संदेश भी हो सकता है ।

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