बिलासपुर। एक तरफ भारतीय जनता पार्टी के नेता “अबकी बार 400 पार”का नारा जोर शोर से पूरे देश में फैला रहे है तो दूसरी तरफ भाजपा के नेता और कार्यकर्ताओं के मन में डर भी समाते जा रहा है । डर इस बात का कि पार्टी अपने समर्पित लोगो का टिकट काटकर कांग्रेस और दूसरे पार्टी से आए या शामिल किए गए नेताओ को रातों रात थाली में परोसकर टिकट दे रही है। उदाहरण के लिए उद्योगपति नवीन जिंदल का नाम पर्याप्त है जिसे भाजपा में आते ही प्रत्याशी घोषित कर दिया गया ।
नरेंद्र मोदी और अमित शाह की भाजपा में सब धान बाइस पसेरी की तर्ज पर गैर भाजपाई नेताओ को पार्टी में शामिल किया जा रहा है ।खासकर आर्थिक अपराधों से घिरे नेता भाजपा में शामिल हो पूरी तरह क्लीन और झक सफेद हो रहे है ।इस बात की क्या गारंटी है कि भाजपा में शामिल होने वाले ये नेता आने वाले समय में अवसरवादी नही होंगे? भाजपा नेताओ ,कार्यकर्ताओं को यही डर सता रहा है ।जिंदगी भर पार्टी में समर्पित होकर और दुर्दिन के दिनों में भी पार्टी के प्रति निष्ठा बरकरार रखने वाले कार्यकर्ता और नेता अब किनारे लगाए जा रहे । पार्टी में अब यही दिन देखना बाकी था !ये कार्यकर्ता और नेता अब सिर्फ पार्टी को जिताने का ही काम करेंगे। सांसद, विधायक ,मंत्री दूसरे पार्टी से आए नेता बनेंगे ।
अब तो पार्टी संगठन के पदाधिकारी भी दूसरे पार्टी से आए नेता बना दिए जाएं तो कोई आश्चर्य नहीं होगा क्योंकि पार्टी संगठन में चुनाव तो होता नहीं है ।पार्टी को 400 सीटें जीतने हैं और इसमें ऐसा कोई शर्त तो नही है कि प्रत्याशी भाजपा से ही होगा ।कोई भी दूसरे पार्टी के नेता जो विपक्ष से आए वह भी टिकट पा सकता है यही वजह है कि पार्टी के निष्ठावान लोग परेशान हैं लेकिन इस बात को किसी से व्यक्त करने या खुलकर बोलने का उन्हे अधिकार नही है ।जिन्हे साइड लगाना है उन्हे सीधे तौर पर न कहकर दूसरे सीटों से टिकट देकर अग्नि परीक्षा देने विवश किया जा रहा है ।
एक बात तो तय है कि वर्ष 2014 से भाजपा के नेता और कार्यकर्ता मोदी,शाह पर ही निर्भर हो गए हैं ।हर चुनाव इन्ही दो नेताओ के चेहरे पर लडा जा रहा ।इन्ही के नाम पर वोट मांगे जा रहे और सफल भी हो रहे लेकिन इससे बाकी नेताओ का व्यक्तिगत अस्तित्व खतरे में है। लोकसभा ,विधानसभा के बाद नगरीय निकायों और त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव में भी केंद्रीय नेतृत्व का चेहरा आगे किया जाएगा इसकी पूरी संभावना है।भाजपा नेताओ ,कार्यकर्ताओ की स्थिति “कहा भी न जाए और रहा भी न जाए ” जैसे हो गई है उन्हे सिर्फ “आएगा तो मोदी ही ” कहते रहना है और इसी में उनकी भलाई है।देश के दूसरे राज्यों में पता नही क्यों इक्के दुक्के भाजपा विधायक और लोकसभा प्रत्याशी पार्टी छोड़ रहे या चुनाव लड़ने से इंकार कर रहे है लेकिन इससे दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी कही जाने भाजपा पर कोई खास असर नहीं पड़ने वाला ।ऐसे लोगो को “विनाश काले विपरीत बुद्धि “वाले नेता माना जा रहा ।भाजपा में नए लोगो को जिम्मेदारी दी जा रही ।यह बदलाव निश्चित ही प्रशंसा योग्य है लेकिन अनुभवी नेताओ को एक झटके में अर्श से फर्श पर पहुंचाने की नीति से पार्टी के लोगो को सबक लेने की जरूरत है। भले ही अभी दूसरी पार्टी से आए और प्रत्याशी बना दिए नेताओं के पक्ष में “कसीदे “पढ़ने की मजबूरी क्यों न हो ।
Tue Mar 26 , 2024
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