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November 21, 2024 10:48 am

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ऐतिहासिक मंदिरों की प्राचीन मूर्तियों की चोरी लोकसभा चुनाव के दौरान ही क्यों होती है?33 साल पहले भी मल्हार के मंदिर से करोड़ों की मूर्ति लोकसभा चुनाव के दौरान ही हुई थी

बिलासपुर।यह अजीब संयोग है कि जिले के मंदिरों में स्थापित देवियों की प्राचीन प्रतिमाओं की चोरी ठीक लोकसभा चुनाव के दौरान होता है ।मूर्तियों की चोरी का लोकसभा चुनाव से लगता है गहरा  संबंध है। अभी लोकसभा चुनाव सर पर है और इटवा पाली  भांवर गणेश की कीमती और ऐतिहासिक मूर्ति की चोरी हुई उसके आरोपी पकड़े नही जा सके है और न ही मूर्ति बरामद हो सकी है ।इसके पूर्व अप्रैल 1991 में भी जब लोकसभा चुनाव होने थे मल्हार की ऐतिहासिक  डिंडेश्वारी माता की मूर्ति की चोरी हुई थी इस प्रतिमा को ले जाने वाले वैन चालक ने तब पुलिस को बताया था कि चुनाव की वजह से जगह जगह सख्त चेकिंग होने की वजह से मूर्ति को बेचने के लिए कहीं और नहीं ले जाया सका लेकिन लोकसभा चुनाव होने के बाद मूर्ति को बेचने के लिए जरूर ले जाते ।चुनाव के चलते पुलिस का अमला वाहनों की चेकिंग में लगा रहता है और चोरी की घटनाओं पर नजर रखने पुलिस के पास वक्त नहीं होता ।इटवा पाली के मंदिर से भांवर गणेश की मूर्ति भी लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने पहले फरवरी माह में हुई है ।आइए जाने दोनो मूर्तियों के बारे में

मल्हार की देवी मंदिर 10 से 11 वीं सदी के मध्य कलचुरि शासकों ने बनवाया था। लेकिन प्राचीन मंदिर ध्वस्त हो चुका है और वर्तमान में जो मंदिर है, उसे वर्ष 1954 में निषाद समाज ने जीर्णोद्धार करवाया। वर्ष 2000 से मंदिर का नए सिरे से जीर्णोद्धार किया गया। जीर्णोद्धार के बाद मंदिर के गर्भ गृह में विष्णु के 24 अवतारों में से एक वामन अवतार हैं। आसपास की दीवार में नृत्यरत पार्वती, कुबेर, सरस्वती,नटराज शिव, प्रेमी युगल अप्सराएं एवम् शिव जी की मूर्तियों में कलचुरी काल का वैभव झलकता है।भगवान शिव के उपासक कलचुरि नरेश ने यहां मल्लाषरि, मल्लारी शिव का मंदिर बनवाया था। मल्लासुर दैत्य का संहार करने वाले शिव का एक नाम मल्लारी भी कहा गया है जिनके नाम पर नगर मल्हार कहलाया।

देवी का मंदिर कल्चुरी कालीन कहा गया है ।कल्चुरी राजवंश की आराध्या भी रही है देवी पार्वती। मान्यता है कि मल्हार को राजा वेणु ने बसाया था। देवी कृपा से राजा वेणु का यश लोकव्यापी हुआ। राजा की यशोगाथा देवलोक तक जा पहुंची और तब राजा वेणु के प्रताप से ही मल्हार में कंचन की बारिश हुई थी।

पुरातत्व धरोहरों का कस्बा है मल्हार

मल्हार के आसपास पूरा क्षेत्र प्राकृतिक व पुरातत्व धरोहरों से भरपूर है। मल्हार के केवट मोहल्ले में जैन तीर्थकर सुपावनाथ के संग नौ तीर्थकर मूर्ति स्थापित है। गांव वाले उसे नंदमहल कहते हैं। मंदिर, पत्थर, मूर्तियों के अलावा यहां पर पुरातत्व संपदाएं बिखरीं पड़ी हुईं हैं। उपलब्ध ऐतिहासिक प्रमाणों के मुताबिक करीब चार सौ वर्ष ईसा पूर्व यहां मौर्य वंश का शासन था जिसके अवशेष महासमुंद जिले के तुरतुरिया, तथा बलौदाबाजार भाटापारा जिले के डमरु में पाए गए हैं। इसके बाद सातवाहनों का शासनकाल रहा, इसके समय का काष्ठ स्तंभ बिलासपुर के किरारी ग्राम से प्राप्त हुआ। तीसरी सदी में वाकाटक वंश, चौथी सदी में गुप्त वंश, पांचवी सदी में राजर्षि तुल्य वंश, इस काल में नल वंश का भी शासन रहा। इसके बाद शरभपुरीय वंश एवं पांण्डु वंश और कलचुरि वंश का शासन काल रहा। है। हैहयवंशी कलचुरि कहलाए, इनका शासनकाल सबसे लंबा लगभग 800 वर्ष तक चला।

करीब 33साल  पूर्व 19 अप्रैल  1991 को मल्हार के डिड़िनेश्वरी मंदिर के गर्भगृह में पूजित स्थिति में स्थापित प्रतिमा डिड़िनेश्वरी देवी चोरी हो गई थी । तब देर रात चोरों ने दर्शन के बहाने मंदिर में सो रहे पुजारी और उसके दामाद से मंदिर खुलवा लिया। फिर पिस्तौल अड़ाकर उन्हें मंदिर के भीतर बंधक बना दिया और मूर्ति लेकर फरार हो गए। तब इस बेहद दुर्लभ मूर्ति की कीमत 14 करोड़ रुपए आंकी गई थी। अब कीमत बढ़कर 20 करोड़ से ऊपर पहुंच गई है। डिडनेश्वरी प्रतिमा की चोरी के बाद मल्हार में मातम का माहौल था। कई घरों में चूल्हे नहीं जल रहे थे। दुकानें, हाट-बाजार मूर्ति मिलने तक स्वस्फूर्त बंद रहे। इसी बीच मल्हार में अखंड जसगीत-कीर्तन शुरू हुआ, जो प्रतिमा के मिलने तक जारी रहा। गुस्साए लोग पुलिस के खिलाफ चक्काजाम कर रहे थे। चोर इस प्रतिमा को यूपी ले गए थे। तत्कालीन एस पी संत कुमार पासवान ने चोरों का शीघ्र पता लगाने टीम गठित की थी ।टीम ने सबसे पहले मूर्ति चोरी की घटना की रात से और दूसरे दिन  टोल नाके में गुजरने वाले वाहनों की सूची हासिल की जिसमे उत्तर प्रदेश के मैनपुर पासिंग वाली मारुति वैन और एक ट्रक का पता चला ।टीम आनन फानन में उत्तर प्रदेश के मैनपुरी पहुंच मारुति वैन के मालिक से पूछताछ की तो पता चला कि वैन को किराए पर वहां के एक अधिवक्ता और अन्य लोग ले गए थे ।वैन का चालक कोई यादव था जिसे पकड़ कर पूछताछ की गई और मूर्ति बरामद की गई लेकिन मूर्ति चोरी के मुख्य आरोपी आज तक नही पकड़े जा सके । बिलासपुर पुलिस  31 मई को  मूर्ति को  वापस  लेकर बिलासपुर पहुंची। बिलासपुर से मल्हार तक प्रतिमा एक विशाल जुलूस के रूप में पहुंची। रास्ते भर जगह-जगह पूजा, आरती हुई। फिर मंदिर के गर्भगृह में डिडनेश्वरी देवी की पुनःस्थापना  की गई।

इसी तरह अभी जब लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया चल रही है मस्तूरी थाना क्षेत्र के  ईटवा पाली गांव में भांवर गणेश की बेशकीमती मूर्ति चोरी हो गई । ये मूर्ति 10वीं-11वीं शताब्दी की बताई जाती है.जिसकी कीमत बाजार में करोड़ों की है। इसके बावजूद मूर्ति की सुरक्षा को लेकर कोई विशेष कदम जिला प्रशासन ने नहीं उठाए।जिसका नतीजा ये हुआ कि एक बार फिर मूर्ति चोरों के हाथ लग गई.ये पहली बार नहीं है जब इस मूर्ति को चोरी किया गया हो।इसके पहले भी बड़ी मुश्किल से मूर्ति की बरामदगी पुलिस ने की थी लेकिन अबकी बार चोरों ने जिस तरह से मूर्ति चोरी की है उसे देखने के बाद इसे बरामद करना आसान काम नहीं होगा।पांचवीं बार मूर्ति  की मंदिर से चोरी हुई है। ग्रामीणों के अनुसार सुबह-सुबह जब मंदिर का दरवाजा खोलने गए तो पता चला कि मंदिर का ताला टूटा है।गर्भ गृह में मूर्ति नहीं है।जिसकी सूचना तत्काल मस्तूरी पुलिस को दी गई।इससे पहले चार बार मूर्ति की चोरी हो चुकी है।

पहली बार  वर्ष 2004 में प्रतिमा की चोरी हुई लेकिन चोर जिले से बाहर जा नहीं पाया था।इसके बाद अप्रैल 2006 में मूर्ति की चोरी हुई। वर्ष  2007 में भी मंदिर से मूर्ति चोरी की कोशिश हुई थी। वर्ष  2022 में 26 अगस्त  को मंदिर में चोरी हुई थी।जिसके बाद सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे किए गए थे लेकिन शासन प्रशासन की ओर से सुरक्षा को लेकर कोई इंतजाम नहीं किए गए।

चोरों ने भंवर गणेश की मूर्ति की एक बार फिर  चोरी की तो ग्रामीणों की सूचना पर  पुलिस  मामला दर्ज कर आरोपियों की अभी तक  पतासाजी ही कर  रही  है ।  इटवा पाली के भांवर गणेश की मूर्ति ग्रेनाइट की दुर्लभ मूर्ति है।जो मल्हार स्थित डिडनेश्वरी देवी की समकालीन है।सातवीं से दसवीं सदी के बीच के विकसित मल्हार की मूर्तिकलाओं में भांवर गणेश को प्रमुख माना जाता है। मल्हार में बौद्ध स्मारकों और प्रतिमाओं का निर्माण इसी काल में हुआ था।मल्हार और आसपास में कई प्राचीन मंदिरों के अवशेष यहां मिलते हैं।इस मूर्ति की ऊंचाई तीन फीट और वजन करीब 65 किलो है। मूर्ति चोरी की घटना हुए 3 माह हो रहे है लेकिन अभी तक मूर्ति बरामद नही पाई है ।

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