हाईकोर्ट ने सहानुभूतिपूर्वक विचार करने को कहा था,सरकार ने इमलीपारा में बेरहमी से बुलडोज़र चला दिया— शैलेश पांडेय
कोर्ट के निर्णय के 15 दिन बाद भी व्यापारियों की दुकानों का विस्थापन क्यों नहीं हुआ ?
कर्ज में डूबे व्यापारियों की रोज़ी रोटी छीन लिया,अब टेंपरेरी दुकान के लिए भी कोई ठोस जवाब नहीं दे रहा निगम
दस मई को इमलीपारा स्तिथ बस स्टैंड की दुकानों के लिए माननीय हाई कोर्ट ने निर्णय दिया था कि 15 दिनों के भीतर अभ्यावेदन के माध्यम से सहानुभूतिपूर्वक विचार करके शासन कार्यवाही करे,लेकिन कोर्ट के आदेश के दो दिन बाद ही निगम और प्रशासन ने बेरहमी से व्यापारियों की दुकाने बुलडोज़र से तोड़ दिया और व्यवस्थापन में किसके इशारे पर ग़लत ज़मीन दिया जो कि पूर्व में ही कांग्रेस पार्टी को भवन के लिए आवंटित थी जबकि हाई कोर्ट ने अन्य विकल्प भी दिया था ताकि व्यापारियों का टेंपरेरी व्यापार चल सके और नयी दुकाने उनको प्राथमिकता के तौर पर आवंटित किया जाये।लेकिन निगम ने हाई कोर्ट के निर्णय के अनुसार एसा कुछ नहीं किया और बड़ी ही जल्दी में न जाने किसके दबाव में बुलडोज़र चला दिया।
व्यापारियों के ऊपर करोड़ों का कर्ज पहले से ही है जिसे उन्हें चुकाना होता है लेकिन अमानवीय तरीक़े से उनकी दुकाने तोड़ी और उनकी रोज़ी रोटी पर बन आयी है। व्यापारी कर्ज कहाँ से चुकायेंगे और कर्ज के दबाव में कोई ग़लत कार्य कर बैठे तो इसका ज़िम्मेदार कौन होगा ?
लीस में कितनी दुकाने थी ?कब और किसकी लीज़ समाप्त हुई और बुलडोज़र चलने के बाद जब दुकाने देने की बात आयी तो अधिकारी शासन का हवाला देने लगे क्यों ? अंधेर नगरी और चौपट राजा जैसा हाल बना दिया है बिलासपुर का बीजेपी की सरकार ने।