बिलासपुर । एक व्यवसायी का वाहन चालक सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो गया उसका एक पैर गम्भीर रूप से कुचल गया था जिसे उपचार के लिए तोरवा के एक निजी अस्पताल में भर्ती तो कराया गया और उपचार भी शुरू कर दिया गया मगर घायल वाहन चालक का मालिक अस्पताल पहुंच कर पहले मरीज की फाइल को कब्जे में लिया और वाहन चालक को ले भागा।प्रारंभिक उपचार का खर्च अस्पताल को देना न पड़े इसलिए व्यवसायी ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ तोरवा थाने में मिथ्या रिपोर्ट भी दर्ज करवा दिया ।
इस सम्बंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार अकलतरा निवासी ताराचंद्र अग्रवाल का वाहन चालक गोपाल साहू सड़क दुर्घटना में घायल हो गया था जिसे 20 अप्रैल को तोरवा के एक निजी अस्पताल स्वस्तिक में भर्ती कराया गया था। गोपाल के पैर का निचला हिस्सा बुरी तरह से कुचल गया था तथा दोनो हड्डियां चकनाचूर हो गई थी।
अस्पताल में मरीज का तुरंत ईलाज शुरू कर दिया गया, क्योकि खून बहुत बह गया था और ब्लडप्रेशर गिरना शुरू हो गया था। इसलिए तत्काल मरीज को ब्लड की आवश्यकता थी। लेकिन मरीज के साथ उसकी गर्भवती पत्नी के अलावा और कोई साथ नही आया।
अस्पताल प्रबंधन ने स्वयं दवाई और ब्लड का प्रबंध कर इलाज शुरू किया। ड्राइवर के मालिक ने कहा था कि वह चिकित्सा की पूरी राशि अस्पताल के खाते में ट्रांसफर कर देगा आप इलाज जारी रखे , जिस पर अस्पताल प्रबंधन ने अपने खर्च पर उसका इलाज बाहर से सिटी स्कैन करवाया।
जांच में पैर की मुख्य नस पर खून का थक्का बनना पाया गया जिस पर डॉक्टरों के टीम ने मरीज का नस और हड्डी ऑपरेशन करने की सलाह दी। परन्तु जिस दिन ऑपरेशन होना था उस दिन मरीज के परिजन और मालिक ने अस्पताल को पैसे देने से इनकार कर दिया।
अस्पताल स्टाफ के द्वारा जांच, दवाई सहित बिल के भुगतान करने कहने पर ड्राइवर के मालिक द्वारा स्टाफों को गाली गलौच कर एक्सीडेंट संबंधित मेडिकल फ़ाइल को छीन लिया गया। जब इसकी सूचना अस्पताल ने तोरवा थाने में दी तो ड्राइवर के मालिक ने उल्टा अस्पताल पर मरीज को बंधक बनाने का झूठा शिकायत दर्ज करा अस्पताल को ब्लैकमेल कर मरीज को ले गया। उसने
अस्पताल के करीब पैंतीस हजार एवम जांच एवम दवाइयों का करीब पंद्रह हजार रु का भुगतान नही किया ।
एक तरफ डॉक्टर इस कोरोना जैसी महामारी में किसी अवतार से कम साबित नही हुए हैं वही कुछ लोगो द्वारा अस्पताल में इस तरह के हरकत से आश्चर्य होता है।