मुंबई (ए)। कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान जब एक तरफ अधिकतर कंपनियों को बिक्री में भारी गिरावट का सामना करना पड़ा उस दौरान पारले जी बिस्किट की रिकॉर्ड बिक्री हुई। कंपनी ने विस्तृत डेटा तो जारी नहीं किया है, लेकिन बताया है कि मार्च, अप्रैल और मई में पिछले 8 दशक में पारले जी की सर्वाधिक बिक्री हुई है। 1938 में कंपनी खुलने के बाद से सबसे अधिक बिक्री हुई है। इकनॉमिक टाइम्स ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।
माना जा रहा है कि 5 रुपए का पारले जी बिस्किट संकट के दौरान प्रवासी श्रमिकों के लिए सहारा बना। हजारों किलोमीटर पैदल सफर पर निकले प्रवासी श्रमिकों ने इसकी काफी खरीद की तो एनजीओ से लेकर आम लोगों तक ने गरीब-बेसहारा लोगों को बिस्किट बांटे। आम लोगों ने भी लॉकडाउन की घोषणा के साथ बुरे समय की आशंका को देखते हुए बिस्किट खरीदकर घरों में रखे। पारले जी बिस्किट देश में काफी लोकप्रिय है और घर-घर में लोग चाय के साथ यह बिस्किट खाना पसंद करते हैं।
पारले प्रॉडक्ट्स के कैटिगरी हेड मयंक शाह ने कहा, ”हमने अपना मार्केट शेयर 5% बढ़ा लिया है और इस ग्रोथ का 80-90% योगदान केवल पारले-जी का है। यह अभूतपूर्व है।”
लॉकडाउन में भी उत्पादन
24 मार्च को लॉकडाउन की शुरुआत के कुछ ही दिनों के बाद पारले जैसी कंपनियों ने दोबारा उत्पादन शुरू कर दिया था। इनमें से कुछ कंपनियों ने अपने अपने कर्मचारियों को लाने-पहुंचाने के लिए ट्रांसपोर्ट की सुविधा दी। फैक्ट्री खुलने के बाद कंपनियों का फोकस लोकप्रिय उत्पादों के उत्पादन और अधिकतम बिक्री पर था।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
हाल ही में एफएमसीजी पर एक सर्वे करने वाले क्रिसिल रेटिंग्स के सीनिय डायरेक्टर अनुज सेठी ने कहा, ”जो भी उपलब्ध था, ग्राहक खरीद रहे थे, चाहे वह महंगा हो या सस्ता। कुछ प्लेयर्स ने महंगे उत्पादों पर भी फोकस किया होगा।” उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़-दो साल से कंपनियां ग्रामीण इलाकों में पहुंच बनाने में जुटी थीं, महामारी की वजह से हुए लॉकडाउन में उनके लिए यह भी फायदेमंद साबित हुआ।
सभी बिस्किट की बढ़ी बिक्री
जानकारों का कहना है कि पिछले तीन महीनों में हर अलग-अलग कीमत वाले बिस्किट बिक्री में जोरदार उछाल आया है। ब्रिटेनिया, गुड डे, टाइगर, मिल्क बिकिस, बरबन, मैरी, पारले के क्रैकजैक, मोनेको और हाइड एंड सीक की बिक्री भी लॉकडाउन के दौरान बहुत बढ़ी है।
‘बहुतों के पास बिस्किट के अलावा नहीं था कुछ’
पारले ने कम कीमत वाले पारले-जी ब्रैंड पर फोकस किया, क्योंकि इसकी सभी वर्ग केग्राहकों में अच्छी पहुंच है। कंपनी ने एक सप्ताह के भीतर अपने डिस्ट्रीब्यूशन चैनल को भी एक्टिव किया, ताकि हर जगह उत्पाद उपलब्ध रहे। शाह ने कहा, ”लॉकाडाउन के दौरान पारले जी कई लोगों के लिए सरल भोजन बना। बहुत से लोगों के पास इसके अलावा कुछ नहीं था। यह आम आदमी का बिस्किट है। जो लोग ब्रेड नहीं खरीद सकते हैं वे पारले-जी खरीदते हैं।” शाह ने बताया कि उन्हें कई राज्यों सरकारों और एनजीओ से भी ऑर्डर मिले।
हर दिन 40 करोड़ पारले-जी बिस्किट का होता है उत्पादन
सामान्य दिनों में हर रोज करीब 40 करोड़ पारले जी बिस्किट का उत्पादन होता है। इसको लेकर कई रोचक तुलना की जाती है। कहा जाता है कि एक महीने में पारले जी का इतना उत्पादन होता है कि पृथ्वी से चांद तक बिस्किट बिछा सकते हैं। एक साल में पारले जी बिस्किट की जितनी खपत है उसे यदि मिला दें तो पृथ्वी के चारों ओर करीब 192 बार लपेटा जा सकता है। पारले जी बिस्किट का उत्पादन देश में 130 फैक्ट्रियों में होता है। इनमें से 120 कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं और 10 कंपनी की अपनी फैक्ट्रियां हैं। भारत में बिस्किट का बाजार 2020 में करीब 36 से 37 हजार करोड़ रुपए का हो सकता है।