बिलासपुर । सरगुजा क्षेत्र में एक हाथी की मौत एक माह पूर्व उसके बाद एक हाथी और एक एक गर्भवती हथिनी की मौत को लेकर वन विभाग और वाइल्ड लाइफ के अधिकारी कुछ भी कहने से कतरा रहे है हालाँकि आधिकारिक स्तर पर राजधानी से लेकर सरगुजा तक सरगर्मी बढ़ गई है और जांच के लिए रायपुर से वाइल्ड लाइफ के अधिकारी पहुंच कर वन विभाग और पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियो से पूरे मामले में पूछताछ कर रहे है । आश्चर्य तो यह है केरल के पलक्कड़ जिले में एक गर्भवती हथिनी की मौत विस्फोटक से भरे अन्नानास खा लेने से होने के बाद घटना को राजनैतिक रूप दे भाजपा और कांग्रेस के नेता आरोप प्रत्यारोप कर इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर का बना दिया था मगर छत्तीसगढ़ में एक दो नही बल्कि तीन तीन हाथियों की मौत हो जाने बाद भी यहां के भाजपा नेता मौन है ।
उल्लेखनीय है कि सरगुजा सम्भाग के बलरामपुर बलरामपुर के जंगल में एक हथिनी का शव मिला मगर उसकी मौत के कारणों का अभी तक पता नही लगा है । वन विभाग और वाइल्ड लाइफ के अफसर कुछ भी बताने से कतरा रहे है हथिनी की मौत के कारणों का खुलासा पीएम के पश्चात ही हो पायेगा । बलरामपुर के जंगल में हथिनी का शव मिला है । राजपुर वन परिक्षेत्र के गोपालपुर अतोरी क्षेत्र में आता है । आशंका जताई जा रही है कि हथिनी की मौत 3 से 4 दिन पहले की है । जिसके पोस्ट मार्टम के लिए
स्वास्थ्य विभाग की टीम का गठन किया गया है ।
मिली जानकारी के मुताबिक
प्रतापपुर रेंज के गणेशपुर जंगल में दो दिनों के भीतर एक गर्भवती व एक अन्य हाथी के मरने की घटना को लेकर तरह तरह की चर्चाएं है । सूत्रों के अनुसार विभाग ने एक दिन पूर्व मृत हथिनी का विसरा संरक्षित नहीं कराया, जिसको लेकर उच्चाधिकारियों ने नाराजगी भी जताई घटना की सूचना पर राजधानी से वाईल्ड लाईफ के एपीसीसीएफ अरुण पांडेय जायजा लेने पहुंचे। हाथियों की मौत के मामले की अनुगूंज राजधानी तक है इसी वजह से हाथी के मरने के बाद उच्चधिकारियों के पहुंचने में विलंब होने पर मृत हाथी का पोस्टमार्टम नहीं हो सका है सम्भव है कल पीएम हो । मामले की गंभीरता को देखते हुए हाथी की मौत के पीछे वन विभाग जहर देने की घटना की भी आशंका मानते हुए मामले में डॉग स्क्वाड की भी मदद ले रहा है। साथ ही घटनास्थल को पूरी तरह से सील कर दिया गया है, जिसमें बाहरी व्यक्तियों को अंदर जाने की इजाजत नही है।
प्रतापपुर रेंज के गणेशपुर में लगातार दो हाथी के मरने की घटना के बाद से यहां पर वन अधिकारियों की लापरवाही को लेकर चर्चा हो रही है । इसमें सबसे बड़ा मामला कल मृत हथिनी के पोस्टमार्टम के बाद उसके संक्रमित अंगों को संरक्षित नहीं करने को लेकर बात सामने आ रही है। जैसा कि मामले में यह खुलासा हुआ था कि हथिनी के अंदरूनी अंग लिवर व स्प्लीन काफी संक्रमित अवस्था में थे, ऐसी हालात में इसकी चिकित्सीय जांच महत्त्वपूर्ण था, जिसके लिए इसके विसरा को संरक्षित करते हुए जांच के लिए बाहर प्रयोगशाला में भेजा जाना अनिवार्य था। जैसा कि तमाम ऐसे मामलों में होता है मगर सूत्र बताते है कि कल पोस्टमार्टम के बाद वहां मौजूद विभाग के अधिकारियों द्वारा विसरा को सुरक्षित नहीं कराया गया और उसे हथिनी के साथ दफन कर दिया गया था । इस बारे विभाग के अधिकारी इसकी पुष्टि करने तो दूर किसी भी प्रकार बात ही नही करना चाहते शायद वे आशंकित है कि कुछ बोलने पर गलती उजागर न हो जाये हालांकि अधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नही हुई है।
घटना की सूचना मिलने पर राजधानी से वाइल्ड लाइफ के एपीसीसीएफ अरुण पांडेय अम्बिकापुर और फिर उसके बाद गणेशपुर पहुँचकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली। मिली उन्होनें कल मृत हथिनी का विसरा सुरक्षित नहीं रखे जाने पर नाराजगी भी जताई। उसके बाद वे प्रतापपुर रेस्ट हाउस पहुंचे और अपने विभाग के अधिकारी सहित मामले से जुड़े पशु चिकित्सको की बैठक ली। यह बैठक कल देर रात तक चली। एपीसीसीएफ पूरे मामले को लेकर काफी नाराज व गंभीर थे ।
वाईल्डलाईफ के आला अधिकारी मामले में जहर दे कर मारने की संभावना पर भी गंभीरता से सोच रहे है। इसके लिए डॉग स्क्वाड की भी मदद ली जा रही है। पूरे मामले में आधिकारिक रूप से खुलासे के इंतिजार किय्या जा रहा है । वही दूसरी घटना के बाद विभाग ने गनेशपुर जंगल के इस हिस्से को पूरी तरह से सील कर दिया है।
सूरज पुर वनमण्डल में हाथियों के मरने की संख्या अधिक
पिछले कुछ वर्षों में हाथियों के अलग-अलग कारणों से मरने वाले हाथियों की संख्या सूरजपुर वनमंडल में काफी अधिक है। इसमें भी खासकर प्रतापपुर रेंज में हाथी के मरने की तादाद अन्य क्षेत्रों से ज्यादा है। 11 मई को प्रतापपुर रेंज मुख्यालय से महज 4 किमी दूर एक ऐसे हाथी का शव मिला था, जिसके मरने की सम्भावना एक माह पूर्व की बताई गई थी। इस शव की हालत ऐसी थी कि इसका पोस्टमार्टम तक नहीं हो सका था। उस दौरान भी विभाग ने इसकी खानापूर्ति करते हुए मामले को किनारे कर दिया। पिछले दो दिनों में भी हाथी की मौत में हथिनी को लेकर विभाग के संभागीय अधिकारी तक को यह पता नहीं था कि हथिनी गर्भवती है। कोई आपसी द्वंद तो कोई मेटिंग के लिए आपसी संघर्ष को कारण बता रहा था। दरअसल पूरे मामलों को देखा जाए तो रेंज से लेकर जिला तक के अधिकारियों को हाथी की वास्तविक संख्या, सदस्यों का विवरण व इससे जुड़े कई अन्य संवेदनशील मामलों की जानकारी ही नही होती है। अगर इनके पास सही स्थिति की जानकारी होती तो किसी भी हाथी की घटती-बढ़ती संख्या पर विभाग तत्काल सजग हो जाता। यह विडंबना ही है कि वन्यप्राणी में अहम इस जीव को लेकर विभाग महज खानापूर्ति ही कर रहा है। फिलहाल हाथियों के मौत के कारणों का विभागीय तौर पर खुलासे की प्रतीक्षा है ।सरगुजा में पदस्थ एलिफेंट प्रोजेक्ट के सीएफ एस कंवर से पूरे घटनाक्रम की जानकारी लेने उनसे कई बार सम्पर्क करने का प्रयास किया गया मगर वे या तो कवरेज एरिया से बाहर रहे या फिर कॉल रिसीव नही किया । इससे पता चलता है कि वे भी पूरे घटनाक्रम पर कुछ भी कहने से कतरा रहे रहे है ।