बिलासपुर । पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद मरवाही विधानसभा क्षेत्र में उप चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है । कांग्रेस भाजपा चुनावी बिसात बिछाने में लग गए है । बड़ा सवाल यह है कि अजीत जोगी के निधन के बाद उनके पुत्र अमित जोगी की क्या स्थिति होगी ?सवाल यह भी है क्या वे छजकाँ प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ेंगे या फिर कांग्रेस में वापसी की कोशिश करेंगे और ऐसा करेंगे तो कांग्रेस में क्या उन्हें शामिल किया जाएगा ? अमित जोगी के लिए अब राजनैतिक डगर बहुत कठिन होने वाला है ।वे अजीत जोगी के कारण मरवाही के एक बार विधायक रह चुके है मगर तब और अब में बड़ा अंतर है । उन्हें राजनीति में संजीवनी और मदद देने वाले अजीत जोगी अब नही है ।अमित जोगी को अब अपना राजनैतिक कैरियर खुद तय करना है अब उन्हें राजनैतिक प्रतिद्वंदिता का नए सिरे से सामना करना पड़ेगा । सवाल यह भी है कि क्या मरवाही उपचुनाव के पहले छजकाँ का अस्तित्व खत्म हो जाएगा या फिर पिता द्वारा बनाई गई पार्टी को अमित जोगी सहेज कर रखेंगे?
मरवाही विधानसभा के उप चुनाव के लिए कांग्रेस भाजपा ने तैयारी शुरू कर दी है कार्यकर्ताओ की बैठके आयोजित की जाने लगी है । प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम और अन्य पदाधिकारी दौरा करके जा चुके वही भाजपा सांसद और पार्टी के पदाधिकारी भी अजीत जोगी के निधन के बाद मरवाही की स्थिति का आँकलन करने पहुंच चुके है अगर कोई सक्रिय नही हुआ है तो वह है जोगी की पार्टी छजकाँ। श्री जोगी के निधन के बाद अमित जोगी मरवाही में राजनैतिक सम्भावनाओ के विचार मंथन में लगे हुए है । यह तो खुली किताब की तरह है कि मरवाही में एक दशक बाद जोगी परिवार को राजनैतिक संकट का सामना करना पड़ेगा । वर्ष 2000 में अजीत जोगी के लिए अपनी विधायकी बलिदान कर देने वाले रामदयाल उइके जो भाजपा से कांग्रेस में आकर फिर से भाजपा प्रवेश कर पिछला चुनाव हार चुके है ने भावनात्मक ढंग से बयान देकर सबको चौका दिया है उनका कहना है कि वर्ष 2000 में श्री जोगी के लिए उसने अपनी सीट खाली की थी अब श्री जोगी उनके लिए सीट खाली करके परलोक धाम गए है । मरवाही सीट पर उपचुनाव के लिए अभी प्रत्याशियों के संभावित नामों का सिलसिला शुरू नही हुआ है क्योकि इसके पहले छजकाँ के राजनैतिक भविष्य का खुलासा होगा । बीस बरस तक जिस सीट पर अजीत जोगी और उसके पुत्र का कब्जा रहा हो वहां कांग्रेस भाजपा की दाल गलने का प्रश्न ही नही उठ रहा था वह तब तक जब अजीत जोगी जीवित थे । अमित जोगी भी चुनाव सिर्फ अजीत जोगी के प्रभाव के चलते जीते थे क्योकि अजीत जोगी के प्रभाव के चलते मरवाही के कांग्रेस और भाजपा मतदाता भी सिर्फ जोगी को वोट करते रहे । श्री जोगी के निधन के बाद सम्भव है वोटरों का मन बदल जाये । श्री जोगी के निधन पश्चात उनकी पार्टी छजकाँ का क्या होगा और अमित जोगी क्या अपने पिता के राजनैतिक विरासत को संभाल पाएंगे यह प्रश्न मरवाही समेत पूरे प्रदेश में अभी इन दिनों चल रहा है । छजकाँ के कार्यकर्ता को सहेज कर रखने की बड़ी जिम्मेदारी अमित जोगी के कंधों पर है । एक खबर इन दिनों और चर्चा में है कि कांग्रेस अमित जोगी को पार्टी में वापस ले इसकी संभावना काफी क्षीण है मगर छजकाँ के कतिपय विधायको को कांग्रेस में वापस लाने कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता लगे हुए है । ऐसी स्थिति में लग तो यही रहा है कि कांग्रेस में अमित जोगी को अलग थलग करने की कोशिशें हो रही है । अगर ऐसी बात है तो अमित जोगी को छजकाँ प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने की मजबूरी होगी । एक समय मरवाही क्षेत्र में लोकप्रिय रहे पूर्व मंत्री स्व भंवर सिंह पोर्ते मप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदर लाल पटवा के चौतरफा दबाव से भाजपा में शामिल होकर पशुपालन मंत्री बन तो गए मगर भाजपा की लगातार उपेक्षा से वे इतने तनावग्रस्त हो गए कि उनकी मौत हो गई । अजीत जोगी ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल मे उनकी पत्नी हेमवन्त पोर्टे को महिला आयोग का अध्यक्ष बनाकर मरवाही से टिकट की दावेदारी के रास्ते बन्द कर दिए । अब चूंकि मरवाही में उपचुनाव होने वाले है तो हेमवन्त की छोटी बेटी जो पीएचई अफसर के लिए ब्याही गई है को कांग्रेस प्रत्याशी बनाये जाने की संभावना जताई जा रही है हालांकि कांग्रेस को इस सीट को हर हाल में जीतना है इसलिए जीत सकने योग्य चेहरे को ही कांग्रेस प्रत्याशी बनाएगी । दूसरी ओर भाजपा पूर्व विधायक और पिछले चुनाव में पाली तानाखार से पराजित हुए प्रत्याशी रामदयाल उइके को मरवाही से टिकट दे इसकी गुंजाइश नही दिख रही तो मरवाही से पराजित प्रत्याशी समीरा पैकरा को रिपीट करे इसकी भी संभावना नही दिख रही । उधर कांग्रेस ने राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल को प्रभारी मंत्री बना दिया है यानी मरवाही उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी तय करने में विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरण दास महंत ,कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत और मंत्री जय सिंह अग्रवाल की अहम भूमिका रहेगी ।