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November 21, 2024 4:19 pm

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राजकिशोर नगर के व्यावसायिक परिसर स्थित दुकानों की नीलामी में खामियों का अंबार ,टेंडर नियमो को धता बताकर निगम कर्मियों ने की गड़बड़ी ,मेन्युयल टेंडर क्यों किया गया ,टेंडर निरस्त कर ई टेंडर कराए जाने की मांग

*राजकिशोर नगर व्यवसायिक परिसर की नीलामी में खामियों का अंबार*

* निगम कर्मियों ने नीलामी प्रक्रिया में ऐसे कुछ किये कि कई सन्देह हो रहे*

*अपनों को लाभ पहुंचाने दूसरे का टेंडर लिफाफा खोल दर पता कर लेने का आरोप*

*नीलामी की विधिवत प्रक्रिया नही अपनाई गई*

बिलासपुर । वैसे तो बिलासपुर नगर निगम में क्या हो रहा है और क्या किया जा रहा है इसकी जानकारी महापौर को भी नही दी जा रही और पूरा काम पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के ढर्रे पर हो रहा है । क ई मामलो में महापौर नाराजगी भी जता चुके है और यहां तक कह दिए है कि अधिकारी जो मनमाने निर्णय ले रहे है उसे एमआईसी की बैठक में रद्द भी किया जा सकता है । ताज़ा मामला राजकिशोर नगर के व्यवसायिक परिसरों की नीलामी का है जिसमे नीलामी की प्रक्रिया संदेहास्पद है और ऐसा लगता है कि अपनो को उपकृत करने नीलामी प्रक्रियाओं का जानबूझकर पालन नही किया गया । आरोप तो यह भी है कि कुछेक निविदाकारों का लिफाफा खोल कर उनके द्वारा भरे गए रेट को अपनो को बता दिया गया और वे मात्र 500 और 400 रुपये ज्यादा भर कर अपना टेंडर सर्वाधिक बोली के आधार पर स्वीकृत करा लिए । इस गड़बड़झाले से प्रभावित एक निविदाकार ने तो कलेक्टर ,निगम आयुक्त और महापौर को शिकायत भेज उक्त टेंडर प्रक्रिया को रद्द कर नए सिरे से पुनः टेंडर करवाने की मांग की है ।

इस सम्बंध में मिली जानकारी के मुताबिक राजकिशोर नगर स्थित व्यवसायिक परिसर के दुकानों का निविदा आबंटन 15 मई एवं निविदा खोलने की तिथि 19 जून को निर्धारित की गई थी । मगर निविदा खोलने में जो प्रक्रिया अपनाई गई उसमें निगम कर्मियों की बदनीयती स्पष्ट दिख गई । सबसे पहले तो नियमानुसार टेंडर बुलाने की प्रक्रिया आन लाइन करनी थी मगर ऐसा न कर टेंडर मेन्युयल आमंत्रित किया गया । पोस्ट आफिस के माध्यम से मंगाए गए टेंडर में जरूरी प्रपत्र प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 18 जून20 शाम 5 बजे निर्धारित किया गया था एवं निविदा खोलने की तिथि 19 जून दोपहर 12 बजे तय किया गया था मगर निविदा प्रपत्रों को दोपहर एक बजे करीब दर्जन भर बोली कर्ताओं एवं नगर निगम के 3,4 कर्मचारियों की उपस्थिति में निविदा प्रपत्रों को खोल दिया गया यहां यह बात गौर करने वाली है कि बोली कर्ताओं द्वारा प्रस्तुत निविदा प्रपत्र किसी निविदा पेटी में सील करके रखने के बजाय समस्त निविदा प्रपत्र निगम के कर्मचारी द्वारा हाथ से बनाये गए थैली में रखा गया था इस दौरान किसी भी बोलीकर्ताओ ने कोई भी टेंडर बॉक्स नही देखा ।

।यह भी उल्लेखनीय है कि प्राप्त निविदाएं 18 जून को शाम 5 बजे क्यों नही खोल गया ?निविदा दस्तावेजो को 19 घण्टे तक कहाँ और किस उद्देश्य से लंबित रखा गया ? 19 घण्टे तक असुरक्षित रखे गए निविदा प्रपत्रों में क्या क्या हेर फेर किया गया ? यह सारे प्रश्न इसलिए उठ रहे है क्योंकि एक निविदाकार ने अपना लिफाफा गोंद लगाकर बन्द किया था मगर जब टेंडर खोला गया तो उसका लिफाफा सेलोटेप से बंद किया हुआ मिला इसका आशय यही है कि उसके लिफाफे को खोलकर उसके द्वारा भरी गई दर को देखा गया है । इस पर शक इसलिए भी पुष्टि होती है कि गोंद से बंद लिफाफा वाले निविदाकार की दर से किसी और को सिर्फ 4000 और 500 रुपये अधिक भरवा कर उसका टेंडर स्वीकृत कर दिया गया है । निविदा खोलने के दौरान यह सर्वमान्य नियम है कि निविदा में भाग लेने वाले सारे प्रतिभागियों के हस्ताक्षर के उपरांत एवं गवाहों की उपस्थिति में टेंडर बॉक्स को खोला जाना चाहिए परन्तु राजकिशोर व्यवसायिक परिसर के दुकानों के टेंडर में ऐसा नही किया गया । निविदा खोलने की प्रक्रिया प्राधिकृत अधिकारी द्वारा न कर समस्त प्रक्रिया नगर निगम के तृतीय श्रेणी कर्मचारी द्वारा किया गया जो कि निविदा निर्देशों का खुला उल्लंघन है । एक निविदाकार की शिकायत है कि निविदा खोलने वाली कमेटी के सदस्य द्वारा उसके द्वारा बोली लगाने वाले दर की घोषणा की गई और उसके बोली दर से से ज्यादा दर भरने वाले प्रपत्र को भी दिखाया गया जिसमें प्रथम बोली दर को सफेदा लगाकर मिटा दिया गया था और उसके बगल में मेरे बोली दर से कुछ सौ रुपये ज्यादा लिख दिया गया था जबकि इस तरह के कांट छांट और सुधार कर लिखे गए निविदा फार्म को स्वीकृत नही किये जाने और निरस्त किये जाने योग्य माना जाता है ।पुरानी दर को कांट छांट कर नया बोली दर लिखने के कारण निविदा खोलने के नियम निर्देशों के तहत निरस्त न कर निविदा कमेटी द्वारा अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए कांट छाँट वाले निविदा कर्ता को सहयोग किया गया है । राजकिशोर नगर व्यवसायिक परिसर के जितने भी दुकानो का टेंडर किया गया उसमें क्या क्या गड़बड़ी की गई है उसे सिर्फ 2 दुकानों की टेंडर प्रक्रिया से समझा जा सकता है । दुकान क्रमांक 85 और 87 के लिए श्रीमती सीमा मित्रा ने टेंडर फार्म जमा किया था । उसने क्रमांक 87 के दुकान के लिए निगम की प्रारम्भिक बोली 8,99500 रुपये के विरुद्ध 11,21,600 रुपये और दुकान क्रमांक 85 के लिए 8,99,500 रुपये के विरुद्ध 10,99,500रुपये भरा था । निविदा खोलते वक्त प्रथम बोली कर्ता द्वारा 500 और 4हजार रुपये ज्यादा भरकर प्रथम बोलीकर्ता बन गया । प्रथम बोली कर्ता के निविदा में निगम कर्मियों ने ही काट छाट कर उसे पिछले दरवाजे से लाभ पहुंचाया है ऐसी आशंका है । उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में उक्त दुकानों के आबंटन के लिए टेंडर बुलाया गया था इसी बीच प्रदेश में सरकार बदल गई और वर्तमान सरकार ने वर्ष 2019 में निगम द्वारा प्रकाशित दुकानो की कीमत को कम मानते हुए पुनः निविदा करने की सलाह निगम को दी थी । निगम के ही सूत्रों का मानना है कि बचे हुए दुकानों को कुछ शुल्क लेकर बोली दाताओं को आबंटित कर दिया गया है इसलिए उन दुकानों को वर्तमान निविदा प्रक्रिया से अलग रखा गया है । इस पूरे निविदा प्रक्रिया में यह भी उल्लेखनीय रहा कि निविदा स्टीमेट में बिना सम्पदा अधिकारी के हस्ताक्षर के निविदा प्रपत्र विक्रय किया गया । विभिन्न वर्गों के लिए दुकानों का नम्बर अनुसार आरक्षित किया गया जो आरक्षण के रोस्टर प्रणाली के विपरीत है तथा भारत सरकार के निविदा निर्देश नियमावली के भी विपरीत है । इस तरह सम्पूर्ण तथ्यों के अवलोकन से पता चलता है कि निविदा मात्र दिखावा था और निगम कर्मियों ने मनमानी की है तथा करोड़ों रुपये के दुकानों की निविदा ई टेंडरिंग से करने के बजाय मेन्युयल से कर अपनी स्वार्थ पूर्ति की है इसलिए सारे टेंडर प्रकिया को रद्द कर राजकिशोर नगर के व्यवसायिक परिसर के दुकानों का टेंडर नए सिरे से ई टेंडरिंग द्वारा पूरी पारदर्शिता और टेंडर नियमो के तहत सक्षम अधिकारी के मार्गदर्शन में किय्या जाना चाहिए ।

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