कोरबा । वर्ष 2019-20 के लिए प्रतिष्ठित राजेंद्र यादव स्मृति हंस कथा सम्मान कोरबा, छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ कथाकार कामेश्वर की कहानी ‘राष्ट्रपति का दत्तक’ और बेतिया, बिहार की युवा कथाकार प्रीति प्रकाश को संयुक्त रूप से दिया गया है।
कामेश्वर के छतीसगढी में दो उपन्यास- ‘तुँहर जाए ले गींयाँ’ और ‘जुराव’ तथा हिंदी में उपन्यस ‘बिपत’ और कहानी-संग्रह ‘अच्छा, तो फिर ठीक है’ प्रकाशित हुए हैं।
‘राष्ट्रपति का दत्तक’ में आदिवासियों का जंगल से विस्थापन, गाँव-शहर की हवा का सामना और उसके असर से निरीह बनते जीवन की मार्मिक कथा है। व्यवस्था की रीति-नीति के अंतर्विरोधों को स्पष्ट करती यह कहानी आदिवासियों के विस्थापन और सिमटते जंगलों पर सोचने को विवश करती है। जंगल से विस्थापित एक गरीब आदिवासी की व्यथा-कथा और निरीहता व्यवस्था के सामने महत्वूर्ण सवाल खड़े करती हैं।
प्रीति प्रकाश की कहानी ‘राम को जन्मभूमि मिलनी चाहिए’ में एक कामवाली बाई के माध्यम से वंचित तबके की त्रासदी और उसके मूल कारण को बिना लाउड हुए बड़ी कलात्मकता से प्रकट किया गया है। अंतिम पंक्तियों उभरे बिंब कहानी को सहसा व्यापक संदर्भ दे देते हैं जिससे सत्ता की अमानवीयता सहसा प्रकट हो जाती है।