बिलासपुर । रेल कर्मचारियों का यूनियन रेलवे के कथित निजी करण विरोध में उतर आया है आमतौर पर एक दूसरे के धुर विरोधी यूनियन के संगठन भी इस मुद्दे पर कंधे से कंधा मिलाए खड़े नजर आ रहे हैं।
संयुक्त रेलकर्मी मोर्चा के बैनर तले बिलासपुर रेलवे स्टेशन के वीआईपी गेट के सामने एकत्र रेलकर्मी, रेलवे और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी किया गया।रेल।कर्मियों का विरोध है कि केंद्र सरकार जिस प्रकार से रेलवे का निजीकरण कर रही है उसपर रोक लगाएं । रेलकर्मी इस बात से आक्रोशित हैं । वर्तमान में उन्हें मिलने वाली सुविधाओं में कमी हो जाएगी तथा आने वाले दिनों में इसका असर रोजगार में भी पड़ेगा है। वहीं रेलवे की नौकरी के रूप में उन्हें जो सुरक्षा ,सुविधा और सुनिश्चितता हांसिल है वह निजीकरण के बाद खत्म हो जाएगी।
रेलवे हो या फिर कोई और सरकारी संस्था , सरकारी कर्मचारियों में कार्य निष्पादन को लेकर गंभीरता का अभाव रहता है, जबकि वही काम निजी क्षेत्र के कर्मचारी पूरी तत्परता से करते हैं। जबकि इसके एवज में रेल कर्मियों को भारी वेतन भी मिलता है। इसके अलावा यात्रा सुविधा, स्वास्थ्य सुविधाएं ,प्रोविडेंट फंड, पेंशन जैसी सुविधाएं भी हासिल है। लेकिन फिर भी अधिकांश रेल कर्मियों की कार्यशैली पुराने तर्ज पर ही नजर आती है। यही कारण है की रेलवे के कुछ हिस्सों को निजी हाथों में दिया जा रहा है। हालांकि केंद्र सरकार बार-बार दोहराती रही है की सरकार रेलवे का निजीकरण करने नहीं जा रही। पर फिर भी इस मुद्दे को बेवजह उछाल कर उसी संस्था को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है जिसके भलाई का यह दम भर रहे हैं ।
इस आंदोलन को समर्थन देने बिलासपुर महापौर रामशरण यादव और कई कांग्रेसी नेता भी मौके पर पहुंचे।
रेलकर्मी सहमे हुए हैं लोको पायलट और रनिंग स्टाफ को डर है कि कहीं निजी करण होने से उनका वेतन घट ना जाएगा और सुविधाओ में कमी की आशंका के चलते ही रेल कर्मचारी विरोध कर रहे हैं।