बिलासपुर । आबकारी विभाग का एक अदना सा अधिकारी जिले से लेकर राजधानी के मंत्रालय में बैठे आईएएस अधिकारियो तक कितनी पहुंच रखता है यह इस बात से पता चलता है कि अपने सारे उल्टे सीधे कार्यो पर पर्दा डलवा दो बार हुए अपने तबादले को डंके की चोट पर रुकवाकर उसने बता दिया कि वह जो करे सब सात खून माफ है । जिले में बैठे बड़े आबकारी अधिकारी और कलेक्टर तक लगता है इस अदने से अधिकारी से काफी प्रभावित हैं तभी तो राज्य शासन के कड़े निर्देश के बाद भी इस अदने से अधिकारी को नया जिला गौरेला ,पेंड्रा,मरवाही के लिए रिलीव नही किया गया और इसने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर दूसरी बार अपना तबादला बिलासपुर में ही रहने के लिए रुकवा लिया ।अहम प्रश्न यह है कि आखिर इसअदने से अधिकारी की क्या खासियत जिसके आगे सब नतमस्तक हैं ?
कौन है यह अदना अधिकारी ?नाम जानकर कोई आश्चर्य नही होगा जी हां उनका नाम रविन्द्र पांडेय है जो है तो जिला सहायक आबकारी अधिकारी मगर लगता है वे आबकारी उपायुक्त के आंख ,नाक और कान बने हुए है । कलेक्टर भी रविन्द्र पांडेय को बिलासपुर में ही रखने के पक्ष में है यानि कुछ तो बात है बन्दे में ।
सहायक जिला आबकारी अधिकारी के रूप में पदस्थ रविन्द्र पांडेय मारपीट ,अवैध वसूली के आरोपो के कारण चर्चा में आये थे मगर हद तो तब हो गई जब उसने राज्य शासन के तबादला आदेश का 15 दिन से ज्यादा समय बीत जाते के बाद भी पालन नहीं किया। जब दुबारा रिलीव करने का आदेश मंत्रालय से जारी हुआ तो उसने अपना तबादला ही निरस्त करा लिया। यही नहीं मारपीट, शराब की अवैध बिक्री के लिये दबाव बनाने और अवैध वसूली के विवादों से घिरे इस निरीक्षक को एक साथ दो जगहों का प्रभार भी सौंप दिया गया।
बीते 7 अगस्त को मंत्रालय से विभाग के अवर सचिव ने आदेश जारी कर पांडेय सहित 15 स्टाफ को नवगठित गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही जिले में स्थानांतरित किया था। इस आदेश के विपरीत 13 अगस्त को उपायुक्त आबकारी ने एक आदेश जारी कर दो आबकारी उप निरीक्षकों समीर मिश्रा और दीपक सिंह ठाकुर को तो गौरेला के लिये भारमुक्त किया लेकिन रविन्द्र पांडेय को न केवल रोक लिया गया बल्कि उन्हें सीपत के साथ-साथ तखतपुर आबकारी वृत्त की जिम्मेदारी सौंप दी गई। हैरानी की बात है कि इसकी जानकारी मंत्रालय को भी नहीं दी गई। यह 24 अगस्त को अवर सचिव द्वारा भेजे गये पत्र से स्पष्ट होता है। रविन्द्र पांडेय को अन्य अधिकारियों का प्रभार सौंपने के बाद मंत्रालय से पत्राचार किया गया और अनुरोध किया गया था कि उन्हें भारमुक्त न किया जाये। इस पर अवर सचिव ने लिखा था कि रविन्द्र पांडेय को बिलासपुर से भारमुक्त कर तत्काल गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही में प्रभार ग्रहण करने का निर्देश दिया जाये। इस सख्त। पत्र के बाद भी आबकारी अधिकारियों की मेहरबानी जारी रही और मंत्रालय के अधिकारियों को इस बात के लिये राजी कर लिया गया कि रविन्द्र पांडेय बिलासपुर में भी रहेंगे, नई जगह पर नहीं जायेंगे। कल 31 अगस्त को जारी आदेश के अनुसार पांडेय को बिलासपुर में ही यथावत रखा गया है। विशेष सचिव ए पी त्रिपाठी की ओर से जारी आदेश में उनकी जगह पर विमल तिर्की को गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही स्थानांतरित कर दिया गया है।
इस एएसआई पर लाखों रुपये की अवैध वसूली करने, घर में घुसकर महिला व पुरुष सदस्यों से मारपीट करने का गंभीर आरोप लग चुका है, जिसकी अधिकारियों ने जांच का आश्वासन तो दिया लेकिन उसके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई उल्टे उसका तबादला आदेश निरस्त कर अधिकारियों ने यह साफ कर दिया कि उसकी विवादास्पद गतिविधियों को उनका संरक्षण है।
मादक द्रव्य बेचने के मामले में जेल जा चुके और मुकदमे के बाद बरी हो चुके सीपत इलाके के ग्राम बसहा के प्रमोद कश्यप ने रविन्द्र पांडेय के खिलाफ गंभीर आरोप लगाये थे। आरोप के अनुसार पांडेय ने फरवरी माह में करीब आधा दर्जन विभागीय स्टाफ के साथ कश्यप के घर पर उसने यह आरोप लगाते हुए धावा बोल दिया कि वह शराब की बिक्री करता है। उसके घर पर लगे सीसीटीवी कैमरे को घुसते ही उन लोगों ने तोड़ दिया। कश्यप ने शिकायत की थी कि उसकी पत्नी और उसके साथ पांडेय ने मारपीट की है और पुराने मामले को लेकर आये दिन फंसाने की धमकी देकर वह अवैध वसूली करता है। कश्यप ने जिला कलेक्टर और आबकारी विभाग के उच्चाधिकारियों से की गई शिकायत में बताया था कि उसने खेत गिरवी रखकर दो बार कुल चार लाख रुपये रविन्द्र पांडेय को दिये हैं। कश्यप का कहना है कि पांडेय उस पर शराब की अवैध बिक्री के लिये दबाव बनाता है और झूठे मामले में फंसाने की धमकी देता है। उसने शिकायत के साथ एक ऑडियो भी सौंपी थी जिसमें कथित रूप से प्रमोद कश्यप को एएसआई पांडेय धमकी देते हुए सुनाई दे रहा है। सहायक आयुक्त विकास गोस्वामी ने स्वीकार किया था कि समय-समय पर अवैध शराब को पकडऩे के लिये टीम गांवों में दबिश देती है। इस मामले की जांच कराने की बात भी उन्होंने की थी लेकिन जांच या किसी प्रकार की कार्रवाई तो दूर अधिकारियों ने एड़ी-चोटी का जोर लगाकर आखिर उसका तबादला ही रुकवा दिया।
ज्ञात हो कि नवगठित गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही जिला छत्तीसगढ़ की सीमा से लगा है और यहां मध्यप्रदेश से भारी मात्रा में शराब की तस्करी होती है। आये दिन पुलिस विभाग ऐसे मामले पकड़ रही है। ऐसी जगह पर तबादले के लिये आये महत्वपूर्ण आदेश को जिले के अधिकारियों ने मिलकर निरस्त करा लिया। पता नही आखिर पांडेय में ऐसी क्या बात है जो उससे मंत्रालय में बैठे विभाग के बड़े अधिकारियों से लेकर जिले के अधिकारी भी प्रभावित है। एक दागी अधिकारी को बचाने और उसे मनपसंद स्थान पर ही पदस्थ करने के पीछे जरूर कोई बड़ी बात है ।