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November 21, 2024 7:39 am

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स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अस्तित्व में आने के बाद क्या बिलासपुर नगर निगम का अस्तित्व खत्म हो गया ? आयुक्त ,8 इंजिनियर समेत निगम के 19 कर्मी स्मार्ट सिटी में काम कर रहे पर वेतन निगम से ले रहे ,निगम में अब नए आयुक्त की दरकार

बिलासपुर । स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अस्तिव में आने के बाद क्या बिलासपुर नगर निगम का अस्तित्व समाप्त हो गया है ? यह प्रश्न इसलिए उठ रहा है क्योंकि स्मार्ट सिटी योजना लिमिटेड के गठन के बाद निगम आयुक्त और 8 इंजीनियरों समेत निगम के 19 कर्मचारी स्मार्ट सिटी लिमिटेड में भेज दिए गए है । स्मार्ट सिटी के लिए स्वीकृत कई सौ करोड़ रुपये में निगम को एक धेला भी नही मिलता मगर उन 19 लोगो के वेतन का भार निगम के ऊपर है ।यदि कायदे से देखा जाए तो स्मार्ट सिटी में भेजे गए निगम आयुक्त समेत 19 लोगो के बदले निगम के लिए नई पद स्थापना को मंजूरी दे नए निगम आयुक्त की नियुकित की जानी चाहिए।

बिलासपुर निगम सीमा का विस्तार किये जाने के बाद 15 गांव ,2 नगर पंचायत और एक नगर पालिका को निगम में मर्ज किए से निगम आयुक्त के साथ ही अमले का भी कार्य बढ़ चुका है मगर निगम आयुक्त को स्मार्ट सिटी के कामों की जिम्मेदारी दिए जाने के साथ ही निगम के 8 इंजीनियरों समेत 19 कर्मचारियों को भी स्मार्ट सिटी में लगा दिया गया है । ये सभी काम स्मार्ट सिटी का देख रहे है मगर इनका वेतन नगर निगम के फंड से जा रहा है वही निगम में विकास कार्य भी अवरुद्ध हो रहा है इसलिए वर्तमान आयुक्त को स्मार्ट सिटी का पूर्ण प्रभार देते हुए नगर निगम अलग से ऐसे आयुक्त की पोस्टिंग की जरूरत आ पड़ी है जो सिर्फ नगर निगम के कार्यो को ही देखे ताकि निगम सीमा क्षेत्र में खासकर नए वार्डो में पर्याप्त विकास कार्य हो सके । बिलासपुर नगर निगम की इन दिनों अजीबोगरीब स्थिति है । केंद्र सरकार ने बिलासपुर शहर को स्मार्ट सिटी योजना में शामिल कर करोड़ो रूपये की स्वीकृति दी है और स्मार्ट सिटी योजना को फलीभूत करने अलग से इंफ्रास्टक्चर देने के बजाय नगर निगम आयुक्त और निगम के 8 इंजीनियरों व 10 कर्मचारियों को योजना में लगाया गया है ।

ये अमला है -निगम आयुक्त प्रभाकर पांडेय ,इंजीनियरों सुधीर गुप्ता ,खजांची कुम्हार ,अविनाश बापते, पी के पंचायती,सुरेश बरुआ ,अनुपम तिवारी,प्रवीण शुक्ला ,गोपाल सिंह ठाकुर ,श्रीकांत नायर ,प्रिया सिह, विकास पात्रे, भीमेन्द्र गौतम,रमनदीप सिह छाबड़ा ,नरेश देवांगन,मनोज कुमार ठाकुर ,परमेश्वर पांडेय,अमित सिह और सुनील देवीदीन हैं । शहर के जिन क्षेत्रो को स्मार्ट सिटी में लिया गया है वहां काम चल रहा है और निगम अमला वहां काम कर रहा है । स्मार्ट सिटी के काम से निगम को बिल्कुल अलग रखा गया है मगर स्मार्ट सिटी में काम करने वाले निगम अमले को हर माह लाखो रुपये वेतन के रूप में निगम से दिया जा रहा है ऊपर से निगम के इन अमले को स्मार्ट सिटी में झोंक देने से निगम का काम और शहर का विकास कार्य प्रभावित हो रहा है । निगम आयुक्त भी स्मार्ट सिटी के कार्यो में व्यस्त होने से निगम को वक्त नही दे पा रहे है इसलिए नगर निगम में नए आयुक्त की पोस्टिंग की दरकार है ताकि वर्तमान आयुकत स्वतंत्र रूप से स्मार्ट सिटी का काम देखे और नए आयुक्त नगर निगम में विकास कार्यो का पूरा कार्य सम्पादित करे इससे निगम का और स्मार्ट सिटी का भी काम बेहतर ढंग से हो सकेगा ।

नए वार्डो के लिए शासन ने 100 करोड़ मंजूर किये मगर 3 माह में विकास कार्यो का प्राक्कलन नही बन पाया

बिलासपुर नगर निगम की सीमा में बढ़ोतरी कर 15 गांव ,2 नगरपंचायत और एक नगर पालिका को शामिल करते हुए नए वार्ड बनाये गए जहां से पार्षद का चुनाव कराया गया । इन वार्डो में विकास कार्य नही के बराबर है । पानी ,बिजली,सड़क के अलावा और भी मूलभूत सुविधाएं इन वार्डो में नही है । प्रदेश सरकार ने नए वार्डो में विकास कार्य करवाने के लिए एक सौ करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान करते हुए निगम के अधिकारयियो को विकास कार्यों का प्राक्कलन तैयार कर भेजने निर्देशित किया था मगर नगर निगम आयुक्त समेत जिम्मेदार अधिकारयियो के स्मार्ट सिटी योजना में व्यस्त रहने के कारण 3 माह बाद भी नए वार्डो में विकास कार्यो का प्राक्कलन तैयार नही हो पाया है । कब प्राक्कलन तैयार होगा और कब राज्य शासन के पास स्वीकृति के लिए जाएगा और कब मंजूरी होकर आएगा तब तक 6,8 माह और लग जाएंगे इसके विपरीत इन नए वार्डो में जल कर ,सम्पत्ति कर व अन्य प्रकार के टेक्स अधिरोपित करने के लिए निगम ने प्रस्ताव तैयार कर उसे सार्वजनिक कर दिया है । बिना विकास कार्यो के वार्ड वासियों से निगम द्वारा कर वसूली से ग्रामीणों की नाराजगी बढ़ेगी जिसका सीधा असर वर्तमान सरकार पर पड़ेगा ।

स्मार्ट सिटी लिमिटेड को अंग्रेजी स्कूल बनाने निर्माण एजेंसी बना दिया गया

स्मार्ट सिटी योजना अंतर्गत बिलासपुर शहर के चयनित क्षेत्रो में विकास हो यह तो समझ मे आता है मगर उसे और भी अन्य निर्माण कार्यो के लिए निर्माण एजेंसी बना दिया जाए तो आश्चर्य होगा ही । शहर के सत्ता पक्ष और विपक्ष के अधिकांश नेताओ को यह पता ही नही होगा कि स्मार्ट सिटी योजना में काम करने वाले अधिकारयियो को कलेक्टर ने कुछ और निर्माण कार्यो की जिम्मेदारी दी दी है । एसईसीएल द्वारा सीएसआर मद से स्कूल निर्माण के लिए 2 करोड़ से भी अधिक की राशि मंजूर की । कलेक्टर बिलासपुर ने स्कूल निर्माण के लिए निर्माण एजेंसी स्मार्ट सिटी
लिमिटेड के प्रबंध निदेशक को बना दिया है और एसईसीएल द्वारा मंजूर 2 करोड़ 19 लाख 78 हजार रुपये में से 3 उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के निर्माण और विकास कार्य के लिए 92 लाख 52 हजार 763 रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति भी दे दी है । ये स्कूल मंगला ,लाजपत राय स्कूल और तारबाहर स्कूल है जिन्हें उन्नयन कर अंग्रेजी स्कूल बनाना है । कलेक्टर द्वारा स्वीकृत राशि से इन स्कूलों में क्लास रूम रिपेयर कार्य ,टॉयलेट ,निर्माण ,सायकल स्टैंड व शेड निर्माण ,प्रयोगशाला निर्माण,लायब्रेरी ,क्लासरूम में फ्लोरिंग ,प्ले ग्राउंड तथा लैंड स्केपिंग का कार्य किया जाना है यानि नगर निगम का अमला स्मार्ट सिटी योजना के कार्यो के साथ ही अब अंग्रेजी स्कूलों के निर्माण में भी लग जायेगा और उनसे नगर निगम का काम नही लिया जा सकेगा मगर डेढ़ दर्जन निगम के इस अमले को वेतन नगर निगम से ही दिया जाएगा । सम्भवतः पूरे भारत मे बिलासपुर ही एक ऐसा शहर है जहां स्मार्ट सिटी लिमिटेड को दूसरे निर्माण कार्यो के लिए निर्माण एजेंसी बनाया गया है जबकि लोक निर्माण विभाग ,वन विभाग ,आरईएस पहले से ही निर्माण एजेंसी के रूप में कार्य करते आ रहे है लेकिन इन तीनो निर्माण एजेंसियों को स्कूल उन्नयन के कार्य देने से परहेज क्यो किया यह समझ से परे है ।

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