कोरबा ।
जीरो परसेंट ब्याज पर डेढ़ करोड़ रुपये लोन देने का झांसा दे कर कोरबा के राजेन्द्र प्रसाद नगर में रहने वाले व्यापारी को ठगना गाजियाबाद के प्रोफेशनल ठग को महंगा पड़ गया,कोरबा पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा के निर्देशन में कोरबा पुलिस की टीम ने उन्हें ट्रैक कर उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद से गिरफ्तार कर लिया है।प्रोफेशल ठग इतने शातिर है कि इन्होंने अब तक सात राज्यो के 20 लोगो से करीब 2 करोड़ रुपये से भी अधिक ठगी कर ली थी पर फिर भी अभी तक इन राज्यो की पुलिस इन्हें गिरफ्तार नही कर पाई थी इसलिए इनके हौसले बुलंद थे और इन्होंने इस बार छत्तीसगढ़ के कोरबा के व्यापारी को अपना शिकार बना लिया जो इन्हें महंगा पड़ गया और ये कोरबा पुलिस के गिरफ्त में आ गए।
मामले में मिली जानकारी के अनुसार आरपी नगर निवासी विजेंद्र दास महंत पिता रविदास ने जनवरी 2020 में बजाज फाइनेंश कम्पनी में लोन लेने के लिए आनलाइन आवेदन किया था पर कम्पनी ने आवेदन रिजेक्ट कर दिया था इसकी जानकारी किसी ने गाजियाबाद के ओएसी हाइट्स रामप्रस्थ थाना इंदिरापुरम के रहने वाले उमेश शर्मा उर्फ प्रेमचंद कोठारी और उसके साथी कपिल कुमार उर्फ गौरव सावंत ब्रेवहार्ट सोसाइटी राजनगर थाना सिहानी गेट गाजियाबाद को दे दी जो कि शातिर ठग है।उन दोनों ने विजेंद्र से फोन पर सम्पर्क कर खुद को बजाज फाइनेंश कम्पनी के
का अफसर बताते हुए लोन दिलवाने का विश्वास दिलवाया,चूंकि विजेंद्र ने बजाज फाइनेंस कंपनी में लोन हेतु पूर्व में आवेदन दे रखा था और उसके रिजेक्ट होने की जानकारी उसे नही थी इसलिए वह उनके झांसे में आ गया।
झांसे में आने के बाद विजेंद्र ने इतवारी बाजार स्थित जिस संस्थान में काम करता है वहां के मालिक को इसकी जानकारी दी,तब मालिक ने भी इसका विश्वास कर लिया।विजेंद्र और उसके मालिक ने तय किया कि जीरो परसेंट ब्याज में रकम उठा कर उसे मार्केट में ब्याज के धंधे में लगाएंगे।ठगों से मोबाइल के माध्यम से सम्पर्क करने पर ठगों ने प्रोसेसिंग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद डेढ़ करोड़ रुपये का लोन देने का आश्वासन दिया।फिर प्रोसेसिंग शुल्क के नाम पर किसी न किसी प्रकिया के बहाने किस्तों में लगभग 30 लाख रुपये अपने द्वारा दिये गए बैंक एकाउंट में डलवाते रहे,और रकम ट्रांसफर न करने पर प्रक्रिया बीच मे ही रोक कर लोन कैंसिल हो जाने का हवाला दे कर रकम ऐंठते रहे।
जब बार बार प्रोसेसिंग के नाम से रकम की मांग हुई तब विजेंद्र ने रकम न देते हुए पास हुई लोन की राशि देने की मांग की तब ठगों ने फोन उठाना बन्द कर दिया जिस से विजेंद्र को ठगी का एहसास हुआ और उसने इसकी शिकायत रामपुर चौकी में कि।पुलिस ने ततपरता से कदम उठाते हुए मोबाइल लोकेशन के आधार पर दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
आसान प्रक्रिया द्वारा लोन का झांसा-
शातिर ठग जानते है कि बैंक से लोन लेने पर लम्बी और कई प्रक्रियाओं से हो कर गुजरना पड़ता है, और विभिन्न दस्तावेजों के साथ ही माडगेज या गारंटर की जरूरत भी पड़ती है, बस इसी का सहारा ले कर वे लोगो को अपने झांसे में लेते है।उनके द्वारा बिना कुछ गिरवी रखे और बिना गारंटर के केवल नामीनल दस्तावेजों के सहारे ही लोन देने का झांसा दे कर ठगी को अंजाम देते है।
कोआर्डिनेसन में चलते है ठगी के कई गैंग–
दिल्ली मुम्बई जैसे मेट्रोसिटिज में ठगी के एसे कई गिरोह सक्रिय है जो आप सी सामंजस्य बना कर कार्य कर रहे है।जब एक गिरोह किसि व्यक्ति वको ठगी का शिकार बना लेता है तब वह अपने द्वारा ठगे गए व्यक्ति का पूरा डेटा दूसरे गैंग को ट्रांसफर कर देता है ताकि वह गैंग भी उसी व्यक्ति को ठग सके।इसके बदले में दूसरा गिरोह भी अपने पास उपलब्ध डेटा पहले गिरोह को उपलब्ध करवा देती है।
*कई राज्यों के लोग बने आनलाइन ठगों के शिकार*–
उत्तराखंड से शिवम मलिक से तीन लाख रुपये,मुंबई के प्रिया एगुलर से दो लाख रुपये,जयपुर के राजेन्द्र अग्रवाल से पैतालीस लाख रुपये, मुंबई के के.कंहोल्कर से डेढ़ लाख,केरल के थॉमस वर्गीस से पच्चीस लाख,पुणे के टी गोविंद से दो लाख समेत सात राज्यो के बीस लोगो से लगभग दो करोड़ रुपये की ठगी को अंजाम दे चुके है।