बिलासपुर । राज्य शासन द्वारा निकाले गए एक छोटे लिस्ट में नक्सल मोर्चे की कमान सम्हाल रहे 2014 बेच के आईपीएस शलभ सिन्हा की पोस्टिंग सुकमा से कवर्धा की गई हैं ,ज्ञात हो कि यह उनकी कप्तान के रूप में दूसरी पोस्टिंग हैं।शलभ सिन्हा फरवरी 2018 से मई 2019 तक 15 महीनों से एएसपी की जिम्मेदारी सुकमा में सम्हाल रहे थे,एएसपी के रूप में टेन्योर खत्म होने और इस दौरान जिले में नक्सल ऑपरेशन्स और जिले की अच्छी तरह समझ होने के कारण उन्हें यही प्रमोट करते हुए पुलिस कप्तान का दायित्व सौपा गया,तब से लेकर 16 महीनों तक श्री सिन्हा सुकमा में ही नक्सल ऑपरेशनस की कमान सम्हाल रहे हैं।
छत्तीसगढ़ी मूल के आईपीएस शलभ सिन्हा मूलतः छत्तीसगढ़ के ही अंबिकापुर के रहने वाले हैं,उनके पिता कोरबा एसीसीएल में कार्यरत थे इसलिए शलभ सिन्हा की 12वी तक की स्कूली शिक्षा दीक्षा कोरबा से ही हुई इसके बाद उन्होंने रायपुर स्थित निजी इंजीनियरिंग कालेज से मैकनिकल ब्रांच में बेचलर ऑफ इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त कर कोरबा के बाल्को प्लांट में अभियंता के रूप से सेवा देने लग गए।
बाल्को चिमनी हादसे के बाद बदली दिशा
श्री सिन्हा जब बाल्को में कार्यरत थे उसी दौरान चाइनीज निर्माण कम्पनी सेप्को के द्वारा बनाई जा रही चिमनी धसक कर गिर गयी और कई मजदूरो की मौत के साथ ही कई घायल हो गए,गौरतलब हैं कि यह हादसा प्रदेश के बड़े प्लांट हादसों में से एक था।हादसे के बाद राहत और बचाव कार्यो के लिए जिला और पुलिस प्रशासन के अफसरों का लगातार प्लान्ट में आना जाना लगा रहा जिनकी कार्यशैली देख कर श्री सिन्हा के मन मे सिविल सेवाओ के लिए आकर्षण पैदा हुआ और उन्होंने अपनी जमी जमाई स्थापित नोकरी छोड़ कर सन 2010 में यूपीएससी की तैयारी के लिए कोचिंग करने के लिए दिल्ली का रुख कर लिया।
तीसरे प्रयास में मिली सफलता।
पहले प्रयास में शलभ इंटरव्यू तक पहुँचे पर अंतिम सफलता अर्थात चयन नही हो सका।दूसरे प्रयास में श्री सिन्हा प्रारंभिक परीक्षा भी क्वाली फाई नही कर पाएं पर उन्होंने हार नही मानी और लगे रहे अँततः अपने तीसरे प्रयास में 244 रेंक ले कर शलभ सफल रहे और आईपीएस मिलने पर उन्होंने अपना होम कैडर सर्विस के लिए चुना।
नक्सल ऑपरेशन के अलावा पुल निर्माण और ग्रामों के विद्युतीकरण पर भी किया कार्य
सुकमा में अपने पुलिस अधीक्षक के रूप में 16 महीने के कार्यकाल के दौरान कप्तान शलभ ने नक्सल मोर्चे पर काम कर नक्सलियों को पीछे धकेलने के अलावा जिले में विकास कार्यो पर भी विशेष ध्यान दिया।उन्होंने पहुँच विहिन और बारिश के समय बरसाती नदी नालों की वजह से बाकी जिले से कट जाने वाले गांवो में पुल निर्माण का कार्य प्राथमिकता से किया ताकि बरसात में भी ग्रामवासी मुख्य धारा से न कटे।इस क्रम में तमिलवाड़ा और चिंता गुफा के बीच तथा किस्टाराम पलोड़ी के बीच पुल निर्माण करवाया गया जिससे हजारों ग्रामवासियों को बरसात में आवागमन में सुविधा प्राप्त हुई।
इसके अलावा पहुँचविहीन अंधेरे में डूबे गांव में विद्य्युतीकरण का कार्य भी किया गया जिसमें गोलापल्ली और पलोड़ी आदि गांव थे।
*एसबीआई केस में 2 करोड़ की रिकवरी रही बड़ी सफलता।*
सुकमा में पदस्थापना के दौरान वहां एक बहुचर्चित केस सामने आया जिसमे शहर के स्टेट बैंक के कैशियर ने लोगो को लोन पास करवाने के नाम से दस्तावेज ले कर लोन पास करवा कर उनकी लोन राशी खुद ही आहरित कर ली जो लगभग 2 करोड़ रुपये थी,यह मामला काफी समय तक दबा रहा फिर जब लोन धारियों को लोन की किश्त जमा करने के लिये नोटिस जारी हुआ तब उन्हें पता चला कि उनके दस्तावेजों का उपयोग कर लोन पास करवा कर किसी और ने राशि आहरित कर ली हैं।शिकायत पुलिस तक पहुँची जिसको पुलिस कप्तान शलभ सिन्हा ने संज्ञान में ले कर केस की गंभीरता को देखते हुए स्वयं के मार्गदर्शन में विवेचना करवाते हुए न केवल आरोपी को जेल भिजवाया बल्कि आरोपी से पूरे 2 करोड़ रुपये रिकवरी करते हुए बैंक की तरफ से वास्तविक हितग्राहीयो को दिलवाया गया।
: पोस्टर के माध्यम से चलाई जनजागृति अभियान
नक्सलियों के जनविरोधी कृत्यों के खिलाफ ग्रामीण जनता को जागरुक करने के लिए कप्तान शलभ ने अभिनव पहल करते हुए स्थानीय भाषा में बस्तर की आवाज नाम से पोस्टर अभियान शुरू किया जिसमें कार्टून और स्थानीय बोली के माध्यम से लोगो को समझाया गया कि कैसे नक्सली विकास विरोधी और स्थानीय आदिवासियो के विरोधी हैं और बड़े और बाहरी नक्सलियों के इशारे पर वसूली और विकास कार्यो को बाधित करते हैं और निर्दोष जनता की हत्या करते हैं।