बिलासपुर । किसान हितैषी सरकार की किसानों के हित के लिए की गई सबसे बड़ी ऋण माफी योजना में धांधली कर पांच गॉवों के किसानों से ठगी करने वाले आरोपी घोटालेबाज संस्था प्रबंधक के खिलाफ जांच शुरू हो गयी हैं,पर जांच की धीमी गति से किसान असंतुष्ट हैं,जांच शुरू होने के बाद भी अभी तक घोटालेबाज संस्था प्रबंधक को सहकारिता विभाग द्वारा निलंबित नही किया गया हैं,इस से सहकारिता विभाग के अफसरों की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान उठ खड़े हुए हैं। इधर जांच शुरू होने के बाद भी वे पद
पर जमें हुये है।संस्था प्रबंधक के द्वारा लगातार ग्रामीणो को धमकी दी जा रही हैं जिस से की सहकारिता विभाग के अफसरों पर भी संस्था प्रबंधक को शह देने के आरोप लग रहें हैं।
गौरतलब हैं कि विगत विधानसभा चुनाव में किसान हित के लिए कर्जमाफी जैसी बड़ी घोषणा कर सत्ता में आने वाले पार्टी कांग्रेस ने सरकार में आने के बाद न केवल अपना कर्जमाफी का वादा पूरा किया बल्कि किसानों के हित मे कई बड़ी योजनाओं का आरंभ व संचालन
भी शुरू किया ,जिनमे की धान बोनस,राजीव किसान न्याय योजना,गोधन न्याय योजना आदि प्रमुख हैं।इनमें से कई योजनाएं ऐसी हैं जिनको राज्य सरकार बिना केंद्र के मदद के ही संचालित कर रही हैं,जिस से कि एक्सएक्स सरकार के किसान हितैषी सरकार की छवि बनी।पर सरकार की मंशा कितनी ही अच्छी क्यो न हो उसका लाभ तब तक किसानों को नही मिल सकता और वह योजना तब तक सफल नही हो सकती जब तक कि उस योजना को धरातल में क्रियान्वयित करने वाले कर्मचारी और अधिकारी ईमानदार न हो।
और ऐसा ही कुछ हो रहा हैं जांजगीर जिले के पामगढ़ विकासखंड में आने वाले लगरा,सिल्ली,हेड्सपुर,पचरी और मुड़पार पंचायतों में जहाँ के संस्था प्रबंधक गौरीशंकर पटेल ने ऋण माफी योजना के बाद किसानों की अमानत राशि भी लेप्स हो जाने की बात कहते हुए सीधे साधे किसानों से दुबारा अमानत राशि जमा करवा ली और इसकी रसीद भी ग्रामीणों को नही दी और न ही किसानों के पास बुक में ही इसका कही कोई उल्लेख हैं।एक तरह से देखा जाए तो यह सीधे तौर पर ठगी और अमानत में ख़यानत का ही मामला हैं जहाँ ग्रामीणों को झूठ बोल कर दुबारा रकम की उगाही की गई हैं,जिसकी शिकायत ग्रामीणों ने मुलमुला थाने में भी की हैं।
मामले में मिली जानकारी के अनुसार पामगढ़ के तहसील के सेवा सहकारी समिति लगरा पंजीयन क्रमांक 1043 के प्रबन्धक गौरीशंकर पटेल ने किसानों को खाद बीज के लिए मिलने वाले केसीसी ऋण के समय यह कहते हुए जबर्दस्ती अमानत राशि ले ली थी कि पिछली बार लोन के समय जमा की गयी अमानत राशि कर्ज माफी के साथ ही लेप्स हो गयी हैं इसलिए दुबारा लोन लेने के लिए दुबारा अमानत राशि जमा करनी होगी,खेती किसानी का समय होने और खाद बीज की तत्काल आवश्यकता होने के कारण किसानों ने बगैर तफ़्तीश किये ही दुबारा अमानत राशि संस्था प्रबंधक को दे कर ऋण ले लिया।ली गयी राशि का संस्था प्रबंधक के द्वारा रसीद भी नही दिया गया था,बाद में अन्य गांवों के किसानो से इस बात की जानकारी हुई कि उनके गांवो में अमानत राशि दुबारा नही ली गयी हैं तो किसानों ने इसकी जानकारी बैंक जा कर ली तब उन्हें पता चला कि उनके द्वारा दी गयी अमानत राशि का उल्लेख उनके बैंक पास बुक में भी नही हैं तब जा कर किसानों को अपने साथ हुए ठगी का एहसास हुआ।
संस्था प्रबंधक की करतूत सामने आने के बाद गांव में बैठक कर प्रबंधक गौरीशंकर पटेल को समझाइश दी गयी और ग्रामीणों की रकम लौटाने को कहा गया पर अपने पहुँच और पैसे के नशे में चूर संस्था प्रबंधक ने साफ इंकार करते हुए ग्रामीणों को ही धमकाना शुरू कर दिया।संस्था प्रबंधक के रवैये और ठगे जाने से आक्रोशित किसान बड़ी संख्या में एकत्रित हो कर जांजगीर पहुँच गए औऱ कलेक्टर से इस बात की शिकायत की,और पुलिस में भी इसकी की गई।शिकायत पर नायब तहसीलदार सन्दीप साय के नेतृत्व में 4 सदस्यीय जांच टीम गठित की गई हैं।
*जांच प्रभावित कर रहा प्रबंधक*
जांच टीम के ग्राम में किसानों का बयान दर्ज करने के लिए पहुँचने पर संस्था प्रबंधक के गुर्गों द्वारा लगातार ग्रामीणों पर बयान बदलने के लिए गाली गलौच और जान से मारने की धमकी दे कर दबाव बनाया जा रहा था,ग्रामीणों के द्वारा सूचना देने पर पुलिस बल पहुचा जिसके बाद ग्रामीणों का बयान दर्ज हो सका।
*पुलिस अधिकारियों को दी झूटी सूचना:*
जांच होने से आक्रोशित संस्था प्रबंधक के द्वारा शिकायत करने वाले गांव के प्रतिष्ठित व बुजुर्ग नागरिक उदयालीक साव के खिलाफ शराब डंप करने की झूठी सूचना पुलिस को दे दी ,शिकायत पर पहुँची पूलिस टीम को जांच में शिकायत झूठी मिली।ग्रामीणों ने अन्य शिकायत कर्ताओ के नाम से भी षड्यंत्र रच कर फ़सवाने की साजिश करने की संस्था प्रबंधक और उसके साथियों पर आशंका व्यक्त करते हुए पुलिस को शिकायत की हैं।
*क्या है अमानत राशि:*
ग्रामीणों को खेती के लिए खाद बीज खरीदने हेतु बैंक के द्वारा ऋण दिया जाता है,ऋण लेने की प्रक्रिया में जितनी भी स्वीकृत ऋण राशि हैं उसका 10 प्रतिशत सीमांत कृषकों को अर्थात 5 एकड़ तक के किसानों को जमा करना होता हैं उसके बाद ही स्वीकृत ऋण दिया जाता हैं,उसी प्रकार 5 एकड़ से अधिक के खेती वाले किसानों के लिए यह राशि 15 प्रतिशत हैं। ग्रामीणों से दो बार अमानत राशि ली हैं और न तो इसकी रसीद ही दी और न ही बैंक पासबुक में एंट्री हैं।
* नियुक्ति का भी मास्टरमाइंड हैं प्रबंधक:*
आरोपी संस्था प्रबंधक के ऊपर यह भी आरोप है कि बिना नियमो का पालन किये ही अपने भतीजे राहुल पटेल को भी सहायक लिपिक के पद पर भर्ती कर लिया है,इस भर्ती के लिए न ही विज्ञापन प्रकाशित किया गया और न तो आवेदन मंगाए और न ही साक्षात्कार लिया गया बल्कि पिछले दरवाजे से ही भर्ती कर ली गयी।जबकि सहकारिता के कर्मचारी सेवा नियम में स्प्ष्ट रूप से उल्लेख हैं कि जब तक संस्थान मे कर्मचारी उपलब्ध हैं उन्ही से प्रमोशन से पद भरा जाएगा न कि बाहर से नियुक्ति की जाएगी इस नियम का भी स्पष्ट रूप से उल्लंघन हुआ है ,जिसकी शिकायत ग्रामीणों ने की हैं।
*जमानत पर छुटा सजायाफ्ता आरोपी धमका रहा ग्रामीणों को:*
ग्रामीणों के अनुसार गौरीशंकर पटेल का मुख्य गुर्गा हत्या का सजायाफ्ता कैदी राकेश खूंटे हैं,जिस पर पामगढ़ के शराब भट्टी में घुस कर अपने साथियों के साथ मिलकर गद्दीदार की हत्या कर ने का आरोप है ।,इस मामलें में सत्र न्यायालय से आरोपी को आजीवन कारावास की सजा हो चुकी हैं,औऱ फिलहाल वह हाइकोर्ट से जमानत पर बाहर हैं,जमानत मिलने के बाद आरोपी लगातार संस्था प्रबंधक के कहने प र क्षेत्र में दहशत का वातावरण निर्मित कर रहा हैं जिसकी नामजद शिकायत ग्रामीणों ने मुलमुला थाने में की हैं।
*मंत्री से रिश्तेदारी का जमा रहा धौस :ग्रामीणों के अनुसार संस्था प्रबंधक के द्वारा* *शिकायतकर्ताओ को धमकी देते हुए कहा जाता हैं कि चाहें कही भी शिकायत कर लो उसका कुछ भी नही बिगड़ने वाला है क्योकि प्रदेश के एक कद्दावर मंत्री उसके रिश्तेदार हैं और जांच टीम भी उसकी जेब मे है।साथ ही ग्रामीणों को धान खरीदी के समय देख लेने की धमकी भी दी जा रही हैं।
जांच अधिकारी का कहना है
जांच के लिए गठित 4 सदस्यीय टीम के प्रमुख नायब तहसीलदार ने अपनी जांच शुरू कर दी हैं और ग्रामीणों का बयान दर्ज करना शुरू कर दिया हैं।जांच कर रहे नायब तहसीलदार का कहना हैं कि ” ग्रामीणों से केसीसी लोन के लिए कर्जमाफी के बाद दुबारा मार्जिन मनी लेने की शिकायत की गई हैं जिसकी बैंक से रिकार्ड मंगा कर जांच की जाएगी,यदि किसान ने पिछली बार से अधिक का लोन लिया है तो लोन के अनुपात में कितनी मार्जिन मनी ली गयी हैं यह देखा जाएगा और यदि इस बार किसानों के द्वारा ली गयी लोन की रकम उतनी ही हैं जितनी कि कर्जमाफी के पहले हैं तब की स्थिति में यदि संस्था प्रबंधक के द्वारा दुबारा मार्जिन मनी ली गयी होगी तो वो सवर्था अनुचित हैं।