बिलासपुर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कहने के बाद भी जिस तरह कांग्रेस मुक्त भारत नहीं हो पाया ठीक उसी तरह मरवाही विधानसभा में उपचुनाव भी कांग्रेस के भरपूर प्रयास के बाद भी जोगीमुक्त नहीं हो पाया ।
अमित जोगी और ऋचा जोगी के नामांकन ख़ारिज होने और डॉ रेणु जोगी की न्याय यात्रा पर रोक लगाए जाने के बाद भी उपचुनाव में जोगी इफेक्ट स्पष्ट नजर आ रहा है । चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच लगभग सीधा मुकाबला है लेकिन आज की स्थिति में दोनो के बीच चुनावी जंग काफी “टफ”दिखाई दे रहा है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की 3 दिनों तक तूफानी दौरा और आमसभा के बाद तस्वीर कुछ बदल सकती है।
मरवाही विधानसभा के उपचुनाव के लिए नामांकन दाखिला और नाम वापसी के बाद लगा कि 20 वर्षो बाद मरवाही का चुनाव “जोगीमुक्त”होगा लेकिन परिस्थितियां ऐसी बदली कि चुनाव चाह कर भी जोगीमुक्त नहीं हो पाया । अमित जोगी ने चुनाव को जोगीमुक्त करने कांग्रेस के सारे प्रयासों को विफल कर दिया है । राजनीति और युद्ध में सब जायज है कहा जाता है इसी तर्ज पर प्रभारी मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने योजनाबद्ध ढंग से जोगी कांग्रेस के 3 विधायकों के कांग्रेस के सम्पर्क में होने की बात कही ।इसके पीछे उद्देश्य जोगी कांग्रेस के एक विधायक को संदिग्ध कर देना था क्योंकि पूरे चुनाव में जोगी कांग्रेस के इस विधायक का एक भी बयान न आना अपने आप में आश्चर्य कर देने वाला है । यहां तक कि प्रभारी मंत्री के बयान के बाद भी जोगी कांग्रेस के उक्त विधायक का कोई बयान नहीं आया । उनके मौन रहने को लेकर कई तरह की चर्चाएं है । तीन बाद कहा गया कि मंत्री जय सिंह अग्रवाल में हिम्मत है तो वे कांग्रेस प्रवेश चाहने वाले तीनों विधायको के नाम का खुलासा करें मगर राजनीति में पिछ्ले कुछ वर्षों से भाजपा ने एक नया शब्द ईजाद किया है और वह शब्द है “जुमला” ।तो मंत्री जय सिंह अग्रवाल भी अपने दावे को जुमला कहकर फिलहाल कन्नी काट सकते है ।
डॉ रेणु जोगी की मरवाही क्षेत्र में न्याय यात्रा पर रोक लगाने के पहले अमित जोगी पूरे विधानसभा में जो संदेश पहुंचाना चाहते थे उसमे काफी हद तक सफल हो चुके है यह अलग बात है कि मरवाही के मतदाता अमित जोगी और रेणु जोगी की अपील को कितनी गंभीरता से लेते है । यह तो निश्चित है कि जो बात अजीत जोगी में रही वह अमित जोगी में नहीं है और मतदाता भी इस बात को महसूस कर रहे है कि पिता ने जो प्रेम मरवाही की जनता से किया वैसी बात अमित जोगी में नहीं है ।अजीत जोगी पिछला चुनाव 47 हजार वोटों से जीते थे और उसके निधन के बाद जोगी परिवार को उम्मीद थी कि उपचुनाव सहानुभूति लहर के द्वारा जीता जा सकता है लेकिन चुनाव मैदान से ही बाहर हो जाने के कारण जोगी परिवार सहानुभूति से उपजे वोट को कहां ट्रांसफर करेगा यह फिलहाल यक्ष प्रश्न है लेकिन श्रीमती रेणु जोगी और अमित जोगी जिस तरह कांग्रेस के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार कर लिए है उससे तो यह स्पष्ट हो गया है कि जोगी परिवार कांग्रेस के खिलाफ ऐलानिया तौर पर हो गया है यानि उनकी पूरी कोशिश है कि कांग्रेस को जोगी कांग्रेस के वोट कदापि नहीं मिले लेकिन वह वोट भाजपा को सीधे तौर पर बल्क में चला जायेगा यह भी सम्भव नहीं है ।
भाजपा के नेता इसके लिए प्रयास कर रहे हों ऐसा लग भी नहीं रहा है । जोगी कांग्रेस के लगभग 80 फीसदी कार्यकर्ता पार्टी छोड़ चुके है जो कभी अजीत जोगी और अमित जोगी के लिए चुनाव में कार्य करते थे जाहिर है ये कार्यकर्ता जिस पार्टी में लौटे है चुनाव में उसी पार्टी के लिए काम करेंगे । अमित जोगी चन्द समर्थको के साथ चुनाव परिणाम को प्रभावित कर पायेंगे ऐसा लगता तो नहीं फिर भी 10 से 15 हजार वोट वे इधर उधर कर सकते है । यानि उपचुनाव में बाहर रहकर भी जोगी परिवार नतीजे को कुछ हद तक प्रभावित कर सकता है । कांग्रेस और भाजपा दोनों उपचुनाव में जीत का पूरा प्रयास कर रहे है मगर कांग्रेस की फौज के सामने भाजपा की सेना कमजोर साबित हो रही है भले ही भाजपा प्रत्याशी डॉ गंभीर सिंह स्थानीय हो और कांग्रेस प्रत्याशी डॉ केके ध्रुव का मूल निवास बलौदा क्षेत्र हो ।भाजपा कांग्रेस के जो नेता और कार्यकर्ता चुनाव प्रचार में लगे हुए है उससे मरवाही पेंड्रा क्षेत्र के कार्यकर्ताओ की पूछ परख ज्यादा नहीं हो रही है ।अजीत जोगी और अमित जोगी अपने आप को मरवाही क्षेत्र के कमियां ,बेटा और एन जाने क्या क्या कहते रहे है मगर एक सच्चाई और भी है कि पिछले 20 वर्षो में मरवाही ,कोटा क्षेत्र के मतदाताओं को राज नेताओ और पार्टियों ने प्रलोभन का आदी भी बना दिया है ऐसे में इस उपचुनाव में प्रलोभन का दौर नहीं चलेगा यह कैसे सम्भव है । भाजपा नेता कांग्रेस सरकार के पौने दो साल के कार्यकाल में मीनमेख निकाल सरकार को असफल बताते हुए परिवर्तन का आगाज क र चुके है मगर अंदरूनी तौर पर अनेक भाजपा नेता इस बात को स्वीकार करते है कि 15 साल के भाजपा शासन काल में जब जब उपचुनाव हुए भाजपा ने चुनाव जीता तो अब तो कांग्रेस की सरकार है और भाजपा जिस तरह उपचुनाव जीतती थी उसी तर्ज पर कांग्रेस भी चुनाव जीते तो क्या हर्ज है। यह अलग बात है कि भाजपा उपचुनाव जीतने के लिए तत्कालीन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को अपराजेय नेतृत्व कर्ता के रूप में जिम्मेदारी दे उनके बेहतर चुनावी प्रबन्धन का उपयोग करती थी और कांग्रेस में नेताओ ,मंत्री ,विधायको,सांसदो की पूरी फौज है । अब तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद 3दिन मरवाही में रहेंगे और कई सभाएं लेंगे । मुख्यमंत्री के आने के बाद चुनावी समीकरण में बदलाव होना तय है ।