बिलासपुर। राज्य सरकार ने बिलासपुर जिले के बिल्हा तहसीलदार सत्यपाल राय को जमीन की अफरा-तफरी मामले में निलंबित कर दिया.इस मामले में राजस्व मंत्री ने बिलासपुर कलेक्टर को जांच का निर्देश दिया है. बड़ा सवाल यह है कि क्या एक अदना सा तहसीलदार 26 एकड़ सरकारी जमीन का घाल मेल अकेले कर सकता है ? इस पूरे मामले में पर्दे के पीछे कौन कौन है इसका भी खुलासा होना चाहिए ।सिर्फ तहसीलदार को निलंबित कर देने मात्र से मामला खत्म नहीं हो जाता ।
बिल्हा तहसीलदार निपटा दिए गए हालांकि उनके खिलाफ सिर्फ निलंबन की कार्रवाई की गई है और कुछ माह बाद वे बहाल भी हो जायेंगे मगर उन्होंने यह सब अकेले ही किया हो ऐसा नहीं हो सकता निश्चित तौर पर पर्दे के पीछे और भी लोग होंगे कहीं ऐसा तो नहीं कि पर्दे के पीछे शामिल लोगो को बचाने की कोशिश हो रही हो । राजस्व विभाग में कुछ भी हो सकता है मगर अब जबकि बिल्हा तहसील दार को निपटा दिया गया है और नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक की शिकायत पर आनन फानन में कारवाई भी कर दी गई है मगर मामला यहीं समाप्त नहीं हो जाता प्रशासन को पूरे मामले की तह तक जाना होगा और यह भी खुलासा किया जाना चाहिए कि तहसीलदार ने सरकारी जमीन में घाल मेल करने की हिम्मत अकेले कैसे की ? उस पर ऐसा करने किन लोगो का दबाव था ? किन प्रभावशाली लोगो ने सरकारी जमीन की बंदरबाट में तहसीलदार को आगे कर अपना स्वार्थ सिद्ध किया ? इस मामले में यदि और भी लोगो की संलिप्तता है तो उनका भी खुलासा होना चाहिए ।
उल्लेखनीय है कि नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक ने इस आशय की शिकायत की थी । जिला प्रशासन को सूचना मिली थी, कि 26 एकड़ सरकारी जमीन को बिल्हा तहसीलदार ने कुछ व्यापारी और अन्य लोगों के नाम कर दिया है. इस जमीन का नामांतरण करके मुआवजा भी ले लिया गया है. जिस जमीन की अफरा-तफरी की गई है, उस पर से नेशनल हाईवे गुजरता है । राजस्व मंत्री ने बताया कि 26 एकड़ सरकारी जमीन की अफरा-तफरी के मामले में उन्होंने कल शाम ही एसडीएम तहसीलदार से चर्चा की. पहली नजर में पाया गया कि बिल्हा तहसीलदार ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर जमीन का न केवल नामांतरण- हस्तांतरण किया है, बल्कि उसने करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार भी किया है.।इस वजह से तहसीलदार को फिलहाल निलम्बित कर दिया गया है ।